बुरहानपुर। नावरा वन परिक्षेत्र के वन ग्राम घाघरला के कक्ष क्रमांक 279 में हो रही जंगलों की अंधाधुंध कटाई के मामले में प्रशासन ने महीनों बाद सुध ली और संयुक्त कार्रवाई करने पहुंची. मौके पर अवैध रूप से टपरे बनाकर रह रहे लगभग 100 से अधिक नवाडियो को खदेड़ा गया, लेकिन कुछ समय बाद अचानक नवाड माफियाओ ने हमला बोल दिया और 250 से अधिक प्रशासनिक अमले को 100 नवाडियों ने जंगल से बाहर निकाल दिया. दिन भर चली इस कार्रवाई में प्रशासन को भारी जान-माल का नुकसान उठाना पड़ा. वहीं मुहीम के दौरान अतिक्रमणकारियों ने पुलिस बल, सशस्त्र सेना के जवान से तीन शासकीय बंदुकें भी छीन ली. जिसके बाद मुहिम में पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों के होश उड़ गए और इस मुहिम को आगे बढ़ा दिया गया, जिसके चलते वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया सका है, और न ही छीनी हुई शासकीय बंदूकों को वापस लिया जा सका. घटना की जानकारी मिलते ही खरगोन रेंज के डीआईजी तिलक सिंह व जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह भी नेपानगर पहुंचे और घटना की विस्तृत जानकारी ली.
150 वन विभाग कर्मचारी और 100 पुलिस जवानों पर हमला
बता दें, शनिवार अल सुबह टास्क फोर्स घाघरला गांव में हुए अतिक्रमण को हटाने पहुंचा था, वन विभाग अपने साथ 150 कर्मचारियों और 100 से अधिक पुलिसकर्मियों को लेकर सरकारी वन भूमि से अतिक्रमण हटाने पहुंचा था, फोर्स को देखकर पहले तो अतिक्रमणकारी टपरा छोड़कर भाग निकल, फिर कर्मचारियों ने टपरे तोड़कर उसमें आग लगानी शुरू की, कुछ ही देर में कई टपरों को जला कर धराशाई कर दिया गया. इसी बीच अतिक्रमणकारियों ने पहाड़ी से छिपकर तीर और गोफन से जवानों पर हमला बोल दिया, अचानक हुए हमले से कर्मचारी कुछ समझ नही पाए और जंगल में अफरा-तफरी मच गई. देखते ही देखते अतिक्रमण कारी टास्कफोर्स के कर्मचारियों पर हावी होने लगे. इस हमले में वन विभाग अधिकारी कर्मचारी और पुलिस जवान घायल हो गए. जंगल में कुछ समय रुकने के बाद वन विभाग दल बल लेकर वापस उल्टे पैर लौट आया.
टास्क फोर्स और अतिक्रमणकारियों के बीच हुई मुठभेड़ में धुलकोट रेंजर जितेंद्र पाराशर और असीर रेंजर गोपाल उईके गंभीर रूप से घायल हो गए, गोफन से दोनों के उपर वार हुए और गंभीर रूप से घायल अवस्था में उन्हे नेपानगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लाया गया. उनके साथ करीब दो दर्जन से अधिक कर्मचारी भी गंभीर रूप से घायल हुए है. उन्हें एक के बाद एक कर स्वास्थ्य केंद्र भिजवाया गया. कुछ देर बाद जंगल के बाहर स्वास्थ्य अमले का दल तैनात कर दिया गया, उन्होने जंगल से बाहर आ रहे घायल कर्मचारियों का उपचार किया.
इस मुठभेड में मुख्य रूप से वनपाल नारायण कृष्णा, वनरक्षक नंदकिशोर सपकाल, वन रक्षक सुरेश अवास्या, अब्दुल हकीम, सैयद वजीर, भरतसिंह वास्कले, शेरसिंह चौहान, शिवसिंह रघुवंशी, प्रेमलाल भास्करे धूलकोट, वनपाल लखनलाल वास्कले नावरा घायल हुए.