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अलविदा 2019: शिक्षा की गुणवत्ता में दर्ज की गई गिरावट, 15वें स्थान पर पहुंचा एमपी - भोपाल न्यूज

नीति आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट दर्ज की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में मध्य प्रदेश शिक्षा की गुणवत्ता में 15वें स्थान पर रहा.

The decline in the quality of education in Madhya Pradesh
मध्य प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में आई गिरावट
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Published : Dec 29, 2019, 2:27 PM IST

भोपाल। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार मध्य प्रदेश में कई प्रयास कर रही है. इसके बाद भी नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में मध्य प्रदेश शिक्षा की गुणवत्ता में 15वें स्थान पर रहा. जो निराशाजनक था. मध्य प्रदेश में सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग में कई नए नवाचार किए. लेकिन इसका भी कोई असर देखने को नहीं मिला.

मध्य प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में आई गिरावट

मध्य प्रदेश में इस साल शिक्षा के क्षेत्र में कई प्रयास किए गए फिर चाहे बात शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार की हो या फिर शिक्षकों के स्थानांतरण की प्रदेश में इस साल सरकार ने शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही करीब 35 हजार शिक्षकों के ट्रांसफर किए. वहीं कमजोर रिजल्ट देने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी.


⦁ वहीं 10वीं और 12वीं की परीक्षा में खराब रिजल्ट देने वाले स्कूलों के शिक्षकों की दक्षता परीक्षा हुई. ऐसा पहली बार हुआ जब शिक्षकों की दक्षता परीक्षा ली गई और फेल होने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई.
⦁ इसके साथ ही प्रदेश के शासकीय स्कूलों में पहली बार पेरेंट्स टीचर मीट की शुरुवात की गई. साथ ही कॉपी चेकिंग अभियान की भी शुरुवात हुई. जिससे स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ी.
⦁ इसके साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के शासकीय स्कूलों के शिक्षकों को दक्षिण कोरिया, दिल्ली और लखनव के स्कूलों का दौरा कराया गया. दक्षिण कोरिया की शिक्षा प्रणाली को प्रदेश के शाकीय स्कूलों में लागू करने की तैयारी भी साल 2019 में हुई. इससे प्रदेश के स्कूलों में कई बदलाव देखे गए.
⦁ इसके साथ ही शासकीय स्कूलों के स्पष्ट अक्षर के सुधार के लिए भी कई कदम उठाए गए. करीब 1 हजार स्मार्ट स्कूल बनाने का लक्ष्य सरकार ने तय किया.

भोपाल। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार मध्य प्रदेश में कई प्रयास कर रही है. इसके बाद भी नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में मध्य प्रदेश शिक्षा की गुणवत्ता में 15वें स्थान पर रहा. जो निराशाजनक था. मध्य प्रदेश में सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग में कई नए नवाचार किए. लेकिन इसका भी कोई असर देखने को नहीं मिला.

मध्य प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में आई गिरावट

मध्य प्रदेश में इस साल शिक्षा के क्षेत्र में कई प्रयास किए गए फिर चाहे बात शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार की हो या फिर शिक्षकों के स्थानांतरण की प्रदेश में इस साल सरकार ने शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही करीब 35 हजार शिक्षकों के ट्रांसफर किए. वहीं कमजोर रिजल्ट देने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी.


⦁ वहीं 10वीं और 12वीं की परीक्षा में खराब रिजल्ट देने वाले स्कूलों के शिक्षकों की दक्षता परीक्षा हुई. ऐसा पहली बार हुआ जब शिक्षकों की दक्षता परीक्षा ली गई और फेल होने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई.
⦁ इसके साथ ही प्रदेश के शासकीय स्कूलों में पहली बार पेरेंट्स टीचर मीट की शुरुवात की गई. साथ ही कॉपी चेकिंग अभियान की भी शुरुवात हुई. जिससे स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ी.
⦁ इसके साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के शासकीय स्कूलों के शिक्षकों को दक्षिण कोरिया, दिल्ली और लखनव के स्कूलों का दौरा कराया गया. दक्षिण कोरिया की शिक्षा प्रणाली को प्रदेश के शाकीय स्कूलों में लागू करने की तैयारी भी साल 2019 में हुई. इससे प्रदेश के स्कूलों में कई बदलाव देखे गए.
⦁ इसके साथ ही शासकीय स्कूलों के स्पष्ट अक्षर के सुधार के लिए भी कई कदम उठाए गए. करीब 1 हजार स्मार्ट स्कूल बनाने का लक्ष्य सरकार ने तय किया.

Intro:मध्य प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग में साल 2019 में अनेक प्रयास किए गए हालांकि नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में मध्य प्रदेश शिक्षा की गुणवत्ता में 15वें स्थान पर रहा जो निराशाजनक था हवा के मध्य प्रदेश में सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग में कई नए नवाचार किए हेलो की देखना होगा कि 2020 में स्कूल शिक्षा विभाग क्या कुछ ना नवाचार करेगा


Body:मध्यप्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है अगर हम बात करें साल 2019 की तो स्कूल शिक्षा विभाग ने गंभीरता से स्कूल की शिक्षा गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रयास किए हैं
मध्य प्रदेश में इस वर्ष शिक्षा के क्षेत्र में कई प्रयास किए गए फिर चाहे बात शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार की हो या फिर शिक्षकों के स्थानांतरण की प्रदेश में इस वर्ष सरकार ने शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही करीब 35000 शिक्षकों के ट्रांसफर किए वहीं कमजोर रिजल्ट देने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी,
वही 10वीं 12वीं की परीक्षा में खराब रिजल्ट देने वाले स्कूलों के शिक्षकों की दक्षता परीक्षा हुई ऐसा पहली बार हुआ जब शिक्षकों की दक्षता परीक्षा ली गई और फेल होने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई...
इसके साथ ही प्रदेश के शासकीय स्कूलों में पहली बार पेरेंट्स टीचर मीट की शुरुवात की गई ओर साथ ही कॉपी चेकिंग अभियान की भी शुरुवात हुई जिससे स्कूलों में छात्रो की उपस्थिति बढ़ी,
इसके साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के शासकीय स्कूलों के शिक्षकों को दक्षिण कोरिया , दिल्ली, एवं लखनव के स्कूलों का दौरा कराया गया दक्षिण कोरिया की शिक्षा प्रणाली को प्रदेश के शाकीय स्कूलों में लागू करने की तैयारी साल 2019 में हुई इससे प्रदेश के स्कूलों में कई बदलाव देखे गए।
इसके साथ ही शासकीय स्कूलों के स्पष्ट अक्षर के सुधार के लिए भी कई कदम उठाए और करीब 1000 स्मार्ट स्कूल बनाने का लक्ष्य सरकार ने तय किया।

तमाम प्रयासों के बाद भी साल 2019 में नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षा की गुणवत्ता में मध्यप्रदेश का स्थान 15वें नंबर पर रहा जो निराशाजनक था हालांकि अब देखना होगा कि साल 2020 में इन प्रयासों का क्या असर देखने को मिलता है

बाइट- प्रभुराम चौधरी स्कूल शिक्षा मंत्री


Conclusion:साल 2019 मैं स्कूल शिक्षा विभाग में हुए कई प्रयास दक्षिण कोरिया का दौरा स्टीम एजुकेशन का शुभारंभ शिक्षकों की दक्षता परीक्षा प्रदेश के शासकीय स्कूलों में पेरेंट्स टीचर मीटिंग का आयोजन कॉपी चेक अभियान ऐसे तमाम प्रयास शासकीय स्कूलों में देखने को मिले
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