भोपाल। 2020 की तरह ही एक बार भी एमपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री पद के मजबूत दावेदार बनकर उभरें हैं. उधर, राजस्थान में ज्योतिरादित्य की बुआ वसुंधरा राजे सीएम पद की दौड़ में सबसे मजबूत दावेदार मानी जा रही हैं. ये पहला मौका होगा, जब सिंधिया परिवार के राजनीतिक वारिस एक ही पार्टी में एक साथ सीएम पद के सबसे बड़े दावेदार के तौर पर कतार में है.
क्या वाकई राजपरिवार का राजयोग चल रहा: सवाल ये है कि राजपरिवार के बुआ भतीजे का क्या वाकई राजयोग चल रहा है? सियासी गणित के मुताबिक क्या ये सिंधिया परिवार के बुआ भतीजे की सियासी लैंडिंग के लिए रनवे मिल सकता है? जानकार मान रहे हैं कि वसुंधरा के पास विधायकों का दम है और राजस्थान की राजनीति का लंबा तजुर्बा भी. बीजेपी की जनरेशन नैक्सट के नजरिए से सिंधिया बीजेपी की राईट च्वाइस हो सकते हैं.
बुआ भतीजे में किसके हिस्से सत्ता का योग: ये इत्तेफाक है कि पांच राज्यों के चुनाव में दो राज्यों में सीएम पद के दावेदारों के नाम में एक चीज कॉमन है, वो है सिंधिया. एक तरफ राजस्थान में बुआ वसुंधरा राजे सीएम पद के लिए अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रही हैं. दूसरी तरफ एमपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया दावा तो पेश नहीं कर रहे हैं, लेकिन उन्हे सीएम पद का मजबूत दावेदार माना जा रहा है. असल में इनमें से किसी एक को भी अगर मुख्यमंत्री पद के लिए चुना जाता है, तो पार्टी सिंधिया राजपरिवार के प्रभाव को लोकसभा चुनाव में भुनाने में कामयाब हो सकती हैं.
सिंधिया परिवार को कमान, यानि राजमाता की पीढी को मान: राजमाता विजयाराजे सिंधिया बीजेपी के फाउंडर मैम्बर्स में रही हैं. बीजेपी किसी एक सिंधिया को इस पद से नवाज कर बड़ा संदेश भी दे सकती है. पार्टी ये संदश दे सकती है कि सिंधिया परिवार के सदस्य को कमान देकर पार्टी ने एक बार फिर राजमाता की राजनीतिक विरासत को उनकी पीढ़ी को मान दिया है.
शिवराज की तरह सबसे ज्यादा लोकप्रिय सिंधिया: वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक दिनेश गुप्ता कहते हैं, 'राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे का मुख्यमंत्री पद के लिए दावा एक दम नैचुरल सा लगता है. इतने वर्षों की उनकी वहां मेहनत है. उनके पास सपोर्ट है. मध्यप्रदेश की बात करें, तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कोई दावा नहीं किया है. जब वो कांग्रेस में थे, तब भी नहीं किया था.
लेकिन उन्हें दावेदार माना जा रहा है. मैं ये मानता हूं कि बीजेपी का उनको लेकर कोई प्लान तो होगा. इस समय वो बीजेपी के सीएम पद के दावेदारों में सबसे युवा हैं. नरेन्द्र सिंह तोमर से लेकर कैलाश विजयवर्गीय प्रहलाद पटेल सब साठ पार के नेता हैं. लोकप्रियता के हिसाब से भी सिंधिया बेटर विकल्प हैं. उनकी लोकप्रियता शिवराज की तरह ही है.
अगर बीजेपी को आगे की जनरेशन के हिसाब से फैसला लेना है, तो सिंधिया से बेहतर विकल्प नहीं. बाकी सेंट्रल लीडरशिप को भी युवा चेहरों की जरुरत है. इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता.