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प्रदेश सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद थम नहीं रहे हैं स्वाइन फ्लू के मामले, एक महीने में हुई 35 मौतें

मध्यप्रदेश में स्वाइन फ्लू से एक महीनें में 35 लोगों की मौत हो चुकी है. अकेले राजधानी भोपाल में 20 लोगों की मौत स्वाइन फ्लू से हो चुकी है.

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Published : Feb 25, 2019, 2:33 PM IST

स्वाइन फ्लू

भोपाल। प्रदेश सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद मध्यप्रदेश में स्वाइन फ्लू के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. पिछले एक महीनें में 35 लोगों की मौत हो चुकी है, अकेले राजधानी भोपाल में 20 लोगों की मौत स्वाइन फ्लू से हो चुकी है. चिकित्सकों के मुताबिक सबसे ज्यादा मौतें सही वक्त पर सही इलाज नहीं मिल पाने की वजह से हो रही हैं.

स्वाइन फ्लू

प्रदेश में अभी तक स्वाइन फ्लू के 447 संदिग्ध मरीज मिले हैं. जिनमें 355 मरीजों की नेगेटिव रिपोर्ट पाई गई है. वहीं भोपाल और दूसरे जिले मिलाकर 79 मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं जिसमें से भोपाल के ही 61 मरीज हैं और दूसरे जिलों के 18 मरीज हैं. एक ओर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे सरकार की तरफ से किए जाते हैं. वहीं जमीनी हकीकत कुछ और ही देखने को मिल रही है. अच्छे इलाज के लिए लोग प्राइवेट अस्पताल का रुख कर रहे हैं. लेकिन जो मरीज सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने जाते हैं तो उन्हें आर्थिक तंगी के कारण उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है.

स्वाइन फ्लू का इलाज कराना प्राइवेट अस्पतालों में काफी महंगा साबित होता है. जो लोग यहां उपचार कराने में असमर्थ हैं, वो मजबूरन सरकारी अस्पतालों में पहुंचते हैं. स्वाइन फ्लू बीमारी H1N1 वायरस के कारण फैलती है, खास तौर पर बच्चे, प्रेग्नेंट महिला, अस्थमा के मरीज और बुजुर्गों को ये बीमारी होने की संभावना ज्यादा रहती है. अगर सावधानी बरती जाए तो इस बीमारी की जद से बचा जा सकता है. खासकर ठंड में यह बीमारी और तेजी से फैलती है. स्वाइन फ्लू के मुख्य लक्षण नाक बहना, छींक आना, सिर में दर्द होना, थकान महसूस होना , गले में खराश होना हैं.

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भोपाल। प्रदेश सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद मध्यप्रदेश में स्वाइन फ्लू के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. पिछले एक महीनें में 35 लोगों की मौत हो चुकी है, अकेले राजधानी भोपाल में 20 लोगों की मौत स्वाइन फ्लू से हो चुकी है. चिकित्सकों के मुताबिक सबसे ज्यादा मौतें सही वक्त पर सही इलाज नहीं मिल पाने की वजह से हो रही हैं.

स्वाइन फ्लू

प्रदेश में अभी तक स्वाइन फ्लू के 447 संदिग्ध मरीज मिले हैं. जिनमें 355 मरीजों की नेगेटिव रिपोर्ट पाई गई है. वहीं भोपाल और दूसरे जिले मिलाकर 79 मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं जिसमें से भोपाल के ही 61 मरीज हैं और दूसरे जिलों के 18 मरीज हैं. एक ओर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे सरकार की तरफ से किए जाते हैं. वहीं जमीनी हकीकत कुछ और ही देखने को मिल रही है. अच्छे इलाज के लिए लोग प्राइवेट अस्पताल का रुख कर रहे हैं. लेकिन जो मरीज सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने जाते हैं तो उन्हें आर्थिक तंगी के कारण उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है.

स्वाइन फ्लू का इलाज कराना प्राइवेट अस्पतालों में काफी महंगा साबित होता है. जो लोग यहां उपचार कराने में असमर्थ हैं, वो मजबूरन सरकारी अस्पतालों में पहुंचते हैं. स्वाइन फ्लू बीमारी H1N1 वायरस के कारण फैलती है, खास तौर पर बच्चे, प्रेग्नेंट महिला, अस्थमा के मरीज और बुजुर्गों को ये बीमारी होने की संभावना ज्यादा रहती है. अगर सावधानी बरती जाए तो इस बीमारी की जद से बचा जा सकता है. खासकर ठंड में यह बीमारी और तेजी से फैलती है. स्वाइन फ्लू के मुख्य लक्षण नाक बहना, छींक आना, सिर में दर्द होना, थकान महसूस होना , गले में खराश होना हैं.

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Intro:भोपाल। प्रदेश में स्वाइन फ्लू का कहर जारी है बीते 2 महीनों में प्रदेश भर में स्वाइन फ्लू के चलते 35 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि राजधानी भोपाल में ही स्वाइन फ्लू से 20 मरीजों की मौत 1 जनवरी से लेकर 21 फरवरी के बीच हो चुकी है। जिनमें से 10 भोपाल के हैं और 10 मरीज दूसरे जिलों के हैं। अभी तक स्वाइन फ्लू के 447 संदिग्ध मरीज मिले हैं। जिनमें 355 मरीजों की नेगेटिव रिपोर्ट पाई गई है, वहीं भोपाल और दूसरे जिले मिलाकर 79 मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं। जिसमें से भोपाल के ही 61 मरीज हैं और दूसरे जिलों के 18 मरीज हैं। इंफेक्शन से स्वाइन फ्लू की बीमारी फैलती है, स्वाइन फ्लू कैलेंडर के 1 जनवरी से 31 दिसंबर के आधार पर जाए तो ठंड के समय में स्वाइन फ्लू से ज्यादा मौतें होती हैं।

बाइट- डॉ एन यू खान (जिला स्वास्थ्य अधिकारी) आंकड़ो पर


Body:एक और स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बड़े बड़े दावे सरकार की तरफ से किए जाते हैं। वहीं स्वाइन फ्लू की जमीनी हकीकत कुछ और ही देखने को मिल रही है। अच्छे इलाज के लिए लोग प्राइवेट अस्पताल का रुख कर रहे हैं। लेकिन जो मरीज सरकारी अस्पताल में लाज करवाने जाते हैं तो उन्हें आर्थिक तंगी के कारण उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। वहीं जिम्मेदार लोग निर्देश देकर अपने काम से पल्ला झाड़ लेते हैं। स्वाइन फ्लू से सबसे ज्यादा मौतें सही इलाज ना होने के कारण होती है, आलम यह है कि स्वाइन फ्लू का ट्रीटमेंट करने वाले डॉक्टरों के लिए भी इसका वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है।

बाइट-डॉ अरविंद चौहान (विशेषयज्ञ मेडिसिन, प्रोफेसर विदिशा मेडिकल कॉलेज)


Conclusion:आपको बता दें कि स्वाइन फ्लू का इलाज कराना प्राइवेट अस्पतालों में काफी महंगा साबित होता है। जो लोग यहां उपचार कराने में असमर्थ हैं वो मजबूरन सरकारी अस्पतालों में पहुंचते हैं। राजधानी भोपाल में 52 दिनों में स्वाइन फ्लू ने 20 लोगों की जान लेली है इनमें से अधिकांश मौतें प्राइवेट अस्पतालों में हुई हैं। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी अस्पतालों में हुई मौतों का स्पष्ट आंकड़ा बताने से कतराते नज़र आये। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि जब हर साल स्वाइन फ्लू के चलते कई लोगों को अपनी जान गवानी पड़ती है तो सीजन की शरुआत से पहले ही सरकार इसका एन्टी डोस आम लोगों के लिए असप्तालों में क्यों उपलब्ध नहीं कराती है।

बाइट-डॉ एन यू खान (जिला स्वास्थ्य अधिकारी) सुविधा पर


यह होते हैं स्वाइन फ्लू के लक्षण

स्वाइन फ्लू बीमारी h1 n1 वायरस के कारण फैलती है, खास तौर पर बच्चे, प्रेग्नेंट महिला, अस्थमा के मरीज और बुजुर्ग इसके जल्दी शिकार हो जाते हैं। अगर सावधानी बरती जाए तो इस बीमारी की जद से बचा जा सकता है, खासकर ठंड में यह बीमारी और तेजी से फैलती है इस बीमारी का वायरस सुअरों में ज्यादा पाया जाता है। स्वाइन फ्लू के मुख्य लक्षण नाक बहना, छींक आना, सिर में दर्द होना, थकान महसूस होना , गले में खराश होना हैं।

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