भोपाल। जिस 'द भोपाल स्टोरी' की बात इन दिनों एमपी में चर्चा का विषय बनी हुई है, उसकी इबारत 6 महीने पहले लिखी जाना शुरू हुई थी, बालाघाट की जिस हिंदु युवती को बहला फुसलाकर मुसलमान बनाना चाहा, उसने थाने में एफआईआर कराने के बाद मीडिया से बात की. उसने बताया कि "मैं तो कॉलेज (पशुपालन पत्रोपाधि महाविद्यालय) में फर्स्ट सेमेस्टर की छात्रा हूं और वेटरनरी अस्पताल में कैसे काम होता है, यह देखने के लिए भेजा गया था. इसी दौरान अनम से पहचान हुई. वह खुद को एनीमल लवर बताती है, लेकिन इसकी आड़ में वह युवतियों को बरगलाती है."
अनीमल लवर है धर्मपरिवर्तन कराने वाली अनम: ईटीवी भारत ने युवती की बात की तस्दीक करने के लिए जब अनम के इंस्टाग्राम अकाउंट को सर्च किया तो उसके ढेरों फोटो एनीमल के साथ मिले, इसमें वह कुत्तों को खिला रही है, घुमा रही है और उन्हें दुलार कर रही है. पीड़ित युवती ने बताया कि "शुरूआत में उसे देखकर लगा कि इस जैसा ही बनना चाहिए, उसकी बातों से मैं बहुत प्रभावित थी. जब वह कमरे में मेरे साथ रहने लग गई, तब पता चला कि उसके मन में क्या है."
नगर मिगम में ड्राइवर है अनम का साथी: फिलहाल युवती की एफआईआर पर पुलिस ने अनम को गिरफ्तार कर लिया है वहीं अनम का एक अन्य साथी आरोपी हामिद खान फरार है. ईटीवी भारत की पड़ताल में सूत्रों से पता चला है कि हामिद खान नगर निगम में ड्राइवर है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि हामिद कौन सा वाहन चलाता है. मामले में तस्दीक करने के लिए नगर निगम के अफसरों से बात करने के लिए कॉल किया तो जवाब नहीं मिला, इधर पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने कहा कि "इस पूरे मामले की जांच एसीपी स्तर के अफसर से करवा रहे हैं."
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इन धाराओं में दर्ज हुआ मामला: महिला थाने में युवती की शिकायत पर कुल 7 धाराओं में मामला दर्ज हुआ है, इनमें मप्र धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 समेत एट्रोसिटी एक्ट शामिल हैं. डिटेल से समझिए कि किस मामले में काैन सी धारा लगाई गई है.
- 354- यह धारा किसी महिला के साथ हुए यौन उत्पीड़न, मारपीट या उसके अभिमान को ठेस पहुंचाने के बाद लगाई जाती है, इसे संज्ञेय अपराध माना जाता है. यह गैर जमानती धारा है, 1 से तीन साल की सजा हो सकती है.
- 342- किसी भी व्यक्ति को गलत ढंग से बंद करके रखने पर यह धारा लगाई जाती है, इसमें एक वर्ष का कारावास या जुर्माना होता है. हालांकि यह एक जमानती अपराध है.
- 34- यह धारा किसी अपराध में सहयोग करने पर लगाई जाती है, इसमें संयुक्त रूप से अपराधी बनाया जाता है. योजना बनाकर किए गए अपराध में यह धारा लगाई जाती है.
- मप्र धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 की धारा 3- एक धर्म से दूसरे धर्म में नियम विरु्ध परिवर्तन करवाने पर यह धारा लगाई जाती है.
- मप्र धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 की धारा 5- सामुहिक रूप से मिलकर धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास करने पर.
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 की धारा 3(1)(W)(i)- जब किसी दलित या आदिवासी को जानबूझकर जाति सूचक शब्दों से अपमानित किया जाए.
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 की धारा 3(2)(va)- किसी दलित या आदिवासी स्त्री का शील भंग करने के उद्देश्य से उसके ऊपर हमला करने या आपराधिक बल प्रयोग करने पर यह धारा लगाई जाती है. उपरोक्त दोनों धारा में तीन दिन तक जमानत नहीं होती है और थाने से तो जमानत ही नहीं होती है.