भोपाल। बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने वाले पूर्व मंत्री दीपक जोशी के बयानों में कॉमन केवल एक बात है कि उन्होंने अपने हर दूसरे बयान में सीएम शिवराज सिंह चौहान को निशाना बनाया है. तो क्या कांग्रेस का रोशन करने का दम दिखा रहे दीपक जोशी चुनावी साल में सारे तीर सीएम शिवराज के नाम पर ही छोड़ेगे. क्या दीपक वाकई में बुधनी से चुनाव लड़ेंगे. बता दें कि बुधनी सीएम शिवराज सिंह का विधानसभा क्षेत्र है.
ये बयान बीजेपी के लिए टेंशन : दीपक जोशी के ये बयान गौर करने लायक हैं. "मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कारण मेरी पत्नी को एंबुलेंस नहीं मिली. इसी वजह से उनकी मौत हुई. शिवराज जी मुझे भले ही छोटा भाई मानते हों लेकिन मैं उन्हें बड़ा भाई नहीं मानता. कमलनाथ जी ने कैलाश जोशी जी के स्मारक के लिए तीन मिनट में जमीन दे दी. शिवराज जी को स्मारक बनवाने में तीन साल लग गए. मैं उस पिच का खिलाड़ी हूं जिस पर शिवराज जीरो और मैं हीरो रहा हूं. पिता के अपमान का बदला लेना है चुनाव बुधनी से लड़ूंगा." खास बात यह है कि इतनी नाराजगी दीपक जोशी ने पार्टी संगठन से नहीं जताई. जब वह ये कह चुके थे कि अब बीजेपी में वापसी नहीं करेंगे तो इसके बाद उन्होंने बड़ी चुनौती सीएम शिवराज को ही दी.
सीएम शिवराज ही निशाने पर : दीपक जोशी ने कहा कि वह सीएम शिवराज से अपने पिता कैलाश जोशी के अपमान का बदला लेना चाहते हैं. यह भी स्पष्ट किया कि वे कांग्रेस विधायक की किसी सीट से उनका हक नहीं मारेंगे और उस मैदान से भी नहीं उतरेंगे जो उनका अपना बनाया हुआ है. अब सवाल उठता है कि दीपक के तरकश में शिवराज के नाम के कितने तीर हैं. दीपक जोशी ने मीडिया से जितनी बार संवाद किया तो निशाने पर शिवराज सिंह चौहान ही रहे. उन्होंने मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर बड़े आरोप भी लगाए.
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पिता के अपमान का मुद्दा : अब तक कमलनाथ के निशाने पर शिवराज सिंह चौहान रहे हैं. लेकिन जिस रफ्तार से दीपक जोशी ने तीर छोड़े हैं, वो खिलाफत पहले दिखाई नहीं दी. दीपक जोशी ने अपने पिता दिवंगत बीजेपी नेता कैलाश जोशी के स्मारक को भी मुद्दा बनाया. दीपक जोशी ने इसके जरिए ये संदेश भी देने की कोशिश की कि पार्टी के भीतर संगठन के पुरोधाओं का कितना सम्मान बाकी रहा है. बिना किसी का नाम लिए दीपक जोशी ने खुलकर कहा कि उनके पिता मुख्यमंत्री रहे, सांसद रहे लेकिन भोपाल में भी उनकी स्मृति को सहेजने का कोई प्रयास नहीं हुआ.