भोपाल। वन डिपो से लकड़ी की नीलामी में अधिकारियों, नेताओं और ठेकेदारों की सांठगांठ को खत्म करने के लिए एक बार फिर ई-टेंडर की व्यवस्था की जा रही है. करीब तीन साल पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर टिमरनी और भौंरा के वन डिपो में ई-नीलामी शुरू की गई थी. हालांकि, बाद में इसे पूरे प्रदेश में लागू नहीं किया जा सका.
सरकार को मिलेंगे 50 करोड़ रुपये अधिक
कोरोना से खराब हुई प्रदेश की आर्थिक सेहत को सहारा देने के लिए एक बार फिर डिपो पर ई-टेंडर से नीलामी की व्यवस्था लागू करने की तैयारी की जा रही है. विभागीय मंत्री विजय शाह के मुताबिक इससे शासन की झोली में करीब 50 करोड़ रुपये अतिरिक्त आएंगे.
महाराष्ट्र और उत्तरांचल में होती है लकड़ी की ई-नीलामी
उत्तराखंड और महाराष्ट्र में जंगल की बेशकीमती इमारती लकड़ियों की ऑनलाइन नीलामी होती है. ऑनलाइन नीलामी के लिए यहां एक अलग से साॅफ्टवेयर तैयार किया गया है. महाराष्ट्र की तर्ज पर ही अब मध्यप्रदेश में भी लकड़ियों की ई-नीलामी की तैयारी की जा रही है.
लाट के आधार पर होती है नीलामी
वन विभाग के मंत्री विजय शाह के मुताबिक अभी तक वन विभाग द्वारा लकड़ियों की नीलामी बोली लगाकर कराई जाती है. लकड़ियों की यह नीलामी लकड़ी के लाट के आधार पर होती है. यह बात सामने आई है कि लकड़ियों की नीलामी में मिलीभगत से गड़बड़ियां होती हैं. इसको देखते हुए वन विभाग में जल्द ही टेंडर प्रक्रिया से नीलामी की व्यवस्था शुरू की जाएगी. इससे जहां गड़बड़ियां रुकेंगी, साथ ही शासन के राजस्व में करीब 50 करोड़ रुपए अतिरिक्त आएंगे.
हर साल करीब 600 करोड़ रुपए होते हैं प्राप्त
वन विभाग को वनोपज की नीलामी से हर साल करीब 600 करोड़ रुपये की आय होती है. शासन को उम्मीद है कि ऑनलाइन नीलामी से आय में और बढ़ोतरी होगी. हालांकि ऑनलाइन नीलामी की व्यवस्था लागू करने की कोशिश विभाग तीन साल पहले भी कर चुका है.
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प्रदेश के टिमरनी और भौंरा के वन डिपो में ई नीलामी शुरू की गई थी. बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू नहीं किया जा सका. न तो इसको लेकर ठेकेदारों ने रूचि दिखाई और न ही अधिकारियों ने.