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Code Of Conduct Applicable : मंत्री का भ्रमण माना जाएगा चुनावी दौरा, सभा की अनुमति पहले आवेदन करने वाले को - सरकारी कर्मचारियों के लिए निर्देश

पंचायत और नगरीय निकाय के चुनावों की तारीखों के ऐलान के साथ ही आचार संहित लागू हो गई है. आचार संहित के लागू होने के साथ ही अब मंत्री का क्षेत्र में दौरा चुनावी दौरा माना जाएगा. ऐसे दौरे में अब मंत्री शासकीय वाहनों और अन्य सुविधाओं का उपयोग नहीं कर सकेंगे. (Visit of minister considered as election tour) (Permission of meeting given to first one)

Visit of minister considered as election tour
Code Of Conduct Applicable
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Published : Jun 2, 2022, 5:06 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं. मंत्री, सांसद विधायक, सार्वजनिक उपक्रम, स्थानीय निकाय आदि का कोई पदाधिकारी किसी निजी मकान और परिसर में आयोजित कार्यक्रम में सरकार कर्मचारी शामिल नहीं हो सकेंगे. चुनाव के दौरान सभा के लिए जो सबसे पहले आवेदन देगा, उसे ही सबसे पहले अनमति दी जाएगी.

पहले आओ पहले पाओ : चुनाव के दौरान सार्वजनिक स्तर पर चुनावी सभा को लेकर आरोप लगते हैं कि प्रशासन इसकी अनुमति नहीं दे रहा. राज्य निर्वाचन आयोग ने इसके लिए पहले आओ और पहले पाओ की व्यवस्था बनाई है. तय किया गया है कि किसी सार्वजनिक स्थल पर चुनावी सभा के आयोजन के लिए अनुमति देते समय सरकारी अधिकारी राजनीतिक दल और उम्मीदवारों के बीच कोई भेदभाव नहीं करेगा. यदि एक ही दिन और समय पर एक से ज्यादा अभ्यर्थी या दल एक ही जगह पर सभा करना चाहते हैं तो जिसने सबसे पहले आवेदन दिया है, उसे सबसे पहले सभा की अनुमति दी जाएगी.

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सरकारी कर्मचारियों के लिए निर्देश : सभा में सिर्फ कानून और व्यवस्था बनाए रखने या सुरक्षा के लिए तैनात किए गए कर्मचारी अधिकारी ही शामिल हो सकेंगे. इसके अलावा कोई कर्मचारी शामिल हुआ तो उसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा. आचार संहित लागू होने के साथ ही अब यदि कोई मंत्री, सांसद, विधायक किसी नगरीय क्षेत्र या भ्रमण करें तो उसे चुनावी दौरा माना जाएगा, उसमें सुरक्षा के लिए तैनात कर्मचारियों के अलावा कोई भी सरकार कर्मचारी उपस्थित नहीं हो सकेंगे. मंत्री सरकारी वाहन या अन्य सुविधाएं नहीं ले सकेंगे.

भोपाल। मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं. मंत्री, सांसद विधायक, सार्वजनिक उपक्रम, स्थानीय निकाय आदि का कोई पदाधिकारी किसी निजी मकान और परिसर में आयोजित कार्यक्रम में सरकार कर्मचारी शामिल नहीं हो सकेंगे. चुनाव के दौरान सभा के लिए जो सबसे पहले आवेदन देगा, उसे ही सबसे पहले अनमति दी जाएगी.

पहले आओ पहले पाओ : चुनाव के दौरान सार्वजनिक स्तर पर चुनावी सभा को लेकर आरोप लगते हैं कि प्रशासन इसकी अनुमति नहीं दे रहा. राज्य निर्वाचन आयोग ने इसके लिए पहले आओ और पहले पाओ की व्यवस्था बनाई है. तय किया गया है कि किसी सार्वजनिक स्थल पर चुनावी सभा के आयोजन के लिए अनुमति देते समय सरकारी अधिकारी राजनीतिक दल और उम्मीदवारों के बीच कोई भेदभाव नहीं करेगा. यदि एक ही दिन और समय पर एक से ज्यादा अभ्यर्थी या दल एक ही जगह पर सभा करना चाहते हैं तो जिसने सबसे पहले आवेदन दिया है, उसे सबसे पहले सभा की अनुमति दी जाएगी.

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सरकारी कर्मचारियों के लिए निर्देश : सभा में सिर्फ कानून और व्यवस्था बनाए रखने या सुरक्षा के लिए तैनात किए गए कर्मचारी अधिकारी ही शामिल हो सकेंगे. इसके अलावा कोई कर्मचारी शामिल हुआ तो उसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा. आचार संहित लागू होने के साथ ही अब यदि कोई मंत्री, सांसद, विधायक किसी नगरीय क्षेत्र या भ्रमण करें तो उसे चुनावी दौरा माना जाएगा, उसमें सुरक्षा के लिए तैनात कर्मचारियों के अलावा कोई भी सरकार कर्मचारी उपस्थित नहीं हो सकेंगे. मंत्री सरकारी वाहन या अन्य सुविधाएं नहीं ले सकेंगे.

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