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World Tribal Day Special: MP का ये आदिवासी म्यूजियम है बहुत अद्भुत, सभी जनजातियों का पूरा इतिहास व जीवनशैली एत छत के नीचे

आज विश्व आदिवासी दिवस है. इस अवसर पर आइए जानते हैं आदिवासियों की चीजों को संग्रह करने वाले एक ऐसे म्यूजियम के बारे में, जो बेहद अद्भुत है. ये म्यूजियम राजधानी भोपाल में स्थित है. इस म्यूजियम की खासियत यह है कि इसमें रखी हुई चीजें एकदम ओरिजीनल हैं. ये मध्यप्रदेश का ऐसा पहला ट्राइबल म्यूजियम है, जिसमें 43 जनजातियों से जुड़ी 800 से अधिक चीजों का संग्रह है.

World Tribal Day Special
MP का ये आदिवासी म्यूजियम है बहुत अद्भुत
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Published : Aug 9, 2023, 1:54 PM IST

Updated : Aug 9, 2023, 2:37 PM IST

भोपाल में मौजूद है अद्भुत आदिवासी म्यूजियम

भोपाल। आदिवासी संग्रहालय राजधानी भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित राजीव गांधी भवन मे संचालित आदिम जाति संस्थान के भीतर बना है. मध्यप्रदेश की जनजातियों का यह एक ऐसा संग्रहालय है जो अपने आपमें अनोखा और सबसे पुराना है. इसको देखकर साफ हो जाता है कि मध्यप्रदेश को जनजातीय प्रधान प्रदेश क्यों कहा जाता है. संग्रहालय के अधिकारी बीआर सातपूते ने बताया कि यहां कुल 4 कक्ष और एक गैलेरी हैं. इसमें मध्यप्रदेश मे निवास करने वाली 43 जनजातियों से जुड़ी सामग्री को रखा गया है. यह संग्रहालय 1965 में छिंदवाड़ा से भोपाल लाया गया था. इसमें वर्ष 1954 से जनजातियों से जुड़ी तमाम सामग्री प्रदर्शित की गई हैं.

World Tribal Day Special
सभी जनजातियों का पूरा इतिहास व जीवनशैली एत छत के नीचे

प्राचीन जीवनशैली की झलक : इस संग्रहालय को देखकर पता लगता है कि यह हमारी दीर्घकालीन विरासत का आईना है. संग्रहालय में प्रदर्शित इन वस्तुओं को देखकर उस समय की तात्कालीन परिस्थितियों में कला कौशल व जीवनशैली को समझा जा सकता है. देखने वालों को समय संस्कृति विशेष को समझने में मदद मिलती है. आदिवासी जीवन एवं संस्कृति के विभिन्न आयामों पर शोध करने वाले छात्रों, आदिवासी संस्कृति में रुचि रखने वाले दर्शकों के लिये यह संग्रहालय जिज्ञासा व आकर्षण का केन्द्र है. रविवार और सरकारी अवकाश को छोड़कर यह संग्रहालय हर दिन सुबह 10.30 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है.

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MP का ये आदिवासी म्यूजियम है बहुत अद्भुत

क्या है यहां की खासियत : प्रदेश की जनजातियों की सामाजिक एवं सांस्कृतिक परम्पराओं से संबंधित चीजें जैसे आभूषण, वस्त्र विन्यास, चित्रकला, वाद्ययंत्र, देव-देवता, पारम्परिक चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली वन औषधियां, जीवनयापन के उपयोग की वस्तुएं, कृषि औजार, शिकार के अस्त्र-शस्त्र सहित विभिन्न जनजातियों के मूर्तिशिल्प का प्रदर्शन इस संग्रहालय में किया गया है. संग्रहालय के चार कमरों की एक गैलरी में कुल 880 डिस्प्ले प्रदर्शित हैं. विभाग के संयुक्त संचालक अवनीश चतुर्वेदी का कहना है कि मध्यप्रदेश में आदिम जाति अनुसंधान संस्थान एक विभागाध्यक्ष स्तर का कार्यालय है. जिसकी एक ही शाखा छिंदवाड़ा में है. इसके अलावा हमारी कोई शाखा नहीं है.

World Tribal Day Special
आदिवासियों की चीजों को संग्रह करने वाला म्यूजियम

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लाइब्रेरी में 25 हजार किताबें : अवनीश चतुर्वेदी बताते हैं कि भोपाल में जो कार्यालय है, इसमें हम यहां पर ट्रेनिंग के सत्र आयोजित करते हैं. संग्रहालय में 800 से अधिक आर्टिकल फैक्ट ओरिजनल मौजूद हैं. यह बहुमूल्य धरोहर है सरकार की. इसे सभी को देखना चाहिए. यहां ओरिजनल कलाकृतियों को देखने का मौका मिलेगा. इसके अलावा आभूषण, वस्त्र, देवी देवता, पारंपरिक चिकित्सा तरीके और जीवनशैली से जुड़ी इस्तेमाल होने वाली चीजें यहां हैं. जीवन उपयोग के लिए औजार भी डिस्प्ले है. यहां एक बड़ी सी लाइब्रेरी है. इसमें 25 हजार किताबें हैं. रिसर्च से जुड़ा बहुत सारा मटेरियल यहां है.

भोपाल में मौजूद है अद्भुत आदिवासी म्यूजियम

भोपाल। आदिवासी संग्रहालय राजधानी भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित राजीव गांधी भवन मे संचालित आदिम जाति संस्थान के भीतर बना है. मध्यप्रदेश की जनजातियों का यह एक ऐसा संग्रहालय है जो अपने आपमें अनोखा और सबसे पुराना है. इसको देखकर साफ हो जाता है कि मध्यप्रदेश को जनजातीय प्रधान प्रदेश क्यों कहा जाता है. संग्रहालय के अधिकारी बीआर सातपूते ने बताया कि यहां कुल 4 कक्ष और एक गैलेरी हैं. इसमें मध्यप्रदेश मे निवास करने वाली 43 जनजातियों से जुड़ी सामग्री को रखा गया है. यह संग्रहालय 1965 में छिंदवाड़ा से भोपाल लाया गया था. इसमें वर्ष 1954 से जनजातियों से जुड़ी तमाम सामग्री प्रदर्शित की गई हैं.

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सभी जनजातियों का पूरा इतिहास व जीवनशैली एत छत के नीचे

प्राचीन जीवनशैली की झलक : इस संग्रहालय को देखकर पता लगता है कि यह हमारी दीर्घकालीन विरासत का आईना है. संग्रहालय में प्रदर्शित इन वस्तुओं को देखकर उस समय की तात्कालीन परिस्थितियों में कला कौशल व जीवनशैली को समझा जा सकता है. देखने वालों को समय संस्कृति विशेष को समझने में मदद मिलती है. आदिवासी जीवन एवं संस्कृति के विभिन्न आयामों पर शोध करने वाले छात्रों, आदिवासी संस्कृति में रुचि रखने वाले दर्शकों के लिये यह संग्रहालय जिज्ञासा व आकर्षण का केन्द्र है. रविवार और सरकारी अवकाश को छोड़कर यह संग्रहालय हर दिन सुबह 10.30 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है.

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MP का ये आदिवासी म्यूजियम है बहुत अद्भुत

क्या है यहां की खासियत : प्रदेश की जनजातियों की सामाजिक एवं सांस्कृतिक परम्पराओं से संबंधित चीजें जैसे आभूषण, वस्त्र विन्यास, चित्रकला, वाद्ययंत्र, देव-देवता, पारम्परिक चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली वन औषधियां, जीवनयापन के उपयोग की वस्तुएं, कृषि औजार, शिकार के अस्त्र-शस्त्र सहित विभिन्न जनजातियों के मूर्तिशिल्प का प्रदर्शन इस संग्रहालय में किया गया है. संग्रहालय के चार कमरों की एक गैलरी में कुल 880 डिस्प्ले प्रदर्शित हैं. विभाग के संयुक्त संचालक अवनीश चतुर्वेदी का कहना है कि मध्यप्रदेश में आदिम जाति अनुसंधान संस्थान एक विभागाध्यक्ष स्तर का कार्यालय है. जिसकी एक ही शाखा छिंदवाड़ा में है. इसके अलावा हमारी कोई शाखा नहीं है.

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आदिवासियों की चीजों को संग्रह करने वाला म्यूजियम

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लाइब्रेरी में 25 हजार किताबें : अवनीश चतुर्वेदी बताते हैं कि भोपाल में जो कार्यालय है, इसमें हम यहां पर ट्रेनिंग के सत्र आयोजित करते हैं. संग्रहालय में 800 से अधिक आर्टिकल फैक्ट ओरिजनल मौजूद हैं. यह बहुमूल्य धरोहर है सरकार की. इसे सभी को देखना चाहिए. यहां ओरिजनल कलाकृतियों को देखने का मौका मिलेगा. इसके अलावा आभूषण, वस्त्र, देवी देवता, पारंपरिक चिकित्सा तरीके और जीवनशैली से जुड़ी इस्तेमाल होने वाली चीजें यहां हैं. जीवन उपयोग के लिए औजार भी डिस्प्ले है. यहां एक बड़ी सी लाइब्रेरी है. इसमें 25 हजार किताबें हैं. रिसर्च से जुड़ा बहुत सारा मटेरियल यहां है.

Last Updated : Aug 9, 2023, 2:37 PM IST
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