बुरहानपुर। शहर के पुष्पक बस स्टैंड से लगभग 200 बसें मध्य प्रदेश के कई जिलों के अलावा महाराष्ट्र और गुजरात जाती है. 200 बसों में से करीब 40 फीसद बसें खटारा और अनफिट है. इन बसों में क्षमता से अधिक सवारियां ढोने के साथ ही नियम कायदों का पालन भी नहीं किया जा रहा है. स्थिति यह है कि इमरजेंसी द्वार के सामने भी बस संचालकों ने सीटें लगाकर उसे बंद कर दिया है. जिसके चलते कभी भी यह बसें सीधी जैसे हादसे का कारण बन कर बेकसूर यात्रियों की जान ले सकती है.
- परिवहन विभाग को जांच करने का समय नहीं
दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि धड़ल्ले से नियम कायदों को रौंद कर सड़कों पर दौड़ रही बसों की परिवहन विभाग को जांच करने तक की फुर्सत नहीं मिल रही है. सीधी में बड़ा हादसा सामने आने के बावजूद मंगलवार को भी बुरहानपुर में पुराने ढर्रे पर बसों का संचालन होता रहा. ज्ञात हो कि मंगलवार को सीधी जिले के शारदा पाटन गांव के पास यात्रियों से भरी एक बस बांध सागर नहर में गिर गई थी. जिसमें 47 यात्रियों की मौत की खबरें आई है. लगता है बुरहानपुर का परिवहन विभाग भी ऐसे किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है.
मध्यप्रदेश में बड़े सड़क हादसे
- यह है नियम
बता दें कि सरकार की तय गाइडलाइन के मुताबिक महाराष्ट्र राज्य में बसों की औसत उम्र 10 साल और मध्य प्रदेश में 15 साल है. इस अवधि के बाद बसों को स्क्रैप कराकर नई बसें सड़कों पर उतारने का नियम है. जबकि बुरहानपुर में दर्जनों बस ऐसी है जो 15 की जगह 20 साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी है. लेकिन अभी भी सड़कों पर दौड़ रही है. इनमें से तो कई बसों के पास न तो फिटनेस सर्टिफिकेट है और न बसों की हालत बेहतर है. बस ऑपरेटर यूनियन अध्यक्ष योगेश चौकसे का कहना है कि हम सभी बस मालिकों से नियमों का पालन करने और बसों का मेंटेनेंस करने के लिए कहेंगे.