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एक अतिथि शिक्षक के भरोसे चल रहा विद्यालय, बच्चों के भविष्य से खेल रहा शिक्षा विभाग

बुरहानपुर जिले के नेपानगर आदिवासी इलाके में स्थित प्राथमिक विद्यालय में 90 विद्यार्थी पढ़ते हैं, लेकिन अध्यापक के नाम पर सिर्फ एक अतिथि शिक्षक पदस्थ हैं.

शासकीय माध्यमिक शाला सोनुद
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Published : Nov 8, 2019, 12:15 PM IST

बुरहानपुर। जिले के नेपानगर के आदिवासी बहुल्य इलाकों में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली देखी जा सकती है. यहां शासन द्वारा किए जा रहे तमाम दावों की पोल खुलती नजर आ रही है. सोनुद गांव के माध्यमिक विद्यालय में 90 छात्र-छात्राओं के पढ़ाने के लिए मात्र एक अतिथि शिक्षक है. शिक्षा विभाग की इस लापरवाही की वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, लेकिन अधिकारी सबकुछ देखकर भी अपनी आंखें मूदे हुए हैं.

शासकीय माध्यमिक शाला सोनुद

प्रदेश में कई इलाके ऐसे हैं, जहां शिक्षा व्यवस्था अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है. सरकार की अनदेखी के चलते छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. नेपानगर के सोनुद गांव में माध्यमिक शाला के 90 विद्यार्थियों के भविष्य को सुधारने की जिम्मेदारी एक अतिथि शिक्षक पर है, हालात ये है कि यहां शौचालय तक नहीं है, मजबूरन छात्र- छात्राएं विकलांगों के लिए बने शौचालय का ही इस्तेमाल कर रहे हैं.

संकुल प्राचार्य अरूण महाजन से जब इस मामले में सवाल पूछा गया तो उन्होंने गैर जिम्मेदाराना जवाब देते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया. उनका कहना है कि 'मैं सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्थाओं को संचालित करता हूं'.

बुरहानपुर। जिले के नेपानगर के आदिवासी बहुल्य इलाकों में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली देखी जा सकती है. यहां शासन द्वारा किए जा रहे तमाम दावों की पोल खुलती नजर आ रही है. सोनुद गांव के माध्यमिक विद्यालय में 90 छात्र-छात्राओं के पढ़ाने के लिए मात्र एक अतिथि शिक्षक है. शिक्षा विभाग की इस लापरवाही की वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, लेकिन अधिकारी सबकुछ देखकर भी अपनी आंखें मूदे हुए हैं.

शासकीय माध्यमिक शाला सोनुद

प्रदेश में कई इलाके ऐसे हैं, जहां शिक्षा व्यवस्था अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है. सरकार की अनदेखी के चलते छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. नेपानगर के सोनुद गांव में माध्यमिक शाला के 90 विद्यार्थियों के भविष्य को सुधारने की जिम्मेदारी एक अतिथि शिक्षक पर है, हालात ये है कि यहां शौचालय तक नहीं है, मजबूरन छात्र- छात्राएं विकलांगों के लिए बने शौचालय का ही इस्तेमाल कर रहे हैं.

संकुल प्राचार्य अरूण महाजन से जब इस मामले में सवाल पूछा गया तो उन्होंने गैर जिम्मेदाराना जवाब देते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया. उनका कहना है कि 'मैं सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्थाओं को संचालित करता हूं'.

Intro: नेपानगर तहसील क्षेत्र के आदिवासी बहुल्य इलाको में संचालित सरकारी स्कूलों की बदहाली तस्वीरे नजर आ रही है, भले ही सरकार आदिवासियों को अच्छी शिक्षा देने के लाख दावे करती हैं, लेकिन के वन ग्राम सोनुद की आदिम जाति कल्याण द्वारा संचालित माध्यमीक शाला में पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है, इस शाला के 90 छात्र-छात्राओं की दर्ज संख्या है, जिनका भविष्य संवारने की जिम्मेदारी एक अतिथि शिक्षक पर है, बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारियों को इस बात की भनक तक नहीं है, इसके अलावा यहा पढने वाले छात्र-छात्राए स्कूल में बने एक मात्र विकलांग शौचालय में ही शौच करने के लिए जाते है, साथ ही स्कूल भवन चारो तरफ से झाड़ियों से घिरा हुआ है, यहां पर बच्चो के लिए ना बिजली है और ना ही पानी।




Body:इस पुरे मामले को लेकर जब हमारी टीम संकुल प्राचार्य अरूण महाजन के पास पहुंची तो वह भी गैर जिम्मेदाराना जवाब देते हुए अपना पल्ला झाडते हुए नजर आए, हमारे द्वारा समस्या बताए जाने के बाद स्कूल में फोन लगाकर पुष्टी कर रहे थे, की समस्याए सही है या झुठी, संकुल प्राचार्य ने कहा की में केवल प्रशासनिक व्यवस्थाओ को संचालित करता हूँ, समस्याओ के निराकरण के लिए वरिष्ठ कार्यालय को पत्र लिखुंगा जल्द ही शोचालय बनाया जाएगा।

Conclusion:बाईट 01:- गोविंद राठौर अतिथि षिक्षक,
बाईट 02:- अरूण महाजन संकुल प्राचार्य
बाईट03 :- छात्रा
बाईट 04:- छात्रा
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