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मध्यप्रदेश में जिंदा है 'सियासी टाइगर', ऐसे शुरू हुई टाइगर पॉलिटिक्स - Tiger politics

मध्यप्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव का एलान अभी बाकी है, पर दोनों दल पूरी तरह से चुनावी मूड में हैं. सियासी बयानबाजी का दौर भी अपने चरम पर है. एमपी की सियासत में आजकल सबसे ज्यादा चर्चा किसी की है तो वो है टाइगर. जिसे देखिए वही या तो टाइगर बनकर घूम रहा है या फिर टाइगर का शिकार ही करने में लगा है.

Political tiger in MP
टाइगर पॉलिटिक्स: MP में जिंदा है सियासी टाइगर
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Published : Jul 5, 2020, 6:58 AM IST

Updated : Jul 6, 2020, 3:20 PM IST

भोपाल। शिवराज सरकार के 100 दिन पूरे होने पर 2 जुलाई को पहला कैबिनेट विस्तार हुआ, जिसमें शामिल होने वाले 28 मंत्रियों में से 12 मौजूदा वक्त में विधायक नहीं हैं, जबकि कैबिनेट गठन के वक्त पांच मंत्री बनाए गए थे, जिनमें से 2 मंत्री विधायक नहीं थे, यानि कुल मिलाकर मंत्रिमंडल के 33 सदस्यों में से 14 अभी विधायक नहीं हैं, जबकि इन 14 में से 11 ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाते हैं. मंत्रिमंडल विस्तार में जब सिंधिया का दम दिखा तो सिंधिया भी दहाड़े कि सुन लो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह, टाइगर अभी जिंदा है.

मध्यप्रदेश में टाइगर पॉलिटिक्स

सिंधिया की इस ललकार के बाद तो ये सियासी टाइगर पूरे प्रदेश में घूमने लगा और 'टाइगर' पॉलिटिक्स तेज हो गई. जब निशाने पर दिग्विजय सिंह थे तो सबसे पहले जवाब भी उन्हीं ने ही दिया, उन्होंने ट्विटर पर लिखा, जब शिकार प्रतिबंधित नहीं था, तब मैं और श्रीमंत माधवराव सिंधिया शेर का शिकार किया करते थे. इंदिरा गांधी के वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन एक्ट लाने के बाद से मैं अब सिर्फ शेर को कैमरे में उतारता हूं.

दिग्विजय सिंह के शिकार वाले ट्वीट का जवाब देने के लिए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने मैदान संभाला और उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह करते होंगे टाइगर का शिकार, लेकिन बीजेपी का हर कार्यकर्ता टाइगर है.

इसके बाद पूर्व सीएम कमलनाथ भी हंटर लेकर टाइगर के सामने पहुंच गए और कहा कि देश में कई तरह के टाइगर होते हैं, लेकिन ये तो सर्कस वाला टाइगर जिंदा है.

जिसके बाद कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे सज्जन सिंह वर्मा ने सिंधिया पर तंज कसते हुए ट्विटर पर लिखा- कांग्रेस का इतिहास रहा है टाइगर से खेलने का! टाइगर तुम अभी बच्चे हो.

टाइगर वाले बयान पर कांग्रेस भौकाल टाइट करने में लगी थी, तभी बीजेपी की जनसंवाद रैली में 3 जुलाई को ज्योतिरादित्य सिंधिया फिर दहाड़े और अपने पुराने साथी रहे पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को याद दिलाया कि आप दोनों सुन लें मैं फिर कहता हूं कि टाइगर अभी जिंदा है.

जिसके बाद दिग्विजय सिंह ने फिर मोर्चा संभाला और कहा कि एक जंगल में दो शेर नहीं रह पाते हैं, उनमें टेरिटोरियल फाइट्स होती है, अब ये एक जुमला बन चुका है. शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि टाइगर जिंदा है. ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कहते हैं कि टाइगर जिंदा है. इंदिरा गांधी तो यही चाहती थीं कि टाइगर जिंदा रहे, इसलिए वो वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन एक्ट लाई थीं.

दिग्विजय सिंह के पलटवार पर मंत्री भूपेंद्र सिंह ने पलटवार किया और कहा कि ये बीजेपी के टाइगर हैं, कांग्रेस के नहीं. बीजेपी में शिवराज भी टाइगर हैं और सिंधिया भी टाइगर हैं.

इसके बाद तो प्रदेश की नई-नई मंत्री बनीं उषा ठाकुर ने बीजेपी के हर एक कार्यकर्ता को शेर बता डाला.

साल 2018 के आखिर में हुए विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी वोटिंग परसेंट में पास होकर भी सीटों के गणित में फेल हो गई थी, तब पहली बार शिवराज सिंह ने कहा था कि टाइगर अभी जिंदा है, तब से गाहे-बगाहे ये टाइगर प्रदेश की सियासत में कहीं न कहीं दहाड़ता सुनाई पड़ जाता है, जिसकी दहाड़ सुन कुछ लोग खौफ से कांप जाते हैं तो कुछ तीर-कमान लेकर उसके पीछे ही पड़ जाते हैं, जबकि कुछ तो हंटर लेकर उसे अपने इशारों पर नचाने लगते हैं. हालांकि, उपचुनाव तक एमपी की सियासत में कितने और 'टाइगर' सामने आते हैं. ये देखने वाली बात होगी.

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एक जंगल में दो शेर नहीं रह पाते हैं, उनमें टेरिटोरियल फाइट्स होती है: दिग्विजय सिंह

मैं महाराजा नहीं, मैं मामा नहीं, मैने कभी चाय नहीं बेची, मैं तो बस कमलनाथ हूं

सिंधिया को दिग्विजय का जवाब, 'जब शिकार प्रतिबंधित नहीं था, तो मैं शेर का शिकार करता था'

भोपाल। शिवराज सरकार के 100 दिन पूरे होने पर 2 जुलाई को पहला कैबिनेट विस्तार हुआ, जिसमें शामिल होने वाले 28 मंत्रियों में से 12 मौजूदा वक्त में विधायक नहीं हैं, जबकि कैबिनेट गठन के वक्त पांच मंत्री बनाए गए थे, जिनमें से 2 मंत्री विधायक नहीं थे, यानि कुल मिलाकर मंत्रिमंडल के 33 सदस्यों में से 14 अभी विधायक नहीं हैं, जबकि इन 14 में से 11 ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाते हैं. मंत्रिमंडल विस्तार में जब सिंधिया का दम दिखा तो सिंधिया भी दहाड़े कि सुन लो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह, टाइगर अभी जिंदा है.

मध्यप्रदेश में टाइगर पॉलिटिक्स

सिंधिया की इस ललकार के बाद तो ये सियासी टाइगर पूरे प्रदेश में घूमने लगा और 'टाइगर' पॉलिटिक्स तेज हो गई. जब निशाने पर दिग्विजय सिंह थे तो सबसे पहले जवाब भी उन्हीं ने ही दिया, उन्होंने ट्विटर पर लिखा, जब शिकार प्रतिबंधित नहीं था, तब मैं और श्रीमंत माधवराव सिंधिया शेर का शिकार किया करते थे. इंदिरा गांधी के वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन एक्ट लाने के बाद से मैं अब सिर्फ शेर को कैमरे में उतारता हूं.

दिग्विजय सिंह के शिकार वाले ट्वीट का जवाब देने के लिए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने मैदान संभाला और उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह करते होंगे टाइगर का शिकार, लेकिन बीजेपी का हर कार्यकर्ता टाइगर है.

इसके बाद पूर्व सीएम कमलनाथ भी हंटर लेकर टाइगर के सामने पहुंच गए और कहा कि देश में कई तरह के टाइगर होते हैं, लेकिन ये तो सर्कस वाला टाइगर जिंदा है.

जिसके बाद कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे सज्जन सिंह वर्मा ने सिंधिया पर तंज कसते हुए ट्विटर पर लिखा- कांग्रेस का इतिहास रहा है टाइगर से खेलने का! टाइगर तुम अभी बच्चे हो.

टाइगर वाले बयान पर कांग्रेस भौकाल टाइट करने में लगी थी, तभी बीजेपी की जनसंवाद रैली में 3 जुलाई को ज्योतिरादित्य सिंधिया फिर दहाड़े और अपने पुराने साथी रहे पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को याद दिलाया कि आप दोनों सुन लें मैं फिर कहता हूं कि टाइगर अभी जिंदा है.

जिसके बाद दिग्विजय सिंह ने फिर मोर्चा संभाला और कहा कि एक जंगल में दो शेर नहीं रह पाते हैं, उनमें टेरिटोरियल फाइट्स होती है, अब ये एक जुमला बन चुका है. शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि टाइगर जिंदा है. ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कहते हैं कि टाइगर जिंदा है. इंदिरा गांधी तो यही चाहती थीं कि टाइगर जिंदा रहे, इसलिए वो वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन एक्ट लाई थीं.

दिग्विजय सिंह के पलटवार पर मंत्री भूपेंद्र सिंह ने पलटवार किया और कहा कि ये बीजेपी के टाइगर हैं, कांग्रेस के नहीं. बीजेपी में शिवराज भी टाइगर हैं और सिंधिया भी टाइगर हैं.

इसके बाद तो प्रदेश की नई-नई मंत्री बनीं उषा ठाकुर ने बीजेपी के हर एक कार्यकर्ता को शेर बता डाला.

साल 2018 के आखिर में हुए विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी वोटिंग परसेंट में पास होकर भी सीटों के गणित में फेल हो गई थी, तब पहली बार शिवराज सिंह ने कहा था कि टाइगर अभी जिंदा है, तब से गाहे-बगाहे ये टाइगर प्रदेश की सियासत में कहीं न कहीं दहाड़ता सुनाई पड़ जाता है, जिसकी दहाड़ सुन कुछ लोग खौफ से कांप जाते हैं तो कुछ तीर-कमान लेकर उसके पीछे ही पड़ जाते हैं, जबकि कुछ तो हंटर लेकर उसे अपने इशारों पर नचाने लगते हैं. हालांकि, उपचुनाव तक एमपी की सियासत में कितने और 'टाइगर' सामने आते हैं. ये देखने वाली बात होगी.

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Last Updated : Jul 6, 2020, 3:20 PM IST
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