भोपाल। मध्यप्रदेश में निजी काॅलेजों की फीस तय करने के नाम पर बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. निजी काॅलेजों में संचालित पाठ्यक्रमों की फीस तय करने वाली प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति ने इस साल पीजीडीएम (PGDM) कोर्स यानी पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट कोर्स की फीस में 80 फीसदी तक की कमी कर दी है, यानी पिछले साल तक PGDM की प्रति सेमेस्टर फीस जहां 1 लाख रुपए हुआ करती थी, वह अब घटाकर 19 हजार 500 रुपए कर दी गइ है. समिति के इस निर्णय से नए बच्चे भले ही खुश हों, लेकिन पिछले सालों में इस कोर्स में एडमिशन लेने वाले छात्र खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. सवाल उठ रहा है कि क्या फीस के नाम पर बीते सालों में प्रदेश के निजी काॅलेजों को उपकृत किया गया. हालांकि समिति के चेयरमेन पहले तय की गई फीस को लेकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.
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कुछ यूं घटी-बढ़ी PGDM की फीस
प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति द्वारा साल 2021-22 के लिए प्रदेश के 88 निजी काॅलेजों में पीजीडीएम कोर्स की फीस निर्धारित की गई है. इस साल PGDM की औसतन फीस 19,500 रुपए प्रति सेमेस्टर रखी गई है, जबकि पिछले साल कई संस्थान की फीस प्रति सेमेस्टर 1 लाख रुपए थी. विक्रांत इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट, इंदौर की इस साल सेमेस्टर फीस 19,500 रुपए तय की गई है, जबकि साल 2018-19 से ये फीस 1 लाख रुपए थी. विक्रांत इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट, ग्वालियर की इस साल सेमेस्टर वार फीस 1़9500 रुपए तय की गई है, जबकि बीते तीन सालों प्रति सेमेस्टर फीस 85 हजार रुपए थी. इंदौर के विक्टोरिया काॅलेज की PGDM की फीस प्रति सेमेस्टर 19,500 रूपए तय की गई है, जबकि 2019-20 में ये 70 हजार और 2020-21 में 50 हजार रुपए प्रति सेमेस्टर थी. आदर्श काॅलेज ऑफ मैनेजमेंट, भोपाल की PGDM की फीस प्रति सेमेस्टर 19,500 हो गई है, जबकि पिछले साल ये फीस 63500 रुपए थी.अंबिका इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, ग्वायिलर की इस साल प्रति सेमेस्टर 19,500 फीस तय की गई है, जबकि साल 2020-21 में ये प्रति सेमेस्टर फीस 50 हजार रुपए थी. ऐसे ही एसकेएस इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस स्टडीज की फीस अब 19,500 है, जबकि पिछले साल ये 88 हजार 500 रुपए थी.
क्या है काॅलेजों की सांठगांठ
किसी भी कोर्स के फीस का निर्धारित कोर्स पर आने वाले खर्चों के आधार पर तय किया जाता है. पूर्व कुलपति और रिटायर्ड डीजी अरूण गुर्टू कहते हैं कि काॅलेजों की फीस तय करते समय देखा जाता है कि कोर्स संचालित करने पर कितना खर्च आ रहा है. उस खर्चे में से निर्धारित छात्रों के इंटेक के आधार पर खर्चों को डिवाइड कर फीस निर्धारित की जाती है. लेकिन जिस तरह से एक साल में ही प्रति सेमेस्टर फीस एक लाख रुपए से 19,500 की गई है, इससे साफ है कि फीस तय करते समय कई तथ्यों की अनदेखी की गयी होगी.
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फीस कमेटी के चेयरमेन ने पिछले निर्णयों पर साधी चुप्पी
उधर जब इस संबंध में प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति के चेयरमेन डाॅ. रविन्द्र कन्हारे से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि समिति में वे इसी साल आए हैं. उन्होंने फीस तय करते समय सभी काॅलेजों से ऑडिटेड स्टेटमेंट मंगाए थे, उसी आधार पर 39 हजार फीस कोर्स की तय की गई है. कुछ काॅलेजों ने फीस बढ़ाने के लिए कहा था, लेकिन कोई भी काॅलेज इससे ज्यादा ऑडिट स्टेटमेंट नहीं दिखा सका. हालांकि जब उनसे सवाल किया गया कि पिछले साल 80 फीसदी ज्यादा फीस क्यों थी, तो उन्होंने पिछले सालों में तय की गई फीस पर कमेंट करने से इंकार कर दिया.