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44 दिनों से जारी है अतिथि विद्वानों का आंदोलन, प्रशासन नहीं ले रहा सुध

प्रदेश में अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलन 44 दिनों से जारी है. वहीं अतिथि विद्वानों का कहना है कि सीएम के पास विदेश घूमने का समय है, लेकिन अतिथि विद्वानों का हाल जानने का समय नहीं है.

Guest scholars' movement continues to demand regularization
नियमितीकरण की मांग को लेकर अतिथि विद्वानों का आंदोलन जारी
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Published : Jan 22, 2020, 2:11 PM IST

भोपाल। प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में पिछले कई सालों से कार्यरत अतिथि विद्वान अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर पिछले 44 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. जिस पर अब तक सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है. ऐसे में आंदोलनरत अतिथि विद्वानों का कहना है कि, 'मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास विदेश घूमने के लिए समय है, लेकिन मर रहे अतिथि विद्वानों की सुध लेने का समय नहीं है'.

नियमितीकरण की मांग को लेकर अतिथि विद्वानों का आंदोलन जारी

अतिथि विद्वान के मीडिया प्रभारी जीपीएस चौहान का कहना है कि, वे लोग पिछले 44 दिनों से आग, पानी, कोहरा, पाला झेल रहे हैं, लेकिन शासन- प्रशासन को उनकी सुध लेने की फुर्सत नहीं है. उन्होंने कहा,' सीएम कमलनाथ के पास विदेश जाने का समय है, घूमने के लिए समय है, लेकिन अतिथि विद्वानों का हाल जानने के लिए समय नहीं है'.

जीपीएस चौहान ने कहा कि, 'कांग्रेस की सरकार ने वचन दिया था कि, अतिथि विद्वानों को नियमित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि, इस आंदोलन में उनके कुछ साथियों की जान चली गई है, कुछ को लकवा मार गया है. वहीं किसी के बच्चे की कोख में ही मौत हो गई है. आखिर सरकार कब उनकी सुध लेगी और अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का वादा पूरा करेगी'.

भोपाल। प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में पिछले कई सालों से कार्यरत अतिथि विद्वान अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर पिछले 44 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. जिस पर अब तक सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है. ऐसे में आंदोलनरत अतिथि विद्वानों का कहना है कि, 'मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास विदेश घूमने के लिए समय है, लेकिन मर रहे अतिथि विद्वानों की सुध लेने का समय नहीं है'.

नियमितीकरण की मांग को लेकर अतिथि विद्वानों का आंदोलन जारी

अतिथि विद्वान के मीडिया प्रभारी जीपीएस चौहान का कहना है कि, वे लोग पिछले 44 दिनों से आग, पानी, कोहरा, पाला झेल रहे हैं, लेकिन शासन- प्रशासन को उनकी सुध लेने की फुर्सत नहीं है. उन्होंने कहा,' सीएम कमलनाथ के पास विदेश जाने का समय है, घूमने के लिए समय है, लेकिन अतिथि विद्वानों का हाल जानने के लिए समय नहीं है'.

जीपीएस चौहान ने कहा कि, 'कांग्रेस की सरकार ने वचन दिया था कि, अतिथि विद्वानों को नियमित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि, इस आंदोलन में उनके कुछ साथियों की जान चली गई है, कुछ को लकवा मार गया है. वहीं किसी के बच्चे की कोख में ही मौत हो गई है. आखिर सरकार कब उनकी सुध लेगी और अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का वादा पूरा करेगी'.

Intro:भोपाल। प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में पिछले कई सालों से कार्यरत अतिथि विद्वान अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर पिछले 44 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस की सरकार अपना वचन निभाने में नाकाम नजर आ रही है। आंदोलनकारी अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर चुकी है।लेकिन अब तक नियमितीकरण पर फैसला नहीं हो पाया है। ऐसे में आंदोलनरत अतिथि विद्वानों का कमलनाथ सरकार पर भरोसा उठ रहा है।अतिथि विद्वानों का कहना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ को विदेश घूमने के लिए तो समय है, लेकिन मर रहे अतिथि विद्वानों की सुध लेने का समय नहीं है। फिलहाल अतिथि विद्वान अपनी नियमितीकरण की मांग पर अड़े हुए और सरकार इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं ले पा रही है। ऐसे में अतिथि विद्वानों का आंदोलन लंबा चलने के आसार नजर आ रहे हैं।


Body:इस मामले में अतिथि विद्वान के मीडिया प्रभारी जी पी एस चौहान का कहना है कि हम लोग यहां पर 44 दिन से आग, पानी, कोहरा, पाला झेलते हुए पड़े हुए हैं। लेकिन शासन-प्रशासन को हमारी सुध लेने की फुर्सत नहीं है। मुख्यमंत्री को विदेश जाने के लिए समय है, घूमने के लिए समय है।लेकिन यहां पर मर रहे अतिथि विद्वानों का हाल जानने के लिए समय नहीं है।उन्होंने वचन दिया था कि अतिथि विद्वानों को नियमित किया जाएगा। नियमितीकरण तो दूर उन्होंने आज हमारी दिहाड़ी भी छीन ली। अतिथि विद्वान आज भूखे मरते हुए यहां पड़े हुए हैं।हमारे कुछ साथियों की जान चली गई है,कुछ को लकवा मार गया है। किसी के बच्चे की कोख में मौत हो गई है।आखिर सरकार कब हमारी सुध लेगी और अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का वादा पूरा करेगी।


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