भोपाल। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते मध्य प्रदेश में 1 अप्रैल से बिजली दरों में कोई बदलाव नहीं होगा. लॉकडाउन के चलते मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने बिजली के नए टैरिफ पर सुनवाई टाल दी है. अब यह संकट पूरी तरह से टलने के बाद ही सुनवाई की नई तारीख तय होगी. इसके बाद ही बिजली दरों में कोई बदलाव होगा.
नए वित्तीय वर्ष के लिए बिजली दरों का नया टैरिफ लागू होना प्रस्तावित है. इससे पहले बिजली कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2020- 21 के लिए बिजली की दरों में इजाफे का प्रस्ताव दिया था. बिजली कंपनियों ने सालाना करीब 2000 करोड़ रुपए के वित्तीय हानि का आंकलन करते हुए इसकी भरपाई की मांग की थी. इसको लेकर विद्युत नियामक आयोग की तरफ से लोगों से आपत्तियां मांगी गई थी. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से करीब 22 आपत्तियां लगी थी. जिसके जवाब तैयार हो रहे हैं. उधर इंदौर में करीबन 38 आपत्तियां आई थी.
इंदौर की पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी विगत 17 मार्च को जन सुनवाई होनी थी. इसी तरह भोपाल के मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में 23 मार्च को जन सुनवाई की तारीख तय की गई थी, लेकिन कोरोना वायरस के चलते पूर्व में दोनों ही सुनवाई टाल दी गई. अब कोरोना वायरस का संकट पूरी तरह से टलने के बाद ही इसकी सुनवाई होगी और उसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. सुनवाई ना हो पाने की वजह से पुराना टैरिफ जारी रहेगा. सत्ता
परिवर्तन का भी दिखेगा असर
मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का असर भी बिजली की दरों में देखने को मिल सकता है. कमलनाथ सरकार ने शिवराज सरकार द्वारा शुरू की गई संबल योजना में गड़बड़ी के आधार पर इसे बंद कर दिया गया था और इसके स्थान पर इंदिरा गृह ज्योति योजना लॉन्च की थी. जिसमें 100 यूनिट बिजली खपत करने वाले उपभोक्ता को 100 रुपए ही बिजली बिल जमा करना पड़ता है. वहीं डेढ़ सौ यूनिट तक 30 दिन में खपत करने वाले उपभोक्ताओं को 391 भरने पड़ते हैं. माना जा रहा है कि सरकार इस योजना में मामूली फेरबदल कर इसका नाम परिवर्तित कर सकती है.