भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर सियासी मिजाज इन दिनों अपने चरम पर है. कमलनाथ की सरकार गिराकर सत्ता हासिल करने वाली बीजेपी को कांग्रेस कड़ी चुनौती दे रही है. हालात ये है कि बीजेपी के नेता अलग-अलग मोर्चा संभाले हुए हैं फिर भी उनकी सभाओं में भीड़ नहीं उमड़ रही है. वहीं दूसरी तरफ कमलनाथ अकेले चुनावी सभाओं का मोर्चा संभाले हुए हैं और उनकी सभाओं में भारी संख्या में भीड़ उमड़ रही है.
उपचुनाव में क्या कारगर होगी कमलनाथ की रणनीति
दरअसल इसके पीछे कमलनाथ के चुनावी प्रबंधन की रणनीति को अहम माना जा रहा है. जानकारों की मानें तो कमलनाथ के चुनावी प्रबंधन को आरएसएस और भाजपा की शैली का चुनावी प्रबंधन कहा जा रहा है. इस बार कमलनाथ ने मतदाता सूची के पन्नों के आधार पर पेज प्रभारी नियुक्त किए हैं. हर बूथ पर उन्होंने बूथ प्रभारी नियुक्त किए हैं. इसके अलावा उन्होंने ब्लॉक की इकाई को मंडल और सेक्टर में बांट दिए हैं. दस बूथ का जिम्मा एक पूर्व विधायक को दिया गया है. और विधानसभा क्षेत्र के एक सेक्टर का जिम्मा एक पूर्व मंत्री को सौंपा गया है.
बंद कमरे में कमलनाथ का मंथन
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद शिवराज चौहान की सरकार अस्तित्व में आई. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भोपाल स्थित अपने शासकीय आवास से हिले नहीं. न तो उनके छिंदवाड़ा जाने की जानकारी सामने आई और न ही उनके दिल्ली दौरों की चर्चा हुई. कमलनाथ लॉकडाउन के दौरान लोगों की समस्या को लेकर लगातार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को चिट्ठियां लिखते रहें, और अपने चुनाव प्रबंधन का काम करते रहे. उन्होंने संघ और बीजेपी के चुनाव प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए उन्हीं की शैली में बीजेपी को हराने के लिए रणनीति बनाई हैं.
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कांग्रेस ने बनाई ये रणनीति
हर पन्ने के प्रभारियों के ऊपर एक बूथ प्रभारी बनाया गया.
10 बूथ के ऊपर एक पूर्व विधायक को जिम्मेदारी सौंपी गई.
विधानसभा क्षेत्र के एक सेक्टर का प्रभार एक पूर्व मंत्री को दिया गया.
RSS और बीजेपी की तर्ज पर वोटर लिस्ट के हर पन्ने का अलग-अलग प्रभारी बनाया गया.
एक-एक मतदाता से संपर्क करने की कांग्रेस ने रणनीति बनाई.
इधर बीजेपी प्रवक्ता राकेश शर्मा की माने तो कांग्रेस पार्टी कमलनाथ की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गई है. और कांग्रेस के नेता नाराज होकर अपने घरों में बैठे हैं. और आरएसएस की तुलना कभी कमलनाथ से नहीं की जा सकती है. क्योंकि कमलनाथ एक उद्योगपति हैं और कांग्रेस को उद्योग की तरह चला रहे हैं.
कांग्रेस की 'RSS रणनीति'
कमलनाथ की चुनावी सभाओं को लेकर वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी का कहना है कि कमलनाथ 8-9 बार छिंदवाड़ा के सांसद रह चुके हैं. इस बार चुनाव प्रचार के लिए उन्होंने एक- एक बूथ पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी है. कांग्रेस में पहली बार ऐसा हो रहा है जब कांग्रेस आरएसएस और बीजेपी के अंदाज में व्यवस्थित तरीके से चुनाव लड़ रही है.
कौन किस पर होगा भारी ?
खैर इस उपचुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर मानी जा रही है. जहां एक ओर बीजेपी जीत के दावे कर रही है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस बीजेपी को गद्दार साबित करके उपचुनाव में जीत की उम्मीद लगाए बैठी है. लिहाजा कौन किस पर भारी होगा ये आने वाला वक्त बताएगा.