बुरहानपुर। नेपानगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सुविधाएं भगवान भरोसे चल रही है. हालात यह है कि इस अस्पताल में ना तो पर्याप्त डॉक्टर है और ना ही तकनीकी संसाधन. यहां तक कि कई बार मरीजों को दूसरे शहर जाकर निजी अस्पतालों में महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है. बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. हैरानी की बात ये है इस जिले का प्रभार स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट के कंधों पर है.
नेपानगर में इन दिनों स्वास्थ्य सुविधा दिन-प्रतिदिन बदहाल होती जा रही है. नेपानगर की जनता के पास उपचार के लिए दो अस्पताल है. एक नेपा लिमिटेड द्वारा बनाया गया अस्पताल और दूसरा मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बनाया गया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र. लेकिन जनता को दोनों ही अस्पतालों में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
नेपा लिमिटेड के अस्तपाल की बात करे तो यह पिछले दो सालों से कंपनी की आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा गई है. इसके अलावा शासकीय अस्पताल में कई साल पुरान है तो इसकी इमारत जर्जर हो चुकी है. आलम ये है कि यहां छतों से पानी टपकता है. टपकते हुए पानी में छत की उपर पन्नी लगाकर पानी की निकासी रोकी जा रही है तब जाकर उसमें ओपीडी चलाई जा रही है. यहां तक की अस्पताल का महिला प्रसव कक्ष भी बेहद जर्जर हो चुका, यहां पर भी छत में से पानी टपकता है और छत से छोटे-छोटे टूकडे टूटकर नीचे गिर रहे है. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन को किसी बड़ी दुर्घटना होने का इंतजार कर रहा है.
इस सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से नेपानगर क्षेत्र के आसपास के करीब 80 गांव जुडे हुए है, लेकिन यहां पर आने वाले मरीजों को बेहतर उपचार नहीं मिल पा रहा है. इतना हीं नहीं दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुए मरीज को उपचार के लिए प्राथमिक उपचार देकर इन्हें बुरहानपुर जिला चिकित्सालय रैफर करना पडता है. कई बार तो सही तरीके से उपचार न मिलने के कारण अपनी जान तक गंवानी पडती है.
बता दें कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार द्वारा ने नेपानगर की जनता को 60 लाख रूपयें की लागत से अस्पताल की सौगात दी थी, यह अस्पताल नेपानगर के तहसील कार्यालय के पास बीड गांव में बनाया जा रहा था, लेकिन कुछ कारणों के चलते इस अस्पताल के निर्माण का कार्य पिछले तीन सालों से बंद पडा हुआ है.