भोपाल। राजधानी भोपाल में लगातार वाहनों का दबाव बढ़ रहा है. वाहन शहर की सड़कों पर सरपट दौड़ते हैं, जगह-जगह ट्रैफिक जाम की स्थिति लगभग हर दिन बनती है और जाम की स्थिति से निपटने के लिए शहर भर में लगाए गए अधिकांश ट्रैफिक सिग्नल खराब हैं. भोपाल नए और पुराने शहर में कुल 65 सिग्नल हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात तो ये है कि 65 में से महज 16 ही सिग्नल काम कर रहे हैं.
तीन एजेंसियों के पास रखरखाब
राजधानी भोपाल में ट्रैफिक सिग्नल का काम तीन एजेंसियों के पास है. पहली नगर निगम जिसके पास 22 ट्रैफिक सिग्नल हैं. दूसरी एजेंसी बीआरटीएस जिसके पास 21 सिग्नल हैं और तीसरी एजेंसी ऊर्जा निगम है, जिसके पास 22 ट्रैफिक सिग्नल हैं. हालांकि ऊर्जा निगम ने अपने सभी सिग्नल यातायात पुलिस को दे दिए हैं. तीन एजेंसियों के पास अपने-अपने ट्रैफिक सिग्नलों के रख रखाव का भी जिम्मा है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है. पिछले 4 से 5 महीने लॉकडाउन के चलते इन सिग्नल बंद ही रखा गया था, लेकिन अब अनलॉक के साथ ही शहर में ट्रैफिक भी बढ़ गया है और सिग्नल खराबी स्थिति में हैं. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक हाल ही में सभी एजेंसियों से संयुक्त बैठक कर इन सिग्नलों को ठीक करने का निर्णय लिया गया है.
रखरखाव के लिए टेंडर जारी
नगर निगम के ऑफिसर पीके जैन का कहना है कि 25 मुख्य ट्रेफिक सिग्नलों के रख रखाव के लिए टेंडर जारी किया गया है. टेंडर के बाद प्राइवेट कंपनी को इनके रखरखाव की जिम्मेदारी दी जाएगी. ट्रैफिक सिग्नल में कई छोटे-बड़े पार्ट्स होते हैं, जो भी पार्ट खराब होगा, उसे बदलकर ट्रैफिक सिग्नलों को जल्द से जल्द चालू किया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि शहर में ट्रैफिक की स्थिति को यातायात पुलिस ही बेहतर समझती है. लिहाजा ट्रैफिक पुलिस को नगर निगम की एक टीम भी उपलब्ध कराई गई है. निगम की हर टीम ट्रैफिक अधिकारियों के आदेशों पर ही काम करती है. जहां जैसी जरूरत होती है, वहां ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी ही निगम की टीम से काम लेते हैं.
सिग्नल के मेंटेनेंस पर करोड़ों खर्च
बताया जा रहा है कि शहर के प्रमुख ट्रैफिक सिग्नलों को लेकर करीब 57 लाख का टेंडर निकाला गया है, लेकिन यह टेंडर महज 25 सिग्नलों के लिए ही हैं. यानी कि टेंडर लेने वाली कंपनी महज 25 ही सिग्नलों का रखरखाव करेगी. ऐसे में सवाल ये उठता है कि शेष बचे 40 सिग्नलों के रखरखाव का क्या होगा. भोपाल शहर में सिग्नलों के मेंटेनेंस को लेकर हर साल करीब सवा करोड रुपए खर्च किए जाते हैं. इसके बावजूद भी लगभग 80 फीसदी ट्रैफिक सिग्नल खराब स्थिति में ही हैं. जिसके चलते हर दिन जाम तो लगता ही है और हादसों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है.