भोपाल। मध्यप्रदेश में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव के सेमीफाइलन समझे जा रहे नगरीय निकाय चुनाव में दोनों प्रमुख दलों ने दांव-पेच चलने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इसके बाद भी पहले चरण में उम्मीद के विपरीत कम वोटिंग होने से सियासत के खिलाड़ियों, जानकारों के अलावा राज्य चुनाव आयोग भी हैरान है. अब सियासी दलों का गुणा-भाग जारी है. कहां तो उम्मीद थी कि बारिश थमी रहेगी तो वोटर घरों से निकलेंगे, लेकिन 11 नगर निगमों में मतदान का प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में काफी घट गया. प्रदेश की राजधानी भोपाल, ग्वालियर, सागर, खंडवा, बुरहानपुर के साथ ही सागर में पिछले चुनाव की तुलना में मतदान बहुत कम रहा. सिंगरौली में तो 12.28 प्रतिशत तक मतदान कम हुआ. भोपाल में 4.4% , ग्वालियर में 9.41% वोट कम पड़े. कुल 133 निकायों के चुनावों में 61 फीसदी तक वोटिंग हुई. दोनों पार्टियों की ओर से कहा गया था कि विधायक-सांसद सक्रिय रहें, लेकिन इसके बाद भी वोटिंग कम हुई है.
भोपाल और इंदौर को लेकर बीजेपी इसलिए आशंकित : बीजेपी का फोकस वैसे तो प्रदेश के सभी नगर निगमों पर कब्जा करने का रहा. इसके बाद भी खास फोकस प्रदेश के चार महानगरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर पर रहा. भोपाल में बीजेपी के वोट बैंक वाले इलाकों में कम वोटिंग हुई. वहीं, जहां उसका वोट बैंक कमजोर है वहां मतदान का प्रतिशत अच्छा रहा. भोपाल में करीब साढ़े चार फीसदी मतदान पिछले चुनाव की तुलना में कम हुआ है. इंदौर को लेकर बीजेपी आशंकित थी, क्योंकि यहां से कांग्रेस की ओर विधायक संजय शुक्ला महापौर के प्रत्याशी हैं. संजय शुक्ला का जनाधार अच्छा खासा है और फिर वह धनबल के मामले में भी बहुत आगे हैं. हालांकि इंदौर में पिछली चुनाव की तुलना में मतदान का प्रतिशत करीब डेढ़ फीसदी कम रहा. इससे बीजेपी यहां राहत की कुछ सांस ले सकती है. जबलपुर में भी करीब तीन फीसदी मतदान पिछले चुनाव की तुलना में कम हुआ. जबलपुर को लेकर बीजेपी अभी भी उत्साहित दिख रही है.
ग्वालियर, उज्जैन, खंडवा व बुरहानपुर ने बढ़ाया टेंशन : ग्वालियर में मतदान ने बीजेपी को चौंका दिया है. यहां करीब 9 फीसदी कम वोटिंग हुई है. सागर में कांग्रेस शुरू से ही आगे दिख रही थी. क्योंकि यहां से उसके स्थानीय विधायक शैलेंद्र जैन शुरू से नाराज दिखे. कांग्रेस ने सागर से जैन को उम्मीदवार बनाया और वह विधायक के परिवार से आती हैं. इसलिए सागर में इस बार बीजेपी को झटका लग सकता है. उज्जैन को बीजेपी को गढ़ कहा जाता है लेकिन इस बार यहां 6 फीसदी वोट कम पड़े हैं, जो बीजेपी के लिए चिंता का सबब है. पार्टी के दिग्गज मानकर चल रहे थे कि निमाड़ के खंडवा और बुरहानपुर में उसे बीते 15 साल से कोई हिला नहीं पाया है. लेकिन वहां भी मतदान के प्रतिशत ने बीजेपी को हैरान -परेशान करके रख दिया है.
बीजेपी खेमे में टेंशन के ये हैं कारण :
- पिछले 2014 चुनाव की तुलना में कम प्रतिशत वोटिंग
- टिकट न मिलने से नाराज नेताओं को अंत तक खूब मनाया लेकिन पूरे प्रदेश में बागी नहीं माने.
- सीएम शिवराज ने बड़े शहरों में बीते 15 दिन में कई सभाएं-रोड शो किए, फिर भी मतदान का प्रतिशत नहीं बढ़ा
- विधायकों- सांसदों को बार-बार खुली चेतावनी देने के बाद भी वे पूरे मनोयोग से चुनाव के मैदान में नहीं उतरे
- जिन इलाकों में बीजेपी का वोट बैंक है, वहां कम मतदाता घर से निकले
- मतदाताओं के मन में महंगाई जैसे मुद्दे रहे, बीजेपी नेता जनता को समझा नहीं सके
बीजेपी ने कम मतदान का ठीकरा निर्वाचन आयोग पर फोड़ा : पहले चरण में मतदान का अंतिम आंकड़ा आने के बाद बीजेपी खेमे में खलबली मच गई. सीएम शिवराज, प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा सिंह सहित संगठन के दिग्गज बीजेपी मुख्यालय में जमा हुए. कम मतदान को लेकर गुणा-भाग चलता रहा. अगले दिन गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी प्रतिनिधिमंडल राज्य निर्वाचन आयोग पहुंचा और मतदान को लेकर अव्यवस्थाएं और अनियमितताओं को लेकर शिकायत की. बीजेपी ने दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ की कार्रवाई की मांग की. बीजेपी ने पहले चरण में कम हुए मतदान से परेशान बीजेपी ने इसका ठीकरा राज्य निर्वाचन आयोग पर फोड़ दिया. भोपाल में बीजेपी प्रतिनिधिमंडल ने राज्य निर्वाचन आयुक्त से मुलाकात कर कहा कि पहले चरण में मतदाताओं को आयोग की वज़ह से बहुत दिक्कत हुईं और अब दूसरे चरण में मतदाता पर्ची को लेकर लोगों को भटकना न पड़े. ये व्यवस्था आयोग कराए. जिससे लोग वोट डाल सकें. प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयुक्त से कहा कि नगरीय निकाय चुनाव के प्रथम चरण के चुनाव में आयोग ने मतदाताओं को जागरूक नही किया, जिसके कारण मतदान में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.बीएलओ के पर प्रभावी नियंत्रण नहीं होने के कारण मतदान की पर्चियॉं मतदाताओं को वितरित नहीं की, जिसके कारण मतदान प्रतिशत कम हुआ है.
ये रहा वोट प्रतिशत :
शहर 2014 2022
भोपाल- 56 51. 51.60
इंदौर- 61.77 60
ग्वालियर- 58 49
जबलपुर- 62.96 60
उज्जैन- 65 59
सागर- 65 60
सतना- 67.82 63
खंंडवा- 65 55
बुरहानपुर- 75.40 68
सिंगरौली- 64 59
दावा दोनों दल कर रहे, आश्वस्त कोई नहीं : नगरीय निकाय में बाजी मारने के लिए बीजेपी व कांग्रेस के दिग्गजों ने जिस तरह से बीते 15 दिनों में पसीना बहाया. जिस तरह से चुनाव आयोग द्वारा अपने मताधिकार की अपील की जा रही थी. और दिनभर मौसम खुला होने के बावजूद मतदान को लेकर माहौल का सुस्त रहना, क्या दर्शाता है. मतदाताओं की इस मानसिकता का अध्ययन करने के लिए बीजेपी व कांग्रेस के दिग्गज माथापच्ची में लगे हैं. हमेशा की भांति दावा दोनों दल कर रहे हैं. जहां कांग्रेस अंदर ही अंदर इस बात को लेकर संतुष्ट है कि उसके वोट बैंक वाले इलाकों में मतदान ठीकठाक रहा तो वहीं बीजेपी इसलिए परेशान है क्योंकि उसके वोट बैंक वाले इलाकों में वोट कम पड़े. बता दें कि नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में 11 नगर निगम, 36 नगर पालिका और 86 नगर परिषद में मतदान हुआ. इनके लिए कुल महापौर पद के 101 अभ्यर्थी चुनाव मैदान में हैं. पार्षदों के पद 2850 हैं. इनमें से 42 पदों पर निर्विरोध निर्वाचन हो चुका है. बाकी 2808 पदों पर चुनाव हुआ. इसके लिए 11 हजार 250 अभ्यर्थी चुनाव लड़ रहे हैं.
इतनी तैयारी के बाद भी गड़बड़ियां : राज्य चुनाव आयोग द्वारा इतनी व्यापक तैयारियां करने के बाद भी लगभग हर शहर में ईवीएम खराब होने की शिकायतें व्यापक स्तर पर आईं. एक आंकड़े के मुताबिक प्रदेश में 50 हजार से अधिक वोटर अपने अधिकार से वंचित हो गए. ये वो वोटर हैं जो मतदान केंद्र पर गए लेकिन ईवीएम खराब होने या वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के कारण वोट नहीं कर सके. सागर के बीजेपी विधायक शैलेंद्र जैन ईवीएम मशीन खराब हो जाने के कारण मतदान नहीं कर सके.