ETV Bharat / state

यहां अब तक नहीं पहुंचा विकास, झोपड़ी में लग रहा स्कूल - गोरखेड़ा गांव बुरहानपुर

टूटी-फूटी झोंपड़ी. बल्लियों और घासफूस से बनी छत, दीवारें गायब और कच्ची जमीन. यह बुरहानपुर जिले के गोरखेड़ा गांव का प्राथमिक स्कूल हैं. जो पिछले 16 सालों से मवेशियों को बांधने वाली झोपड़ी में लग रहा है. प्रदेश के शिक्षा विभाग ने इसे भगवान भरोंसे छोड़ दिया है.

झोपड़ी में स्कूल
author img

By

Published : Nov 19, 2019, 11:49 PM IST

बुरहानपुर। प्रदेश के सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों की बराबरी पर लाने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के दावों के बीच बुरहानपुर जिला मुख्यालय से महज 15 किमी दूर स्थित वनग्राम गोरखेड़ा के ईजीएस प्राइमरी स्कूल की जो तस्वीर सामने आई हैं. वह बेहद चौकाने वाली हैं. यहां का प्राइमरी स्कूल करीब 16 साल से मवेशियों को रखने वाले घासफूस से बनी कच्ची झोपड़ी में लग रहा है.

झोपड़ी में लग रही स्कूल

स्कूल भवन और अन्य संसाधन नहीं होने से बच्चे स्कूल आने से कतराते हैं, जबकि शिक्षा विभाग ने भी इस स्कूल को प्रभु के भरोसे छोड़ दिया है. मौजूदा शिक्षण सत्र में पहली से पांचवी तक दो दर्जन से ज्यादा बच्चे दर्ज तो है, लेकिन आमतौर पर स्कूल में 2 से 4 बच्चे ही नजर आते हैं, इन बच्चों को भी सरकार से मिलने वाले मध्यान्ह भोजन, गणवेश, शुद्ध पेयजल जैसी सुविधाओं से महरूम रखा गया है.

विभाग ने बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ दो अतिथि शिक्षक तैनात कर रखे हैं शिक्षकों और अभिभावकों की माने तो गंदगी और झाड़ियों के बीच पढ़ाई के कारण हर वक्त जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा बना रहता है. अभिभावकों द्वारा बच्चों को स्कूल नहीं भेजने यह भी एक बड़ा कारण है, गांव के सरपंच से लेकर स्कूल के शिक्षक तक शाला भवन कर कर के थक चुके हैं. अब तो यहां पढ़ने वाले बच्चों ने भी सरकार से भवन उपलब्ध कराने की मांग करनी शुरू कर दी है. छात्रों ने ईटीवी भारत के माध्यम से कहा है कि हम झोपड़ी में पढ़ रहे हैं, सरकार हमें स्कूल बनाकर दो.

जब इस संबंध में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी अधिकारी से चर्चा की, तो उन्होंने बताया कि यह मामला ईजीएस प्राइमरी स्कूल का है, यह गांव वनग्राम में आता है, जिसके चलते वन विभाग से भवन निर्माण की अनुमति नहीं होने शाला भवन नही बना पाए हैं. वह खुद डीपीसी जाकर उस स्कूल का निरीक्षण करेंगे, जिससे कोई हल निकाला जाएगा.

बुरहानपुर। प्रदेश के सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों की बराबरी पर लाने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के दावों के बीच बुरहानपुर जिला मुख्यालय से महज 15 किमी दूर स्थित वनग्राम गोरखेड़ा के ईजीएस प्राइमरी स्कूल की जो तस्वीर सामने आई हैं. वह बेहद चौकाने वाली हैं. यहां का प्राइमरी स्कूल करीब 16 साल से मवेशियों को रखने वाले घासफूस से बनी कच्ची झोपड़ी में लग रहा है.

झोपड़ी में लग रही स्कूल

स्कूल भवन और अन्य संसाधन नहीं होने से बच्चे स्कूल आने से कतराते हैं, जबकि शिक्षा विभाग ने भी इस स्कूल को प्रभु के भरोसे छोड़ दिया है. मौजूदा शिक्षण सत्र में पहली से पांचवी तक दो दर्जन से ज्यादा बच्चे दर्ज तो है, लेकिन आमतौर पर स्कूल में 2 से 4 बच्चे ही नजर आते हैं, इन बच्चों को भी सरकार से मिलने वाले मध्यान्ह भोजन, गणवेश, शुद्ध पेयजल जैसी सुविधाओं से महरूम रखा गया है.

विभाग ने बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ दो अतिथि शिक्षक तैनात कर रखे हैं शिक्षकों और अभिभावकों की माने तो गंदगी और झाड़ियों के बीच पढ़ाई के कारण हर वक्त जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा बना रहता है. अभिभावकों द्वारा बच्चों को स्कूल नहीं भेजने यह भी एक बड़ा कारण है, गांव के सरपंच से लेकर स्कूल के शिक्षक तक शाला भवन कर कर के थक चुके हैं. अब तो यहां पढ़ने वाले बच्चों ने भी सरकार से भवन उपलब्ध कराने की मांग करनी शुरू कर दी है. छात्रों ने ईटीवी भारत के माध्यम से कहा है कि हम झोपड़ी में पढ़ रहे हैं, सरकार हमें स्कूल बनाकर दो.

जब इस संबंध में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी अधिकारी से चर्चा की, तो उन्होंने बताया कि यह मामला ईजीएस प्राइमरी स्कूल का है, यह गांव वनग्राम में आता है, जिसके चलते वन विभाग से भवन निर्माण की अनुमति नहीं होने शाला भवन नही बना पाए हैं. वह खुद डीपीसी जाकर उस स्कूल का निरीक्षण करेंगे, जिससे कोई हल निकाला जाएगा.

Intro:बुरहानपुर। प्रदेश के सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों की बराबरी पर लाने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के दावों के बीच बुरहानपुर जिला मुख्यालय से महज 15 किमी दूर स्थित वनग्राम गोरखेड़ा के ईजीएस प्राइमरी स्कूल की जो तस्वीर सामने आई हैं वे बेहद चौकाने वाली हैं, यहां का प्राइमरी स्कूल करीब 16 साल से मवेशियों को रखने वाले घासफूस से बनी कच्ची झोपड़ी में लग रहा है, स्कूल के पास खुद का भवन और अन्य संसाधन नही होने के कारण जहां बच्चे स्कूल आने से कतराते हैं, वही शिक्षा विभाग ने भी इस स्कूल को प्रभु के भरोसे छोड़ दिया है।




Body:मौजूदा शिक्षण सत्र में पहली से पांचवी तक दो दर्जन से ज्यादा बच्चे दर्ज तो है, लेकिन आमतौर पर स्कूल में 2 से 4 बच्चे ही नजर आते हैं, इन बच्चों को भी सरकार से मिलने वाले मध्यान्ह भोजन, गणवेश, शुद्ध पेयजल जैसी सुविधाओं से महरूम रखा गया है, विभाग ने बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ दो अतिथि शिक्षक तैनात कर रखे हैं शिक्षकों और अभिभावकों की माने तो गंदगी और झाड़ियों के बीच पढ़ाई के कारण हर वक्त जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा बना रहता है, अभिभावकों द्वारा बच्चों को स्कूल नहीं भेजने यह भी एक बड़ा कारण है, गांव के सरपंच से लेकर स्कूल के शिक्षक तक शाला भवन कर कर के थक चुके हैं, अब तो यहां पढ़ने वाले बच्चों ने भी सरकार से भवन उपलब्ध कराने की मांग करनी शुरू कर दी है, जहां छात्र ने ईटीवी भारत के माध्यम से कहा है कि हम झोपड़ी में पढ़ रहे हैं, सरकार हमें स्कूल बनाकर दो....।


Conclusion:वही जब इस संबंध में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी अधिकारी से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि यह मामला ईजीएस प्राइमरी स्कूल का है, यह गांव वनग्राम में आता है, जिसके चलते वन विभाग से भवन निर्माण की अनुमति नहीं होने शाला भवन नही बना पाए हैं, मैं और डीपीसी जाकर उस स्कूल का निरीक्षण करेंगे, सम्भवतः कोई हल निकाला जाएगा।

बाईट 01:- छात्र।
बाईट 02:- छात्र।
बाईट 03:- रमजान तड़वी, सरपंचपति ग्राम पंचायत बलड़ी।
बाईट 04:- भूषण पाटिल, अतिथि शिक्षक।
बाईट 05:- अतीक अली, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.