भोपाल। महिला आरक्षण बिल में ओबीसी महिलाओं के लिए प्रावधान पर अड़ी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती क्या चुनावी साल में इस मुद्दे को हरा रखना चाहती हैं. पूर्व सीएम उमा भारती ने अपने ट्वीटर पर एक तस्वीर साझा करते हुए फिर इस मुद्दे को हवा दी है. उमा भारती ने जो तस्वीर ट्वीट की है. उसमें उनके अलावा कुछ महिलाएं हैं. तस्वीर के बारे में बताते हुए उमा भारती ने लिखा है कि ये सब बागवानी का काम करने वाली मजदूर महिलाए हैं. मेरे घर के पीपल के पेड़ के नीचे बैठी हैं. यदि महिला आरक्षण में पिछड़ी जाति कि महिलाओं का आरक्षण पीएम मोदी ने मंजूर कर लिया तो ये भी संसद में बैठ जाएंगी. चुनाव के बीच में उमा भारती का ओबीसी दांव क्या असर दिखाएगा...ओबीसी इस बार बीजेपी की ताकत बनेगा या कमजोरी.
ओबीसी आरक्षण पर अड़ी उमा भारती: महिला आरक्षण बिल लागू होने के साथ बगावती अंदाज में इस बिल में ओबीसी महिलाओं को आरक्षण देने की डिमांड कर चुकी उमा भारती क्या इस मुद्दे के साथ पार्टी में अपने पुर्नस्थापन की संभावनाएं तलाश रही हैं. इसमें दो राय नहीं कि मध्य प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक ओबीसी वर्ग की बीजेपी की सत्ता में भागीदारी रही है. 2003 में इसी वर्ग से आने वाली उमा भारती के सीएम बनने से लेकर उनके बाद बाबूलाल गौर और फिर शिवराज सिंह चौहान तक पार्टी में ओबीसी चेहरों को पूरी तवज्जो मिली.
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1. यह सब बागवानी का काम करने वाली मजदूर महिलाएं हैं, मेरे घर के पीपल के पेड़ के नीचे बैठी हैं।
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2. यदि महिला आरक्षण में पिछड़ी महिलाओं का आरक्षण मोदी जी ने मंजूर कर लिया तो यह भी संसद में बैठ जायेंगी। pic.twitter.com/ospaLMXvTm
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2. यदि महिला आरक्षण में पिछड़ी महिलाओं का आरक्षण मोदी जी ने मंजूर कर लिया तो यह भी संसद में बैठ जायेंगी। pic.twitter.com/ospaLMXvTm1. यह सब बागवानी का काम करने वाली मजदूर महिलाएं हैं, मेरे घर के पीपल के पेड़ के नीचे बैठी हैं।
— Uma Bharti (@umasribharti) September 20, 2023
2. यदि महिला आरक्षण में पिछड़ी महिलाओं का आरक्षण मोदी जी ने मंजूर कर लिया तो यह भी संसद में बैठ जायेंगी। pic.twitter.com/ospaLMXvTm
उमा भारती ओबीसी वर्ग की उन नेताओं में से हैं, जिनका अभी भी इस वर्ग पर होल्ड है. मध्यप्रदेश के चुनाव में ओबीसी वोटर का बड़ा हिस्सा अब भी वोट से पहले उमा भारती के इशारे को देखता है. महिला आरक्षण बिल के साथ ओबीसी के मुद्दे को उठा रहीं, उमा भारती क्या उसी ताकत को हथियार बना रही हैं. जिस तरह उन्होंने महिलाओं की तस्वीर ट्वीट कर फिर एक बार ये मुद्दा उठाया है. ये तय जानिए कि विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक उमा भारती इस मुद्दे को गर्म रखने वाली हैं.
पीएम मोदी को लिख चुकी हैं चिट्ठी: ओबीसी वर्ग की राजनीतिक ताकत कितनी बड़ी है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है. बुंदेलखंड जहां से खुद उमा भारती आती हैं. इसके अलावा ग्वालियर चंबल और विंध्य में ओबीसी वोटर प्रभावी है. ग्वालियर चंबल और बुंदेलखंड में एक दर्जन से ज्यादा जिले हैं. फिलहाल इस वर्ग पर कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी की पकड़ मजबूत है. करीब 61 सीटें हैं, यहां ओबीसी वर्ग की जिनमें से 40 सीटें बीजेपी के कब्जे में है. 61 सीटें तो सीधे प्रभाव की हैं, लेकिन पूरे प्रदेश में 90 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं. जहां ओबीसी वोटर का असर है.
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क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार: महिला बिल को लेकर तमाम तरह की अटकलें भी हैं और खास तौर से महिलाओं का सवाल भी है, की आखिर इसे 15 साल के लिए ही क्यों लागू किया गया. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक दिनेश गुप्ता का कहना है की "इस बिल के मुताबिक इसकी मियाद 15 साल की है, लेकिन इसमें प्रावधान भी है कि इसे 15 साल के बाद बढ़ा दिया जायेगा, तो 15 साल की मियाद का फैक्टर कोई मुद्दा नहीं है. दिनेश गुप्ता का कहना है कि इस बिल की अड़चनों का जिक्र करें तो सबसे पहली अड़चन जनसंख्या गणना है. इसमें 84 अमेंडमेंड किए गए हैं. हालांकि इस बिल को लागू करने के लिए वक्त भी लिया गया है."
साल 2029 का सोच रहे हैं पीएम मोदी: पत्रकार दिनेश गुप्ता का मानना है कि "पीएम मोदी अब 2029 का सोच रहे हैं. अगले आम चुनाव में ये बिल लागू हो जाएगा. ऐसे में जाहिर सी बात है कि इस बिल का क्रेडिट मोदी को ही जायेगा." हालांकि जानकारों का मानना है कि हाल ही में जो ओबीसी महिला आरक्षण का मुद्दा उठा है. खास तौर से इनकी पार्टी की नेता उमा भारती ने इसको लेकर अपनी नाराजगी जता दी है. जहां तक राजनीति के नजरिए से देखें तो ओबीसी महिला आरक्षण का मुद्दा बीजेपी के लिए गले की हड्डी बन चुका है. इससे बीजेपी को आने वाले चुनाव में नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.