भोपाल। सत्ता की चौथी पारी खेल रहे मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज एक बार फिर अपने सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले के तहत काम करने में जुट गए हैं. इस फार्मूले के जरिए वे समाज के हर उस वर्ग को पार्टी में जोड़ने की कवायद कर रहे हैं, जो पार्टी की जीत तय करने में बहुत ही जरूरी साबित हो सकती है. यही वजह है कि लगातार वे अपने दौरों के दौरान दलितों के घर पर भोजन करते नजर आ रहे हैं. इसके अलावा सवर्ण आयोग के गठन की घोषणा से सर्वण को भी अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, इसको कांग्रेस ने सिर्फ चुनावी जुमला कहा है.
शिवराज का सोशल इंजीनियरिंग फार्मूला
2018 विधानसभा चुनाव में जिस फार्मूले से बीजेपी भटक गई थी, अब उसी फार्मूले पर पार्टी वापस आने जा रही है. जिस मुद्दे पर बीजेपी देश भर में हिट रही, उसी में मध्य प्रदेश में पार्टी ने काम नहीं किया. यही वजह है कि इसका खामियाजा सत्ता से दूर रहकर पार्टी को भुगतना पड़ा. सोशल इंजीनियरिंग का यह फार्मूला पूरी तरह से संघ का है. बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी से दलित और आदिवासियों के साथ ही सभी युवाओं का मोह कुछ हद तक भंग हो गया था, जिसकी वजह से कांग्रेस सत्ता में आई थी. यही वजह है कि अब जब भी प्रदेश में सीएम दौरा करते हैं तो किसी दलित, आदिवासी या किसी हितग्राही के घर भोजन या नाश्ता करने जरूर जाते हैं.
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MP में सवर्ण आयोग
गणतंत्र दिवस के मौके पर रीवा में सीएम शिवराज ने घोषणा की कि हर वर्ग के विकास के लिए पिछड़ी जाति की तरह सवर्ण आयोग गठित करेंगे. मध्य प्रदेश में दस प्रतिशत गरीब सवर्ण को आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है.
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बीजेपी के लिए कोई नई बात नहीं
सीएम शिवराज के सोशल इंजीनियरिंग वाले फार्मूले को लेकर बीजेपी नेता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा से सबको साथ लेकर चलती आई है. इसमें कोई नई बात नहीं है. MP में हमेशा से बीजेपी ने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का आधार लेकर काम किया है. यही वजह है कि भूगोल के जातिपंत, बिरादरी के मामले में, मजहब के मामले में, जो हमसे छूट गए थे, जो हमसे नहीं जुड़े थे, उन्हें हमने जोड़ने का काम किया है.
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वोट के लिए दलितों के दरवाजे पर जा रही बीजेपी
बीजेपी के सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले को लेकर कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी सिर्फ वोट बैंक के लिए दलितों के दरवाजे पर जा रही है. विधानसभा चुनाव हारने के बाद बीजेपी अब वोट बैंक के लिए आदिवासी दलित और सवर्ण वर्ग के लोगों को साधने में लगी है. जो सीटें कांग्रेस के पास थी और इन्हीं वोट के कारण से कांग्रेस की सत्ता में वापसी हो सकी थी. यही कारण है कि बीजेपी सभी वर्गों के बीच इस तरह के अभियान चलाकर अपनी पकड़ बनाने की तैयारी में है. यह सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं.
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मुख्यमंत्री हाल ही अपने दल के नेताओं के साथ सतना, जबलपुर, देवास, कटनी और ग्वालियर में दलित हितग्राहियों के घर जाकर नाश्ता और भोजन कर चुके हैं. इस पर राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि सभी वर्गों में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए बीजेपी संगठन और शिवराज सरकार संघ की तर्ज पर आदिवासियों-दलितों के बीच समरसता भोज और समरसता सम्मेलन की पूरी श्रृंखला शुरू करने की तैयारी में है. इसके अलावा बीजेपी इस तरह के आयोजन दलित बस्तियों में करने की योजना पर काम कर रही है. भोज में दलितों के साथ पार्टी और सरकार के सभी वर्ग के लोग एक साथ भोजन करेंगे, ताकि इस सोशल इंजीनियरिंग के जरिए सभी वर्ग के लोगों को जोड़ा जा सके. अब देखना होगा कि निकाय चुनाव में शिवराज का सोशल इंजीनियरिंग का यह फार्मूला कितना कारगर साबित होगा, जो कि निकाय चुनाव के परिणाम आने पर ही पर मालूम चलेगा.