ETV Bharat / state

भोपाल : सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मनाया गया वट सावित्री पर्व

कोरोना वायरस के बीच वट सावित्री पर्व का आयोजन किया गया, लेकिन इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का खास तौर पर ध्यान रखा गया. सुहागिनों ने पति की लंबी उम्र के लिए घरों में ही रहकर वट वृक्ष की पूजा-अर्चना की.

Suhaagins worshipped vat savitri
वट सावित्री की पूजा
author img

By

Published : May 24, 2020, 12:05 AM IST

भोपाल। कोविड-19 संक्रमण के बीच वट सावित्री का पर्व मनाया गया, लेकिन इस बार वट सावित्री पर्व पर लोगों में भी कोरोना का डर दिखाई दिया, जिसकी वजह से लोगों ने मंदिरों से दूरी बनाते हुए घरों में ही पूजा-अर्चना की है. महिलाओं ने घर में भी सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान रखते हुए सादगी से यह पर्व मनाया है.

सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मनाया गया वट सावित्री पर्व

पति की लंबी उम्र के लिए रखा व्रत

वट सावित्री का पर्व 22 मई यानि शुक्रवार को श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया गया. इस दौरान महिलाओं ने घर में ही वट वृक्ष के पत्तों को गमले में रखकर परिक्रमा की है और पति की लंबी आयु के लिए भगवान से प्रार्थना की. इस दौरान महिलाओं ने सुबह से ही निर्जला व्रत रखा था, ताकि पति को दीर्घायु प्रदान हो.

घरों में की गई पूजा-अर्चना

ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर महिलाओं द्वारा वट सावित्री पर्व मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं और पति की दीर्घायु के लिए कामना कर व्रत भी रखती हैं. वैसे तो महिलाएं सामूहिक रूप से वट वृक्ष के नीचे एकत्रित होकर पूरे विधि विधान के साथ पूजा करती हैं, लेकिन इस वर्ष ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया है, क्योंकि कोरोना वायरस के चलते संक्रमण का डर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है, जिसकी वजह से सभी सुहागिन महिलाओं ने घरों में रहकर ही पूजा संपन्न की है.

महिलाओं का कहना है कि सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री पर्व पर परिक्रमा लगाकर पूजा-अर्चना करती हैं. इस दौरान विधि विधान के साथ व्रत भी रखा जाता है और कथा भी सुनाई जाती है, लेकिन इस साल कोरोना वायरस की वजह से मंदिरों में पूजा नहीं हो पाई है.

ऐसे की जाती है भगवान विष्णु की पूजा

वैसे तो हर साल सभी महिलाएं एक साथ एकत्रित होकर वट वृक्ष के नीचे पहुंचकर ही पूजा-अर्चना करती हैं. भगवान विष्णु को समर्पित करते हुए वट का पूजन करने से सौभाग्य की अखंडता, पारिवारिक सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दौरान जल अक्षत, रोली, कपूर, चावल-हल्दी, पुष्प, धूप-दीप, रक्षा सूत्र जैसों से पूजन किया जाता है. इसके बाद कच्चे सूत से वट वृक्ष को बांधा जाता है. फिर बताए गए संख्या अनुसार परिक्रमा करके भगवान विष्णु के साथ यम देव को प्रसन्न किया जाता है.

पूजा से जुड़ी कहानी

महिलाओं का कहना है कि यह पर्व देवी सावित्री के उस विश्वास को समर्पित है, जिनके मजबूत संकल्प के चलते उन्होंने अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज से भी छीन लिया था और यमराज ने उन्हें तीन वर दिए थे, जिसमें से उन्होंने सबसे पहले अपने माता-पिता की आंखें मांगी थी और दूसरे वर में उन्होंने खोया हुआ राज पाठ मांगा था.

इसके बाद तीसरे वर में उन्होंने तो 100 बच्चों को मांगा था, जिसे यमराज ने स्वीकार कर लिया था, लेकिन यमराज तो उनके पति सत्यवान के प्राण हर ले जा रहे थे, तब सावित्री ने यमराज को याद दिलाया कि आपने मुझे 100 बच्चों कि मां बनने का वर दिया है, लेकिन आप उन बच्चों के पिता को अपने साथ लेकर जा रहे हैं. यह सुनने के बाद यमराज ने देवी सावित्री के पति सत्यवान को जीवनदान दिया था. भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारी तत्व का प्रतीक बन चुका है.

महिलाओं का कहना है कि आज हमने घरों में रहकर ही पूजा-अर्चना की है. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी किया गया है. साथ ही सभी महिलाओं ने घरों में रहकर फेस मास्क लगाया था, ताकि किसी को भी संक्रमण का खतरा ना हो सकें.

भोपाल। कोविड-19 संक्रमण के बीच वट सावित्री का पर्व मनाया गया, लेकिन इस बार वट सावित्री पर्व पर लोगों में भी कोरोना का डर दिखाई दिया, जिसकी वजह से लोगों ने मंदिरों से दूरी बनाते हुए घरों में ही पूजा-अर्चना की है. महिलाओं ने घर में भी सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान रखते हुए सादगी से यह पर्व मनाया है.

सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मनाया गया वट सावित्री पर्व

पति की लंबी उम्र के लिए रखा व्रत

वट सावित्री का पर्व 22 मई यानि शुक्रवार को श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया गया. इस दौरान महिलाओं ने घर में ही वट वृक्ष के पत्तों को गमले में रखकर परिक्रमा की है और पति की लंबी आयु के लिए भगवान से प्रार्थना की. इस दौरान महिलाओं ने सुबह से ही निर्जला व्रत रखा था, ताकि पति को दीर्घायु प्रदान हो.

घरों में की गई पूजा-अर्चना

ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर महिलाओं द्वारा वट सावित्री पर्व मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं और पति की दीर्घायु के लिए कामना कर व्रत भी रखती हैं. वैसे तो महिलाएं सामूहिक रूप से वट वृक्ष के नीचे एकत्रित होकर पूरे विधि विधान के साथ पूजा करती हैं, लेकिन इस वर्ष ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया है, क्योंकि कोरोना वायरस के चलते संक्रमण का डर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है, जिसकी वजह से सभी सुहागिन महिलाओं ने घरों में रहकर ही पूजा संपन्न की है.

महिलाओं का कहना है कि सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री पर्व पर परिक्रमा लगाकर पूजा-अर्चना करती हैं. इस दौरान विधि विधान के साथ व्रत भी रखा जाता है और कथा भी सुनाई जाती है, लेकिन इस साल कोरोना वायरस की वजह से मंदिरों में पूजा नहीं हो पाई है.

ऐसे की जाती है भगवान विष्णु की पूजा

वैसे तो हर साल सभी महिलाएं एक साथ एकत्रित होकर वट वृक्ष के नीचे पहुंचकर ही पूजा-अर्चना करती हैं. भगवान विष्णु को समर्पित करते हुए वट का पूजन करने से सौभाग्य की अखंडता, पारिवारिक सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दौरान जल अक्षत, रोली, कपूर, चावल-हल्दी, पुष्प, धूप-दीप, रक्षा सूत्र जैसों से पूजन किया जाता है. इसके बाद कच्चे सूत से वट वृक्ष को बांधा जाता है. फिर बताए गए संख्या अनुसार परिक्रमा करके भगवान विष्णु के साथ यम देव को प्रसन्न किया जाता है.

पूजा से जुड़ी कहानी

महिलाओं का कहना है कि यह पर्व देवी सावित्री के उस विश्वास को समर्पित है, जिनके मजबूत संकल्प के चलते उन्होंने अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज से भी छीन लिया था और यमराज ने उन्हें तीन वर दिए थे, जिसमें से उन्होंने सबसे पहले अपने माता-पिता की आंखें मांगी थी और दूसरे वर में उन्होंने खोया हुआ राज पाठ मांगा था.

इसके बाद तीसरे वर में उन्होंने तो 100 बच्चों को मांगा था, जिसे यमराज ने स्वीकार कर लिया था, लेकिन यमराज तो उनके पति सत्यवान के प्राण हर ले जा रहे थे, तब सावित्री ने यमराज को याद दिलाया कि आपने मुझे 100 बच्चों कि मां बनने का वर दिया है, लेकिन आप उन बच्चों के पिता को अपने साथ लेकर जा रहे हैं. यह सुनने के बाद यमराज ने देवी सावित्री के पति सत्यवान को जीवनदान दिया था. भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारी तत्व का प्रतीक बन चुका है.

महिलाओं का कहना है कि आज हमने घरों में रहकर ही पूजा-अर्चना की है. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी किया गया है. साथ ही सभी महिलाओं ने घरों में रहकर फेस मास्क लगाया था, ताकि किसी को भी संक्रमण का खतरा ना हो सकें.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.