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MP में लगेगा विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पैनल, 4500 मेगावॉट सोलर ऊर्जा तैयार करने का लक्ष्य

ध्य प्रदेश में विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पैनल स्थापित करने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए ओमकारेश्वर बांध का चयन किया गया है. यहां कावेरी नदी के संगम पर 600 मेगावॉट क्षमता के फ्लोटिंग सोलर पैनल लगाए जाएंगे.

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Published : Oct 12, 2020, 1:21 AM IST

भोपाल। देशभर में मध्यप्रदेश पॉवर हब के रूप में पहचान बना रहा है. देश के सबसे बड़े सोलर प्लांट रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पॉवर प्लांट स्थापित करने के बाद अब मध्य प्रदेश में विश्व का सबसे बड़ा पानी पर तैरने वाला सोलर प्लांट (फ्लोटिंग सोलर पैनल ) स्थापित करने की तैयारी की जा रही है. पानी पर तैरने वाली सोलर एनर्जी प्लांट के लिए ओमकारेश्वर बांध का चयन किया गया है. यहां कावेरी नदी के संगम पर 600 मेगावॉट क्षमता के फ्लोटिंग सोलर पैनल लगाए जाएंगे. इससे गुणवत्तापूर्ण बिजली मिलने के साथ ही जलाशय के पानी का वाष्पीकरण भी रुकेगा. इस योजना के जरिए दिसंबर 2022 तक प्रदेश सरकार 4500 मेगावॉट सोलर ऊर्जा का लक्ष्य रखा है.

फ्लोटिंग सोलर पैनल की तैयारी

मध्य प्रदेश का पहला फ्लोटिंग प्लांट ऊर्जा

ऊर्जा विकास निगम के एमडी दीपक सक्सेना का कहना है कि पिछले दिनों फ्लोटिंग सोलर पैनल को लेकर ओमकालेश्वर में इसका जायजा लिया जा चुका है. यदि सब कुछ ठीक रहा तो ओमकारेश्वर के बैकवाटर में प्रस्तावित फ्लोटिंग सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट दिसंबर 2022 तक आकार ले लेगा. यह प्रोजेक्ट विश्व के सबसे बड़े फ्लोटिंग सौर ऊर्जा प्लांट में से एक होगा. बताया जाता है कि बांध में करीब 2000 हेक्टेयर में सोलर पैनल लगाए जाएंगे. इस प्रोजेक्ट में करीब तीन हजार करोड़ रूपए की लागत आएगी. ओमकारेश्वर का सोलर प्लांट पानी पर तैरने वाला होने की वजह से भूमि भी नहीं खरीदनी होगी. जिससे परियोजना की लागत में भी कमी आएगी. इस वजह से जलस्तर कम होने पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

दीपक सक्सेना का कहना है कि 2022 तक प्रदेश सरकार ने 4500 मेगावॉट सोलर ऊर्जा का जो लक्ष्य रख है. उसमें से 1500 मेगावॉट का काम शूरु हो गया है, और उसका टेंडर लास्ट प्रोसेस में है. उनका कहना है कि संभवता अक्टूबर के आखरी सप्ताह या नवंबर के पहले सप्ताह में इस योजना पर आगे बढ़ जाएंगे. वहीं मुरैना में 1500 मेगावॉट का प्रोजेक्ट प्रस्तावित है, जिसके लिए बेस लाइन सर्वे कराया जा रहा है. इसके लिए जमीन लेने का काम किया जा रहा है.

सोलर ऊर्जा के मामले में मध्यप्रदेश की क्या स्थिति है?

ऊर्जा विकास निगम के एमडी दीपक सक्सेना का कहना है कि सोलर ऊर्जा के मामले में मध्यप्रदेश एक उभरता हुआ राज्य है. रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पॉवर प्लांट जिसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था, इसके लिए मध्यप्रदेश को काफी तारीफे मिली थी. जिसके बाद कई जगह से डेवलपर मध्यप्रदेश के तरफ आकर्षित हो रहे हैं. उनका कहना है कि चाहे सोलर प्रोजेक्ट हो, विंड हाइड्रो योजना हो या फिर रूफटॉप इन सब में अगर हम सोलर से एनर्जी ले सकते है तो इसमें कोई डाउट नहीं है कि मध्यप्रदेश सोलार पॉवर के लक्ष्य में देशभर में एक उदाहरण बनकर उभरेगा.

रीवा में है देश का सबसे बड़ा सोलर प्लांट

  • मध्य प्रदेश के रीवा में देश का सबसे बड़ा सोलर प्लांट है.
  • 750 मेगावॉट क्षमता के इस अल्ट्रा मेगा सोलर योजना रीवा जिले के गुढ़ तहसील में 1270.3 हेक्टेयर सरकारी भूमि और 335.7 हेक्टेयर निजी भूमि पर है.
  • इस परियोजना पर 4500 करोड़ रूपये की लागत आई है. यह देश का एकमात्र सोलर पार्क है.
  • मुरैना, सागर, छतरपुर में भी सोलर प्लांट लगाने की तैयारी की जा रही है.
  • मध्यप्रदेश में दिसंबर 2022 तक साढे़ 4000 मेगावाट सोलर ऊर्जा का लक्ष्य रखा गया है. इनमें से 1500 मेगावॉट का काम शुरू हो गया है.
  • छतरपुर का 900 मेगावॉट, ओमकारेश्वर का 600 मेगावॉट का प्रोजेक्ट और मुरैना का 1500 मेगावाट का प्रोजेक्ट शामिल है.
  • परंपरागत बिजली की अपेक्षा में सौर ऊर्जा से ज्यादा मुफीद माना जाता है. मध्य प्रदेश का माहौल भी सौर ऊर्जा के लिए बेहतर है. यही वजह है कि सरकार लगातार इस दिशा में कदम बढ़ा रही है.

भोपाल। देशभर में मध्यप्रदेश पॉवर हब के रूप में पहचान बना रहा है. देश के सबसे बड़े सोलर प्लांट रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पॉवर प्लांट स्थापित करने के बाद अब मध्य प्रदेश में विश्व का सबसे बड़ा पानी पर तैरने वाला सोलर प्लांट (फ्लोटिंग सोलर पैनल ) स्थापित करने की तैयारी की जा रही है. पानी पर तैरने वाली सोलर एनर्जी प्लांट के लिए ओमकारेश्वर बांध का चयन किया गया है. यहां कावेरी नदी के संगम पर 600 मेगावॉट क्षमता के फ्लोटिंग सोलर पैनल लगाए जाएंगे. इससे गुणवत्तापूर्ण बिजली मिलने के साथ ही जलाशय के पानी का वाष्पीकरण भी रुकेगा. इस योजना के जरिए दिसंबर 2022 तक प्रदेश सरकार 4500 मेगावॉट सोलर ऊर्जा का लक्ष्य रखा है.

फ्लोटिंग सोलर पैनल की तैयारी

मध्य प्रदेश का पहला फ्लोटिंग प्लांट ऊर्जा

ऊर्जा विकास निगम के एमडी दीपक सक्सेना का कहना है कि पिछले दिनों फ्लोटिंग सोलर पैनल को लेकर ओमकालेश्वर में इसका जायजा लिया जा चुका है. यदि सब कुछ ठीक रहा तो ओमकारेश्वर के बैकवाटर में प्रस्तावित फ्लोटिंग सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट दिसंबर 2022 तक आकार ले लेगा. यह प्रोजेक्ट विश्व के सबसे बड़े फ्लोटिंग सौर ऊर्जा प्लांट में से एक होगा. बताया जाता है कि बांध में करीब 2000 हेक्टेयर में सोलर पैनल लगाए जाएंगे. इस प्रोजेक्ट में करीब तीन हजार करोड़ रूपए की लागत आएगी. ओमकारेश्वर का सोलर प्लांट पानी पर तैरने वाला होने की वजह से भूमि भी नहीं खरीदनी होगी. जिससे परियोजना की लागत में भी कमी आएगी. इस वजह से जलस्तर कम होने पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

दीपक सक्सेना का कहना है कि 2022 तक प्रदेश सरकार ने 4500 मेगावॉट सोलर ऊर्जा का जो लक्ष्य रख है. उसमें से 1500 मेगावॉट का काम शूरु हो गया है, और उसका टेंडर लास्ट प्रोसेस में है. उनका कहना है कि संभवता अक्टूबर के आखरी सप्ताह या नवंबर के पहले सप्ताह में इस योजना पर आगे बढ़ जाएंगे. वहीं मुरैना में 1500 मेगावॉट का प्रोजेक्ट प्रस्तावित है, जिसके लिए बेस लाइन सर्वे कराया जा रहा है. इसके लिए जमीन लेने का काम किया जा रहा है.

सोलर ऊर्जा के मामले में मध्यप्रदेश की क्या स्थिति है?

ऊर्जा विकास निगम के एमडी दीपक सक्सेना का कहना है कि सोलर ऊर्जा के मामले में मध्यप्रदेश एक उभरता हुआ राज्य है. रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पॉवर प्लांट जिसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था, इसके लिए मध्यप्रदेश को काफी तारीफे मिली थी. जिसके बाद कई जगह से डेवलपर मध्यप्रदेश के तरफ आकर्षित हो रहे हैं. उनका कहना है कि चाहे सोलर प्रोजेक्ट हो, विंड हाइड्रो योजना हो या फिर रूफटॉप इन सब में अगर हम सोलर से एनर्जी ले सकते है तो इसमें कोई डाउट नहीं है कि मध्यप्रदेश सोलार पॉवर के लक्ष्य में देशभर में एक उदाहरण बनकर उभरेगा.

रीवा में है देश का सबसे बड़ा सोलर प्लांट

  • मध्य प्रदेश के रीवा में देश का सबसे बड़ा सोलर प्लांट है.
  • 750 मेगावॉट क्षमता के इस अल्ट्रा मेगा सोलर योजना रीवा जिले के गुढ़ तहसील में 1270.3 हेक्टेयर सरकारी भूमि और 335.7 हेक्टेयर निजी भूमि पर है.
  • इस परियोजना पर 4500 करोड़ रूपये की लागत आई है. यह देश का एकमात्र सोलर पार्क है.
  • मुरैना, सागर, छतरपुर में भी सोलर प्लांट लगाने की तैयारी की जा रही है.
  • मध्यप्रदेश में दिसंबर 2022 तक साढे़ 4000 मेगावाट सोलर ऊर्जा का लक्ष्य रखा गया है. इनमें से 1500 मेगावॉट का काम शुरू हो गया है.
  • छतरपुर का 900 मेगावॉट, ओमकारेश्वर का 600 मेगावॉट का प्रोजेक्ट और मुरैना का 1500 मेगावाट का प्रोजेक्ट शामिल है.
  • परंपरागत बिजली की अपेक्षा में सौर ऊर्जा से ज्यादा मुफीद माना जाता है. मध्य प्रदेश का माहौल भी सौर ऊर्जा के लिए बेहतर है. यही वजह है कि सरकार लगातार इस दिशा में कदम बढ़ा रही है.
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