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कैसे पूरा होगा 'किल कोरोना' अभियान ? राजधानी के अस्पतालों में संसाधनों की है कमी - bhopal news'

प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोविड मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन सपोर्ट बेड की 44 फीसदी कमी है. बाकी प्रदेश की हालत भी बहुत बेहतर नहीं है. प्रदेश में ऐसे 5,861 बेड की जरूरत है, जिनमें करीब 46 फीसदी ऑक्सीजन सपोर्ट बेड की कमी बनी हुई है.

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अस्पतालों में संसाधनों की कमी
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Published : Jul 31, 2020, 5:24 PM IST

Updated : Jul 31, 2020, 9:18 PM IST

भोपाल। राज्य सरकार भले ही कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं के दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोविड मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन सपोर्ट बेड की 44 फीसदी कमी है. बाकी प्रदेश की हालत भी बहुत बेहतर नहीं है. प्रदेश में ऐसे 5,861 बेड की जरूरत है, करीब 46 फीसदी ऑक्सीजन सपोर्ट बेड की कमी बनी हुई है.

इन दावों में सच्चाई कितनी है?
ये स्थिति तब है, जब मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है. प्रदेश में एक्टिव केस की संख्या आठ हजार पांच सौ के करीब पहुंच चुकी है. कोरोना के मामले में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर की हालत सबसे ज्यादा खराब है. इन तीन शहरों में प्रदेश के 54 फीसदी एक्टिव मरीज हैं. कोरोना एक्टिव केस के मामले में भोपाल, इंदौर को पछाड़कर अब टॉप पर पहुंच चुका है. भोपाल में कोरोना के एक्टिव केस की संख्या 2000 के पार पहुंच चुकी है.

राजधानी में हर रोज कोरोना के मरीज बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं. इसके चलते हमीदिया और एम्स भोपाल में बेड की संख्या लगभग फुल होने की स्थिति में पहुंच रही है. कोरोना के गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन बेड जीवन रक्षक साबित होते हैं, मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस से 857 लोग अपनी जान गवां चुके हैं, वहीं भोपाल में 169 लोग इस महामारी का शिकार हो चुके हैं.

मध्यप्रदेश में 1,264 ऑक्सीजन सपोर्ट बेड की जरूरत है, जबकि मौजूदा समय में इसकी उपलब्धता 686 है. वहीं आईसीयू बेड की जरूरत 385 है, जबकि उपलब्ध 246 है. इसी तरह हाई फ्लो ऑक्सीजन बेड की जरूरत 1157 की है, जबकि उपलब्ध मात्र 390 है. इन हालातों के बावजूद चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री विश्वास सारंग का दावा है कि, 'प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं पर्याप्त हैं. सरकार कोरोना को लेकर बेहद गंभीर है और इससे निपटने के लिए जो भी इंतजाम करने की जरूरत पड़ेगी, सरकार उसके लिए तैयार है, स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बजट की कोई कमी नहीं है'.

भोपाल। राज्य सरकार भले ही कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं के दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोविड मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन सपोर्ट बेड की 44 फीसदी कमी है. बाकी प्रदेश की हालत भी बहुत बेहतर नहीं है. प्रदेश में ऐसे 5,861 बेड की जरूरत है, करीब 46 फीसदी ऑक्सीजन सपोर्ट बेड की कमी बनी हुई है.

इन दावों में सच्चाई कितनी है?
ये स्थिति तब है, जब मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है. प्रदेश में एक्टिव केस की संख्या आठ हजार पांच सौ के करीब पहुंच चुकी है. कोरोना के मामले में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर की हालत सबसे ज्यादा खराब है. इन तीन शहरों में प्रदेश के 54 फीसदी एक्टिव मरीज हैं. कोरोना एक्टिव केस के मामले में भोपाल, इंदौर को पछाड़कर अब टॉप पर पहुंच चुका है. भोपाल में कोरोना के एक्टिव केस की संख्या 2000 के पार पहुंच चुकी है.

राजधानी में हर रोज कोरोना के मरीज बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं. इसके चलते हमीदिया और एम्स भोपाल में बेड की संख्या लगभग फुल होने की स्थिति में पहुंच रही है. कोरोना के गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन बेड जीवन रक्षक साबित होते हैं, मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस से 857 लोग अपनी जान गवां चुके हैं, वहीं भोपाल में 169 लोग इस महामारी का शिकार हो चुके हैं.

मध्यप्रदेश में 1,264 ऑक्सीजन सपोर्ट बेड की जरूरत है, जबकि मौजूदा समय में इसकी उपलब्धता 686 है. वहीं आईसीयू बेड की जरूरत 385 है, जबकि उपलब्ध 246 है. इसी तरह हाई फ्लो ऑक्सीजन बेड की जरूरत 1157 की है, जबकि उपलब्ध मात्र 390 है. इन हालातों के बावजूद चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री विश्वास सारंग का दावा है कि, 'प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं पर्याप्त हैं. सरकार कोरोना को लेकर बेहद गंभीर है और इससे निपटने के लिए जो भी इंतजाम करने की जरूरत पड़ेगी, सरकार उसके लिए तैयार है, स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बजट की कोई कमी नहीं है'.

Last Updated : Jul 31, 2020, 9:18 PM IST
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