भोपाल। कमलनाथ सरकार ने बुधवार को विधानसभा में विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पारित कर दिया. इस विधेयक के कानून बनने के बाद सरकार द्वारा नामित सदस्य को ही कुलपति नियुक्त किया जा सकेगा. विपक्ष ने इस विधेयक का विरोध किया और इसे राज्यपाल के अधिकार का हनन बताया है. विधेयक के विरोध में विपक्ष ने वॉकआउट भी किया और इसे लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया.
सदन में विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पर विपक्ष का कहना है कि कुलपति के चयन में राज्यपाल के अधिकारों को सीमित करने का प्रस्ताव सरकार ने बिल के माध्यम से सदन में रखा है, वह पूरी तरह से असंवैधानिक है. बीजेपी विधायक विश्वास सारंग ने कहा कि 'मध्यप्रदेश विधानसभा में आज लोकतंत्र का काला दिन स्थापित हुआ है क्योंकि संविधान में प्रावधान होता है कि किसी भी राज्य की सरकार राज्यपाल के अधीन होती है, लेकिन कांग्रेस की सरकार ने अपने राजनैतिक हस्तक्षेप को बढ़ाने के लिए आज विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक विपक्ष के विरोध के बाद भी पारित कर दिया.
विपक्ष का कहना है कि कुलपति के चयन का अधिकार राज्यपाल को है, लेकिन सरकार ने इसमें हस्तक्षेप कर राज्यपाल के अधिकारों का हनन किया है, आज इस विधेयक का विरोध भी किया और वॉकआउट भी किया. सारंग ने कहा कि कार्यपरिषद की जगह सरकार नामित कुलपति की चयन समिति में जो सदस्य रखे गए हैं, जोकि संविधान के विरुद्ध है.