भोपाल। प्रदेश सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद मध्यप्रदेश में स्वाइन फ्लू के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. पिछले एक महीनें में 35 लोगों की मौत हो चुकी है, अकेले राजधानी भोपाल में 20 लोगों की मौत स्वाइन फ्लू से हो चुकी है. चिकित्सकों के मुताबिक सबसे ज्यादा मौतें सही वक्त पर सही इलाज नहीं मिल पाने की वजह से हो रही हैं.
प्रदेश में अभी तक स्वाइन फ्लू के 447 संदिग्ध मरीज मिले हैं. जिनमें 355 मरीजों की नेगेटिव रिपोर्ट पाई गई है. वहीं भोपाल और दूसरे जिले मिलाकर 79 मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं जिसमें से भोपाल के ही 61 मरीज हैं और दूसरे जिलों के 18 मरीज हैं. एक ओर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे सरकार की तरफ से किए जाते हैं. वहीं जमीनी हकीकत कुछ और ही देखने को मिल रही है. अच्छे इलाज के लिए लोग प्राइवेट अस्पताल का रुख कर रहे हैं. लेकिन जो मरीज सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने जाते हैं तो उन्हें आर्थिक तंगी के कारण उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है.
स्वाइन फ्लू का इलाज कराना प्राइवेट अस्पतालों में काफी महंगा साबित होता है. जो लोग यहां उपचार कराने में असमर्थ हैं, वो मजबूरन सरकारी अस्पतालों में पहुंचते हैं. स्वाइन फ्लू बीमारी H1N1 वायरस के कारण फैलती है, खास तौर पर बच्चे, प्रेग्नेंट महिला, अस्थमा के मरीज और बुजुर्गों को ये बीमारी होने की संभावना ज्यादा रहती है. अगर सावधानी बरती जाए तो इस बीमारी की जद से बचा जा सकता है. खासकर ठंड में यह बीमारी और तेजी से फैलती है. स्वाइन फ्लू के मुख्य लक्षण नाक बहना, छींक आना, सिर में दर्द होना, थकान महसूस होना , गले में खराश होना हैं.