बुरहानपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार 16 अप्रैल को आरएसएस कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने धर्मांतरण के परोक्ष संदर्भ में कहा कि "मिशनरी उन स्थितियों का फायदा उठाते हैं, जहां लोगों को लगता है कि समाज उनके साथ नहीं है." उन्होंने आरएसएस कार्यकर्ताओं से एकजुट रहने की अपील की है, उन्होंने कहा कि "हमें हमारे धर्म को बचाना है, हमें हिन्दू धर्म को बचाना है. हम सब मिलकर शक्ति हैं, हमें साथ मिलकर धर्म की रक्षा करना है."
हजारों मील दूर से आकर करवाते हैं धर्म परिवर्तन: मोहन भागवत रविवार को बुरहानपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, जहां उन्होंने गोविंदनाथ महाराज की समाधि समर्पित की. इस दौरान भागवत ने कहा कि "हम अपनों को नहीं देखते, हम उनके पास जाकर उनसे बात नहीं करते, लेकिन हजारों मील दूर से आकर कुछ मिशनरी वहां रहते हैं, उनके भोजन करते हैं, उनकी भाषा बोलते हैं और फिर उनका धर्मांतरण करते हैं. 100 साल के दौरान लोग सब कुछ बदलने के लिए भारत आए, वे सदियों से यहां काम कर रहे हैं लेकिन कुछ हासिल नहीं कर पाए, क्योंकि हमारे पूर्वजों के प्रयासों से हमारी जड़ें मजबूत बनी रहीं."
आरएसएस प्रमुख ने कहा हमें डगमगाना नहीं: मोहन भागवत ने आगे कहा कि "उन्हें उखाड़ने का प्रयास किया जाता है, इसलिए समाज को उस छल को समझना चाहिए. हमें विश्वास को मजबूत करना है. धोखेबाज लोग विश्वास को डगमगाने के लिए धर्म के बारे में कुछ सवाल करते हैं. हमारे समाज ने पहले कभी ऐसे लोगों का सामना नहीं किया, इसलिए लोगों को शंका होती है. हमें इस कमजोरी को दूर करना होगा, इनके इतने प्रयास के बाद भी हमारा समाज डगमगाता नहीं है, लेकिन लोग तब बदलते हैं जब वे विश्वास खो देते हैं और महसूस करते हैं कि समाज उनके साथ नहीं है."
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हमें अपने जड़ों को मजबूत करने की आवश्यकता: आरएसएस प्रमुख ने मोहन भागवत कहा कि "स्थानीय लोगों के ईसाई धर्म में परिवर्तित होने के 150 साल बाद मध्य प्रदेश में एक पूरा गांव "सनातनी" बन गया, क्योंकि उन्हें कल्याण आश्रम से मदद मिली थी. हमें अपने विश्वास को फैलाने के लिए विदेश जाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि 'सनातन धर्म' इस तरह की प्रथाओं में विश्वास नहीं करता है. हमें भारत में ही भारतीय परंपराओं और आस्था के विचलन और विकृति को दूर करने और इसकी जड़ों को मजबूत करने की आवश्यकता है."