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विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक के विरोध में विपक्ष ने सदन से किया वॉकआउट - भोपाल समाचार

मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने आज विधानसभा में विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पारित कर दिया, जिसके विरोध में विपक्ष ने बहिर्गमन किया.

University Amendment Bill passed in Madhya Pradesh
विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पारित
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Published : Dec 18, 2019, 9:23 PM IST

Updated : Dec 18, 2019, 9:41 PM IST

भोपाल। कमलनाथ सरकार ने बुधवार को विधानसभा में विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पारित कर दिया. इस विधेयक के कानून बनने के बाद सरकार द्वारा नामित सदस्य को ही कुलपति नियुक्त किया जा सकेगा. विपक्ष ने इस विधेयक का विरोध किया और इसे राज्यपाल के अधिकार का हनन बताया है. विधेयक के विरोध में विपक्ष ने वॉकआउट भी किया और इसे लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया.

विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पारित

सदन में विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पर विपक्ष का कहना है कि कुलपति के चयन में राज्यपाल के अधिकारों को सीमित करने का प्रस्ताव सरकार ने बिल के माध्यम से सदन में रखा है, वह पूरी तरह से असंवैधानिक है. बीजेपी विधायक विश्वास सारंग ने कहा कि 'मध्यप्रदेश विधानसभा में आज लोकतंत्र का काला दिन स्थापित हुआ है क्योंकि संविधान में प्रावधान होता है कि किसी भी राज्य की सरकार राज्यपाल के अधीन होती है, लेकिन कांग्रेस की सरकार ने अपने राजनैतिक हस्तक्षेप को बढ़ाने के लिए आज विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक विपक्ष के विरोध के बाद भी पारित कर दिया.

विपक्ष का कहना है कि कुलपति के चयन का अधिकार राज्यपाल को है, लेकिन सरकार ने इसमें हस्तक्षेप कर राज्यपाल के अधिकारों का हनन किया है, आज इस विधेयक का विरोध भी किया और वॉकआउट भी किया. सारंग ने कहा कि कार्यपरिषद की जगह सरकार नामित कुलपति की चयन समिति में जो सदस्य रखे गए हैं, जोकि संविधान के विरुद्ध है.

भोपाल। कमलनाथ सरकार ने बुधवार को विधानसभा में विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पारित कर दिया. इस विधेयक के कानून बनने के बाद सरकार द्वारा नामित सदस्य को ही कुलपति नियुक्त किया जा सकेगा. विपक्ष ने इस विधेयक का विरोध किया और इसे राज्यपाल के अधिकार का हनन बताया है. विधेयक के विरोध में विपक्ष ने वॉकआउट भी किया और इसे लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया.

विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पारित

सदन में विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पर विपक्ष का कहना है कि कुलपति के चयन में राज्यपाल के अधिकारों को सीमित करने का प्रस्ताव सरकार ने बिल के माध्यम से सदन में रखा है, वह पूरी तरह से असंवैधानिक है. बीजेपी विधायक विश्वास सारंग ने कहा कि 'मध्यप्रदेश विधानसभा में आज लोकतंत्र का काला दिन स्थापित हुआ है क्योंकि संविधान में प्रावधान होता है कि किसी भी राज्य की सरकार राज्यपाल के अधीन होती है, लेकिन कांग्रेस की सरकार ने अपने राजनैतिक हस्तक्षेप को बढ़ाने के लिए आज विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक विपक्ष के विरोध के बाद भी पारित कर दिया.

विपक्ष का कहना है कि कुलपति के चयन का अधिकार राज्यपाल को है, लेकिन सरकार ने इसमें हस्तक्षेप कर राज्यपाल के अधिकारों का हनन किया है, आज इस विधेयक का विरोध भी किया और वॉकआउट भी किया. सारंग ने कहा कि कार्यपरिषद की जगह सरकार नामित कुलपति की चयन समिति में जो सदस्य रखे गए हैं, जोकि संविधान के विरुद्ध है.

Intro:भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने आज विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पारित कर विश्वविद्यालयों के कुलपति चयन में सरकार द्वारा नामित सदस्य की व्यवस्था की है। इस विधेयक का विरोध प्रमुख विपक्ष भाजपा द्वारा किया गया और इसे राज्यपाल के अधिकार का हनन बताया गया। विधेयक के विरोध में विपक्ष ने बहिर्गमन भी किया और इसे लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया। विपक्ष का कहना है कि कुलपति चयन में जो राज्यपाल के अधिकारों को सीमित करने का प्रस्ताव सरकार द्वारा दिया गया है। वह पूरी तरह से संविधान के विरुद्ध और असंवैधानिक है।


Body:भाजपा विधायक विश्वास सारंग ने विधेयक के विरोध पर चर्चा करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश विधानसभा में आज लोकतंत्र का काला दिन स्थापित हुआ है। क्योंकि संविधान में प्रावधान होता है कि किसी भी राज्य की सरकार राज्यपाल के अधीन होती है। वह सरकार के पालक होते हैं। पर कांग्रेस की सरकार ने अपने राजनैतिक हस्तक्षेप को बढ़ाने के लिए आज विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक हमारे विरोध के बाद भी पारित किया। जिसमें कुलपति के चयन का अधिकार राज्यपाल को है।उसमें सरकार का हस्तक्षेप कर राज्यपाल के अधिकारों का हनन किया गया है। आज हमने इस विधेयक का विरोध भी किया और बहिर्गमन भी किया। कार्यपरिषद की जगह सरकार द्वारा नामित कुलपति की चयन समिति में जो सदस्य रखा गया है।वह संविधान के विरुद्ध है और असंवैधानिक है।


Conclusion:
Last Updated : Dec 18, 2019, 9:41 PM IST
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