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सस्ता लोन दिलाने के नाम पर करते थे ठगी, पुलिस ने गिरोह का किया पर्दाफाश

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Published : Sep 11, 2020, 8:44 PM IST

राजधानी भोपाल के साइबर पुलिस ने एक गिरोह का पर्दाफाश किया है जो कॉल सेंटर चलाता था और लोगों को सस्ता लोन दिलाने के नाम पर उनसे धोखाधड़ी करता था. इस मामले में पुलिस ने 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

Busted online fraudsters
ऑनलाइन ठगी करने वालों का पर्दाफाश

भोपाल। राजधानी भोपाल की साइबर क्राइम पुलिस ने 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. यह गिरोह लोगों को सस्ता लोन दिलाने के नाम पर उनसे धोखाधड़ी करता था. एक आरोपी इस मामले में फरार भी चल रहा है. इस गिरोह का मास्टरमाइंड डेविड कुमार जाटव, प्रबंधक मनीषा भट्ट,और नेहा भट्ट को गिरफ्तार किया है. इन्हें पुलिस ने नोएडा से गिरफ्तार किया है.

ऑनलाइन ठगी करने वालों का पर्दाफाश

साइबर पुलिस के पास पर्सनल लोन दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया था. जिसमें पद्मेश सिंह नाम के युवक ने पुलिस से गुहार लगाई थी कि उसके साथ पर्सनल लोन दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी हुई है. इसके बाद पुलिस ने इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया था और जांच शुरू कर दी थी. इस पूरे गिरोह का डेविड कुमार जाटव, जो मुखिया है उसने ऑनलाइन वेबसाइट डिजाइन का कोर्स किया है और वह वेब सोल्यूशन नाम से आईटी कंपनी भी चलाता है.

जिसके बाद उसने फर्जी वेबसाइट ग्राहकों को लोन देने के लिए बनाता था और उस फर्जी वेबसाइट का ऑनलाइन विज्ञापन गूगल ऐड में देता था. इस कार्य के लिए उसने नोएडा उत्तर प्रदेश में कॉल सेंटर खोल रखा था. जहां 25 से 30 लड़कियां काम करती थीं और इस कॉल सेंटर के माध्यम से लोगों को फोन लगाकर पर्सनल लोन सस्ते इंटरेस्ट में देने की बात कहते थे.

गिरोह में बंटे थे सबके काम

डेविड कुमार जाटव की मंगेतर नेहा भट्ट उसके साथ 2018 अगस्त से काम कर रही थी और इसकी फर्जी कंपनियों के प्रबंधन का काम देखती थी. इस मामले में नेहा भट्ट की बहन मनीषा भट्ट कंपनियों से ग्राहकों को फोन करने वाले कॉल सेंटर प्रबंधन का काम देखती है. इस मामले में फरार चल रहे कमल कश्यप ग्राहकों से पैसे लेने के लिए फर्जी बैंक अकाउंट सिम कार्ड उपलब्ध कराता था.

डेविड कुमार जाटव उसे 50 हजार प्रति फर्जी बैंक अकाउंट के आधार पर पेमेंट करता था. यह अपनी फर्जी वेबसाइट लोगों तक पहुंचाने के लिए गूगल पर भी ऐड दिया करते थे. जिसकी दिन भर की लागत 30 से 40 हजार हुआ करती थी और इन्होंने कॉल सेंटर के लिए दो फ्लैट किराए पर ले रखे थे. जिसका मासिक किराया 1.5 लाख था, जिसमें 25 से 30 लड़कियों को काम दिया था और उन्हें 10 से 15 हजार रूपए मासिक वेतन दिया जाता था.

ठगी की सूचना देने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त

फोन करने वाली लड़कियां प्रत्येक ग्राहक का रिकॉर्ड मेंटेन करती थीं और उसे एक्सल नोट पर लिखती थीं. इन एक्सल फाइलों की जांच करने पर आठ से 10 हजार लोगों के साथ ठगी की वारदात करने का मामला सामने आया है. इन्होंने लगभग 10 हजार लोगों से 10 करोड़ की ठगी की. इस मामले को लेकर साइबर पुलिस ने नोडल अधिकारी भी नियुक्त कर दिया है. जिसके साथ लोन के नाम पर ऑनलाइन ठगी हुई हो तो नोडल अधिकारी से मिले और उन्हें उसके विषय में सूचना दें.

आरोपियों के पास से पुलिस ने छह नए लैपटॉप, 25 मोबाइल फोन, 2198 एक्टिवेटेड सिम कार्ड, 19 डेबिट कार्ड, तीन रेंट एग्रीमेंट संबंधी दस्तावेज, तीन वेबसाइट संबंधी दस्तावेज, एक रजिस्टर एक राउटर मॉडेम इंटरनेट कन्वर्टर. एक कार बरामद की है. वहीं पुलिस का कहना है कि इनके और भी वेबसाइट के विषय में पता लगाया जा रहा है. अभी तक पुलिस ने 12 वेबसाइट का खुलासा किया है. यह वेबसाइट लोन मैंने के नाम पर चलाई जाती थी और जब लोगों से लोन देने के पहले उनसे जीएसटी अन्य तरीके से पैसे अकाउंट में डलवा लेते थे. फिर उस वेबसाइट को बंद कर देते थे. यह काम इन्होंने अगस्त 2018 से शुरू करा था.

भोपाल। राजधानी भोपाल की साइबर क्राइम पुलिस ने 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. यह गिरोह लोगों को सस्ता लोन दिलाने के नाम पर उनसे धोखाधड़ी करता था. एक आरोपी इस मामले में फरार भी चल रहा है. इस गिरोह का मास्टरमाइंड डेविड कुमार जाटव, प्रबंधक मनीषा भट्ट,और नेहा भट्ट को गिरफ्तार किया है. इन्हें पुलिस ने नोएडा से गिरफ्तार किया है.

ऑनलाइन ठगी करने वालों का पर्दाफाश

साइबर पुलिस के पास पर्सनल लोन दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया था. जिसमें पद्मेश सिंह नाम के युवक ने पुलिस से गुहार लगाई थी कि उसके साथ पर्सनल लोन दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी हुई है. इसके बाद पुलिस ने इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया था और जांच शुरू कर दी थी. इस पूरे गिरोह का डेविड कुमार जाटव, जो मुखिया है उसने ऑनलाइन वेबसाइट डिजाइन का कोर्स किया है और वह वेब सोल्यूशन नाम से आईटी कंपनी भी चलाता है.

जिसके बाद उसने फर्जी वेबसाइट ग्राहकों को लोन देने के लिए बनाता था और उस फर्जी वेबसाइट का ऑनलाइन विज्ञापन गूगल ऐड में देता था. इस कार्य के लिए उसने नोएडा उत्तर प्रदेश में कॉल सेंटर खोल रखा था. जहां 25 से 30 लड़कियां काम करती थीं और इस कॉल सेंटर के माध्यम से लोगों को फोन लगाकर पर्सनल लोन सस्ते इंटरेस्ट में देने की बात कहते थे.

गिरोह में बंटे थे सबके काम

डेविड कुमार जाटव की मंगेतर नेहा भट्ट उसके साथ 2018 अगस्त से काम कर रही थी और इसकी फर्जी कंपनियों के प्रबंधन का काम देखती थी. इस मामले में नेहा भट्ट की बहन मनीषा भट्ट कंपनियों से ग्राहकों को फोन करने वाले कॉल सेंटर प्रबंधन का काम देखती है. इस मामले में फरार चल रहे कमल कश्यप ग्राहकों से पैसे लेने के लिए फर्जी बैंक अकाउंट सिम कार्ड उपलब्ध कराता था.

डेविड कुमार जाटव उसे 50 हजार प्रति फर्जी बैंक अकाउंट के आधार पर पेमेंट करता था. यह अपनी फर्जी वेबसाइट लोगों तक पहुंचाने के लिए गूगल पर भी ऐड दिया करते थे. जिसकी दिन भर की लागत 30 से 40 हजार हुआ करती थी और इन्होंने कॉल सेंटर के लिए दो फ्लैट किराए पर ले रखे थे. जिसका मासिक किराया 1.5 लाख था, जिसमें 25 से 30 लड़कियों को काम दिया था और उन्हें 10 से 15 हजार रूपए मासिक वेतन दिया जाता था.

ठगी की सूचना देने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त

फोन करने वाली लड़कियां प्रत्येक ग्राहक का रिकॉर्ड मेंटेन करती थीं और उसे एक्सल नोट पर लिखती थीं. इन एक्सल फाइलों की जांच करने पर आठ से 10 हजार लोगों के साथ ठगी की वारदात करने का मामला सामने आया है. इन्होंने लगभग 10 हजार लोगों से 10 करोड़ की ठगी की. इस मामले को लेकर साइबर पुलिस ने नोडल अधिकारी भी नियुक्त कर दिया है. जिसके साथ लोन के नाम पर ऑनलाइन ठगी हुई हो तो नोडल अधिकारी से मिले और उन्हें उसके विषय में सूचना दें.

आरोपियों के पास से पुलिस ने छह नए लैपटॉप, 25 मोबाइल फोन, 2198 एक्टिवेटेड सिम कार्ड, 19 डेबिट कार्ड, तीन रेंट एग्रीमेंट संबंधी दस्तावेज, तीन वेबसाइट संबंधी दस्तावेज, एक रजिस्टर एक राउटर मॉडेम इंटरनेट कन्वर्टर. एक कार बरामद की है. वहीं पुलिस का कहना है कि इनके और भी वेबसाइट के विषय में पता लगाया जा रहा है. अभी तक पुलिस ने 12 वेबसाइट का खुलासा किया है. यह वेबसाइट लोन मैंने के नाम पर चलाई जाती थी और जब लोगों से लोन देने के पहले उनसे जीएसटी अन्य तरीके से पैसे अकाउंट में डलवा लेते थे. फिर उस वेबसाइट को बंद कर देते थे. यह काम इन्होंने अगस्त 2018 से शुरू करा था.

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