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जानें क्या है फुलेरा, Hartalika Teej में क्यों होता है इसका उपयोग

भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती से मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए विवाह योग्य युवतियां और महिलाएं हरतालिका व्रत (Hartalika Vrat) रखती हैं. इस दिन घरों में गुजिया, पापड़ियां बनती हैं, तो बाजार में भी फुलहरा और गौरा-पार्वती की मूर्ति और पूजन-सामग्री से सजा रहता है. हरितालिका तीज (Hartalika Teej) के दिन सौभाग्यवती माताएं और बहनें भगवान शिव, गौरी, गणपति, माता पार्वती, माता महालक्ष्मी के अनुग्रह प्राप्त करने के लिए फुलेरा (Phulera) का निर्माण करती है. जानें फलेरा का महत्व

Hartalika Teej
हरतालिका व्रत
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Published : Sep 7, 2021, 10:41 AM IST

रायपुर/भोपाल। सनातन संस्कृति (Sanatan Culture) में पुष्प, कुसुम या फूलों का बहुत ही महत्व है. भगवान को पुष्पों की माला बहुत ही प्रिय हैं. हरितालिका तीज (Hartalika Teej) के दिन सौभाग्यवती माताएं और बहनें भगवान शिव, गौरी, गणपति, माता पार्वती, माता महालक्ष्मी के अनुग्रह प्राप्त करने के लिए फुलेरा (Phulera) का निर्माण करती हैं. फुलेरा बांस की लकड़ियों से बनाया जाता है. इसको बनाने के लिए कटर, टेप, धागा और फूल की जरूरत पड़ती है.

Hartalika Teej में फुलेरा का महत्व.

तीज के दिन बांस की पतली लकड़ियों से बनाया जाता है फुलेरा
फुलेरा (Phulera) को बांस की पतली लकड़ियों को छिलकर सुंदरता के साथ बनाने का विधान है. फूलों (Fragnance of Flowers) की खुशबू मन को सुकून और शांति प्रदान करती है. फूलों की महक से चारों ओर वातावरण सुगंधित और शीतलमय हो जाता है. इससे शीतलता और देखने वालों को आराम मिलता है. फुलेरा देवी माता के लिए और भगवान शिव के लिए विशेष रूप से बनाया जाता है. विभिन्न रंगों के फूल का प्रयोग करते हुए उसका सौंदर्य निखर कर सामने आता है. फुलेरा को महिलाएं अपने आप को ताजा ऊर्जावान और खुशनुमा बनाए रखने के लिए भी अपने केशों के ऊपर लगाती हैं. इसे सरलता पूर्वक और सरल विधि से बनाया जाना चाहिए. किसी भी किस्म का जटिलता से माता बहनों को तकलीफ हो सकती है.

माता पार्वती ने भगवान शिव को कई रंगों के फूलों से किया प्रसन्न
हरितालिका व्रत में फूलों की शीतलता इनकी भीनी खुशबू वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाए रखती है. इस पर्व में फुलेरा का बहुत ही महत्व है. आदिकाल से यह परंपरा बनी हुई हैं. माता पार्वती (Maa Parvati) ने भी अनादि शंकर की प्राप्ति के लिए अनेक सुंदर रंगों के पुष्पों से भगवान शिव को प्रसन्न किया था. दक्षिण प्रांत में खासकर महिलाएं विभिन्न रंगों का आकर्षक और मनोरम फुलेरा (beautiful phulera) बनाती हैं और घर के चारों ओर पूजा स्थल के साथ-साथ अन्य जगहों पर लगाती हैं. यह माताओं और बहनों को निर्जला उपवास रहने के लिए प्रेरित करता है.

फुलेरा की कुछ प्रमुख सामग्री

  • चिलबिनिया, नवकंचनी, नवबेलपत्र, सागौर के फूल, हनुमंत सिंदूरी, शिल भिटई, शिवताई, वनस्तोगी.
  • हिमरितुली, लज्जाती, बिजिरिया, धतूरे का फूल, धतूरा, मदार, तिलपत्ती.
  • बिंजोरी, निगरी, रांग पुष्प, देवअंतु, चरबेर, झानरपत्ती, मौसत पुष्प, सात प्रकार की समी.

Hartalika teej 2020: निर्जला व्रत रखकर सुहागिनों ने किया हरतालिका तीज का व्रत

फुलेरा का महत्व

पुराणों में वर्णित हरतालिका व्रत में जिन प्राकृतिक फूल-पत्तियों और जड़ी-बूटियों का वर्णन किया गया है, उन्हीं चीजों का उपयोग करके फुलहरा बनाया जाता है. इस फुलेरा को बनाने में 4-5 घंटे का समय लग जाता है. फुलेरा की लंबाई 7 फुट होती है. यह प्राकृतिक फुलेरा तीज पर बांधा जाता है. फुलेरा में कुछ विशेष प्रकार की पत्तियों और फूलों का प्रयोग होता है.

रायपुर/भोपाल। सनातन संस्कृति (Sanatan Culture) में पुष्प, कुसुम या फूलों का बहुत ही महत्व है. भगवान को पुष्पों की माला बहुत ही प्रिय हैं. हरितालिका तीज (Hartalika Teej) के दिन सौभाग्यवती माताएं और बहनें भगवान शिव, गौरी, गणपति, माता पार्वती, माता महालक्ष्मी के अनुग्रह प्राप्त करने के लिए फुलेरा (Phulera) का निर्माण करती हैं. फुलेरा बांस की लकड़ियों से बनाया जाता है. इसको बनाने के लिए कटर, टेप, धागा और फूल की जरूरत पड़ती है.

Hartalika Teej में फुलेरा का महत्व.

तीज के दिन बांस की पतली लकड़ियों से बनाया जाता है फुलेरा
फुलेरा (Phulera) को बांस की पतली लकड़ियों को छिलकर सुंदरता के साथ बनाने का विधान है. फूलों (Fragnance of Flowers) की खुशबू मन को सुकून और शांति प्रदान करती है. फूलों की महक से चारों ओर वातावरण सुगंधित और शीतलमय हो जाता है. इससे शीतलता और देखने वालों को आराम मिलता है. फुलेरा देवी माता के लिए और भगवान शिव के लिए विशेष रूप से बनाया जाता है. विभिन्न रंगों के फूल का प्रयोग करते हुए उसका सौंदर्य निखर कर सामने आता है. फुलेरा को महिलाएं अपने आप को ताजा ऊर्जावान और खुशनुमा बनाए रखने के लिए भी अपने केशों के ऊपर लगाती हैं. इसे सरलता पूर्वक और सरल विधि से बनाया जाना चाहिए. किसी भी किस्म का जटिलता से माता बहनों को तकलीफ हो सकती है.

माता पार्वती ने भगवान शिव को कई रंगों के फूलों से किया प्रसन्न
हरितालिका व्रत में फूलों की शीतलता इनकी भीनी खुशबू वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाए रखती है. इस पर्व में फुलेरा का बहुत ही महत्व है. आदिकाल से यह परंपरा बनी हुई हैं. माता पार्वती (Maa Parvati) ने भी अनादि शंकर की प्राप्ति के लिए अनेक सुंदर रंगों के पुष्पों से भगवान शिव को प्रसन्न किया था. दक्षिण प्रांत में खासकर महिलाएं विभिन्न रंगों का आकर्षक और मनोरम फुलेरा (beautiful phulera) बनाती हैं और घर के चारों ओर पूजा स्थल के साथ-साथ अन्य जगहों पर लगाती हैं. यह माताओं और बहनों को निर्जला उपवास रहने के लिए प्रेरित करता है.

फुलेरा की कुछ प्रमुख सामग्री

  • चिलबिनिया, नवकंचनी, नवबेलपत्र, सागौर के फूल, हनुमंत सिंदूरी, शिल भिटई, शिवताई, वनस्तोगी.
  • हिमरितुली, लज्जाती, बिजिरिया, धतूरे का फूल, धतूरा, मदार, तिलपत्ती.
  • बिंजोरी, निगरी, रांग पुष्प, देवअंतु, चरबेर, झानरपत्ती, मौसत पुष्प, सात प्रकार की समी.

Hartalika teej 2020: निर्जला व्रत रखकर सुहागिनों ने किया हरतालिका तीज का व्रत

फुलेरा का महत्व

पुराणों में वर्णित हरतालिका व्रत में जिन प्राकृतिक फूल-पत्तियों और जड़ी-बूटियों का वर्णन किया गया है, उन्हीं चीजों का उपयोग करके फुलहरा बनाया जाता है. इस फुलेरा को बनाने में 4-5 घंटे का समय लग जाता है. फुलेरा की लंबाई 7 फुट होती है. यह प्राकृतिक फुलेरा तीज पर बांधा जाता है. फुलेरा में कुछ विशेष प्रकार की पत्तियों और फूलों का प्रयोग होता है.

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