भोपाल। मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोना वायरस के प्रबंधन और नियंत्रण के संबंध में एक टेक्निकल एडवाइजरी कमिटी गठित की गई है. इस कमेटी ने अब कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किए जाने वाली आयुर्वेदिक दवाओं के ट्रायल पर रोक लगा दी है. कमेटी की अनुशंसा के मुताबिक आयुर्वेदिक और एलोपैथिक औषधियों के प्रभाव और दुष्प्रभाव के बारे में कोई तथ्य उपलब्ध नहीं है, इसी के चलते अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीज पर आयुर्वेदिक औषधियों का परीक्षण अब से ना किया जाए इस बात को लेकर स्वास्थ्य विभाग की अपर संचालक डॉक्टर वीणा सिन्हा ने निर्देश भी जारी कर दिए हैं.
इस आदेश के बाद आयुष मेडिकल एसोसिएशन के डॉक्टर्स का कहना है कि बीते 200 दिनों में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी, हल्दी, दालचीनी के साथ-साथ विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों ने लोगों में इम्युनिटी बढ़ाकर उनका जीवन बचाने में मदद की है. एक तरफ प्रधानमंत्री द्वारा आयुर्वेदिक औषधियों के उपयोग के लिए एडवाइजरी जारी करना और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा आयुर्वेदिक औषधियों को मंजूरी दी गई है, तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश सरकार इस पर रोक लगा रही है जो कि उचित नहीं है. इससे आयुर्वेद रिसर्च पर फर्क पड़ेगा. स्वास्थ्य विभाग को इस बारे में सोचना चाहिए.
बता दें कि राजधानी भोपाल के शासकीय होम्योपैथिक अस्पताल में संक्रमित मरीजों का इलाज आयुर्वेदिक दवाओं से भी किया जा रहा है और इसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिले हैं, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण ना होने के चलते आयुर्वेदिक दवाओं के परीक्षण पर रोक लगा दी गई है.