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कोरोना संकट में आईएएस-आईपीएस अधिकारियों की पत्नियां कर रही मानव सेवा

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Published : May 25, 2021, 10:42 AM IST

Updated : May 25, 2021, 11:21 AM IST

कोरोना काल में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट मंडराने लगा है. ऐसे लोगों को भोजन उपलब्ध कराने में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की पत्नियां एक अहम भूमिका निभा रही हैं. आइए जानते हैं, कैसे कर रही हैं, ये सभी संकट के समय में मानव सेवा.

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भोपाल न्यूज

भोपाल। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है. ऐसे में प्रशासन के आला अफसर दिन रात हालात संभालने में जुटे हुए है, लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि इनके घरों में भी इस बात की चिंता हो रही है. इस दौर में इन आला अधिकारियों की धर्म पत्नियां समाज सेवा में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी निभा रही हैं. दूसरों की तकलीफ देखकर इन्हें भी ऐसा लगने लगा कि हम इस संकट के समय में परेशान लोगों की कुछ मदद तो कर ही सकते हैं. खास बात यह है कि यह सभी महिलाएं प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के परिवारों से हैं. हाउसवाइफ होते हुए भी इन्होंने भूखे-प्यासे लोगों के लिए एक टीम बनाई है जिसका नाम 'कोविड रीच आउट' है.

कोविड रीच आउट टीम

अब तक 30,000 लोगों में बांटा भोजन
इस टीम में कम से कम 400 से 500 लोग जुड़े हुए हैं. यह रोजाना तकरीबन दो हजार लोगों को भोजन के पैकेट बांटते हैं. खास तौर पर उन स्थानों पर यह भोजन वितरण होता है, जहां पर ज्यादा जरूरतमंद लोग होते हैं. रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप अस्पताल के साथ-साथ स्लम एरिया में अधिकतर भोजन बांटा जा रहा है. टीम के मेंबर बताते हैं की 15 दिन पहले यह काम शुरू किया था, लगभग 30,000 लोगों को अब तक भोजन बांटकर सेवा कार्य कर चुके हैं और आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा.

सीमा सुलेमान ने खुद जाकर भी बांटा भोजन
सीमा सुलेमान प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मोहम्मद सुलेमान की धर्मपत्नी हैं. मोहम्मद सुलेमान शासन में अपर मुख्य सचिव हैं, जो वर्तमान में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण चिकित्सा शिक्षा के साथ गैस राहत की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. सीमा बताती हैं कि उन्होंने 15 दिन पहले यह काम शुरू किया था. शुरुआत में 100 पैकेट भोजन के खुद जाकर बांटे थे. जिसके बाद उन्हें लगा कि लोगों को ज्यादा जरूरत है. इतने कम भोजन से काम नहीं चलेगा. फिर उन्होंने अपने दोस्तों से बात की और एक टीम बन गई. यह सिलसिला बढ़ता गया 100 पैकेट से शुरू हुई मानव सेवा का कार्य 2000 पैकेट तक पहुंच गया. इतने पैकेट वह रोजाना जरूरतमंदों तक पहुंचा पा रही हैं. उन्होंने बताया कि 1000 पैकेट सुबह बांटते हैं और इतने ही पैकेट शाम को बांट रहे हैं.

प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव ने ठाना जरूरतमदों की मदद करना
प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव वर्तमान में क्राइम अगेंस्ट वूमन पीएचक्यू की जिम्मेदारी बतौर एडीजी संभाल रही हैं. वह खुद एक आईपीएस अधिकारी हैं उनके पति मनु श्रीवास्तव आईएएस हैं, जो शासन में प्रमुख सचिव हैं. रिचा बताती हैं कि मीडिया ने हमें इस ओर आकर्षित किया कि जो लोग दिन भर कमाते खाते हैं, उनके लिए कुछ किया जाए, क्योंकि लॉकडाउन में इन्हें सबसे ज्यादा दिक्कत है. साथ ही ऐसे लोग जिनके परिजन अस्पतालों में भर्ती हैं. उनके लिए भोजन और पानी की व्यवस्था नहीं है. रिचा ने कहा, 'मैं खुद दफ्तर जाते हुए ऐसे हालात देख रही हूं. इन्हीं सब कारणों से मुझे लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करने की प्रेरणा मिली है.'

मानव सेवा में जुटी हैं रोली उपेंद्र जैन
रोली उपेंद्र जैन हाउसवाइफ हैं. उनके पति आईपीएस उपेंद्र जैन एडीजी/एमडी पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन हैं. रोली बताती हैं कि 'सीमा सुलेमान की प्रेरणा से हम सब इस ग्रुप में जुड़ पाए और लोगों की मदद कर रहे हैं. इस काम को करने से हमें यह संतोष है कि जो करना चाहते थे सही जगह पर पहुंच गया है. इस काम को करने में कभी कोई थकावट नहीं आती है. खाना बनाने वाले मेंबर्स भी सुबह 4:30 बजे से उठकर मेहनत करते हैं. हम कोशिश करते हैं कि सभी को ताजा और पोष्टिक भोजन पहुंचाया जा सके.'


गरीबों की मदद कर के खुश हैं क्षिप्रा विवेक पोरवाल
क्षिप्रा पोरवाल आईएएस विवेक पोरवाल की धर्मपत्नी हैं, विवेक पोरवाल मध्यप्रदेश शासन में सचिव हैं जो सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. क्षिप्रा कहती हैं कि इस मुहिम से जुड़ कर हमें एहसास हुआ कि हम यह काम करना चाहते थे, लेकिन इतना बड़ा प्लेटफार्म नहीं मिला. आज हम व्यवस्थित ढंग से यह काम कर पा रहे हैं. इससे हम खुश हैं और हमें संतोष भी है उन गरीबों के लिए मदद करने की यह कोशिश सफल हो पा रही है. इसमें हमारी पूरी टीम ने मेहनत की है.'

पुलिस के साथ सामाजिक संस्थाएं भी कर रही सहयोग
दरअसल, कोविड रिच आउट टीम के मेंबर्स यह काम 15 दिन से निरंतर करते आ रहे हैं. टीम के मेंबर्स ने अपना-अपना काम तय किया हुआ है. एक टीम खाना बनाने का काम करती है. दूसरी टीम स्थान चयनित करने का काम करती है और तीसरी टीम इस भोजन को जरूरतमंदों तक पहुंचाती है. इसमें पुलिस के अधिकारियों और जवानों का सबसे ज्यादा योगदान रहा है. साथ ही कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इस मुहिम में साथ दिया है. जो सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं. मेंबर्स बताते हैं कि शुरुआत से ही इनके परिजन भी इस मानव सेवा के कार्य में बढ़-चढ़कर सहयोग कर रहे हैं. प्रदेश ही नहीं पूरे देश भर के अलावा विदेशों से भी लोगों ने मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाएं हैं, जिससे जितना सहयोग बन रहा है अपने स्तर पर करने को तैयार हैं.

राशन का इंतजाम भी करती है टीम
टीम के सदस्य बताते हैं की हम भोजन के साथ जरूरतमंदों तक और भी सहायता पहुंचाने का प्रयास करते हैं. कुछ लोगों को दाल, चावल, आटा और नमक जैसी चीजें भी मुहैया करा रहे हैं, जो लोग रोजाना कमा कर खाते हैं. उनके लिए अलग से व्यवस्था की जा रही है खासकर स्लम एरिया में ऐसे लोग अधिक संख्या में रहते हैं. जिन्हें भोजन के साथ राशन की आवश्यकता भी होती है.ऐसे लोगों को भी घर पर ही यह सामान पहुंचाया जा रहा है.

रोज नया होता है खाने का मेनू
15 दिन से निरंतर अलग-अलग प्रकार का भोजन पैकेट के माध्यम से जरूरतमंदों तक पहुंचाया जा रहा है. टीम के सदस्य बताते हैं कि हम व्हाट्सएप ग्रुप पर हर दिन भोजन का मेनू डिस्कस करते हैं. इसके बाद जो तय होता है उसकी तैयारी की जाती है. एक दिन पहले ही सारा सामान किचन में पहुंचा दिया जाता है. कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए ही भोजन तैयार किया जाता है.

भोपाल। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है. ऐसे में प्रशासन के आला अफसर दिन रात हालात संभालने में जुटे हुए है, लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि इनके घरों में भी इस बात की चिंता हो रही है. इस दौर में इन आला अधिकारियों की धर्म पत्नियां समाज सेवा में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी निभा रही हैं. दूसरों की तकलीफ देखकर इन्हें भी ऐसा लगने लगा कि हम इस संकट के समय में परेशान लोगों की कुछ मदद तो कर ही सकते हैं. खास बात यह है कि यह सभी महिलाएं प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के परिवारों से हैं. हाउसवाइफ होते हुए भी इन्होंने भूखे-प्यासे लोगों के लिए एक टीम बनाई है जिसका नाम 'कोविड रीच आउट' है.

कोविड रीच आउट टीम

अब तक 30,000 लोगों में बांटा भोजन
इस टीम में कम से कम 400 से 500 लोग जुड़े हुए हैं. यह रोजाना तकरीबन दो हजार लोगों को भोजन के पैकेट बांटते हैं. खास तौर पर उन स्थानों पर यह भोजन वितरण होता है, जहां पर ज्यादा जरूरतमंद लोग होते हैं. रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप अस्पताल के साथ-साथ स्लम एरिया में अधिकतर भोजन बांटा जा रहा है. टीम के मेंबर बताते हैं की 15 दिन पहले यह काम शुरू किया था, लगभग 30,000 लोगों को अब तक भोजन बांटकर सेवा कार्य कर चुके हैं और आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा.

सीमा सुलेमान ने खुद जाकर भी बांटा भोजन
सीमा सुलेमान प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मोहम्मद सुलेमान की धर्मपत्नी हैं. मोहम्मद सुलेमान शासन में अपर मुख्य सचिव हैं, जो वर्तमान में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण चिकित्सा शिक्षा के साथ गैस राहत की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. सीमा बताती हैं कि उन्होंने 15 दिन पहले यह काम शुरू किया था. शुरुआत में 100 पैकेट भोजन के खुद जाकर बांटे थे. जिसके बाद उन्हें लगा कि लोगों को ज्यादा जरूरत है. इतने कम भोजन से काम नहीं चलेगा. फिर उन्होंने अपने दोस्तों से बात की और एक टीम बन गई. यह सिलसिला बढ़ता गया 100 पैकेट से शुरू हुई मानव सेवा का कार्य 2000 पैकेट तक पहुंच गया. इतने पैकेट वह रोजाना जरूरतमंदों तक पहुंचा पा रही हैं. उन्होंने बताया कि 1000 पैकेट सुबह बांटते हैं और इतने ही पैकेट शाम को बांट रहे हैं.

प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव ने ठाना जरूरतमदों की मदद करना
प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव वर्तमान में क्राइम अगेंस्ट वूमन पीएचक्यू की जिम्मेदारी बतौर एडीजी संभाल रही हैं. वह खुद एक आईपीएस अधिकारी हैं उनके पति मनु श्रीवास्तव आईएएस हैं, जो शासन में प्रमुख सचिव हैं. रिचा बताती हैं कि मीडिया ने हमें इस ओर आकर्षित किया कि जो लोग दिन भर कमाते खाते हैं, उनके लिए कुछ किया जाए, क्योंकि लॉकडाउन में इन्हें सबसे ज्यादा दिक्कत है. साथ ही ऐसे लोग जिनके परिजन अस्पतालों में भर्ती हैं. उनके लिए भोजन और पानी की व्यवस्था नहीं है. रिचा ने कहा, 'मैं खुद दफ्तर जाते हुए ऐसे हालात देख रही हूं. इन्हीं सब कारणों से मुझे लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करने की प्रेरणा मिली है.'

मानव सेवा में जुटी हैं रोली उपेंद्र जैन
रोली उपेंद्र जैन हाउसवाइफ हैं. उनके पति आईपीएस उपेंद्र जैन एडीजी/एमडी पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन हैं. रोली बताती हैं कि 'सीमा सुलेमान की प्रेरणा से हम सब इस ग्रुप में जुड़ पाए और लोगों की मदद कर रहे हैं. इस काम को करने से हमें यह संतोष है कि जो करना चाहते थे सही जगह पर पहुंच गया है. इस काम को करने में कभी कोई थकावट नहीं आती है. खाना बनाने वाले मेंबर्स भी सुबह 4:30 बजे से उठकर मेहनत करते हैं. हम कोशिश करते हैं कि सभी को ताजा और पोष्टिक भोजन पहुंचाया जा सके.'


गरीबों की मदद कर के खुश हैं क्षिप्रा विवेक पोरवाल
क्षिप्रा पोरवाल आईएएस विवेक पोरवाल की धर्मपत्नी हैं, विवेक पोरवाल मध्यप्रदेश शासन में सचिव हैं जो सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. क्षिप्रा कहती हैं कि इस मुहिम से जुड़ कर हमें एहसास हुआ कि हम यह काम करना चाहते थे, लेकिन इतना बड़ा प्लेटफार्म नहीं मिला. आज हम व्यवस्थित ढंग से यह काम कर पा रहे हैं. इससे हम खुश हैं और हमें संतोष भी है उन गरीबों के लिए मदद करने की यह कोशिश सफल हो पा रही है. इसमें हमारी पूरी टीम ने मेहनत की है.'

पुलिस के साथ सामाजिक संस्थाएं भी कर रही सहयोग
दरअसल, कोविड रिच आउट टीम के मेंबर्स यह काम 15 दिन से निरंतर करते आ रहे हैं. टीम के मेंबर्स ने अपना-अपना काम तय किया हुआ है. एक टीम खाना बनाने का काम करती है. दूसरी टीम स्थान चयनित करने का काम करती है और तीसरी टीम इस भोजन को जरूरतमंदों तक पहुंचाती है. इसमें पुलिस के अधिकारियों और जवानों का सबसे ज्यादा योगदान रहा है. साथ ही कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इस मुहिम में साथ दिया है. जो सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं. मेंबर्स बताते हैं कि शुरुआत से ही इनके परिजन भी इस मानव सेवा के कार्य में बढ़-चढ़कर सहयोग कर रहे हैं. प्रदेश ही नहीं पूरे देश भर के अलावा विदेशों से भी लोगों ने मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाएं हैं, जिससे जितना सहयोग बन रहा है अपने स्तर पर करने को तैयार हैं.

राशन का इंतजाम भी करती है टीम
टीम के सदस्य बताते हैं की हम भोजन के साथ जरूरतमंदों तक और भी सहायता पहुंचाने का प्रयास करते हैं. कुछ लोगों को दाल, चावल, आटा और नमक जैसी चीजें भी मुहैया करा रहे हैं, जो लोग रोजाना कमा कर खाते हैं. उनके लिए अलग से व्यवस्था की जा रही है खासकर स्लम एरिया में ऐसे लोग अधिक संख्या में रहते हैं. जिन्हें भोजन के साथ राशन की आवश्यकता भी होती है.ऐसे लोगों को भी घर पर ही यह सामान पहुंचाया जा रहा है.

रोज नया होता है खाने का मेनू
15 दिन से निरंतर अलग-अलग प्रकार का भोजन पैकेट के माध्यम से जरूरतमंदों तक पहुंचाया जा रहा है. टीम के सदस्य बताते हैं कि हम व्हाट्सएप ग्रुप पर हर दिन भोजन का मेनू डिस्कस करते हैं. इसके बाद जो तय होता है उसकी तैयारी की जाती है. एक दिन पहले ही सारा सामान किचन में पहुंचा दिया जाता है. कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए ही भोजन तैयार किया जाता है.

Last Updated : May 25, 2021, 11:21 AM IST
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