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क्या है भावांतर योजना ? जिसका जिक्र किसान आंदोलन में हो रहा - क्या है भावांतर योजना

2017 में लागू की गई भावांतर योजना अब बंद कर दी गई है, इस योजना के लागू होने के बाद जमकर सियासत भी हुई थी. अब इसी भावांतर योजना का जिक्र किसान आंदोलन में किया जा रहा है.

What is Bhavantar Yojana
क्या है भावांतर योजना
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Published : Jan 4, 2021, 1:24 PM IST

भोपाल। किसान आंदोलन के बीच मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 2017 में लागू की गई भावांतर योजना की चर्चा जमकर हो रही है। कहा जा रहा है कि केंद्र की सरकार आंदोलनरत किसानों के सामने भावांतर योजना का मसौदा पेश कर सकती है, मध्य प्रदेश के किसानों के इस योजना को लेकर अनुभव अच्छे नहीं रहे हैं, इस योजना के अंतर्गत किसान अपनी फसल खुले तौर पर व्यापारी को बेंच सकते थे, सरकार फसलों का समर्थन मूल्य तय करती थी व्यापारी को भेजी गई फसल के मूल्य और समर्थन मूल्य के अंतर का भुगतान राज्य सरकार किसानों को करती थी, राज्य सरकार द्वारा भुगतान में देरी के कारण यह योजना मध्य प्रदेश के किसानों को पसंद नहीं आई, फिलहाल मध्यप्रदेश में भावांतर के अंतर्गत खरीदी नहीं हो रही है.

  • योजना के अंतर्गत किसानों को कराना होता था पंजीयन

इस योजना के अंतर्गत अपनी उपज बेचने से पहले किसानों को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए एमपी उपार्जन पोर्टल में रजिस्ट्रेशन कराना होता था, रजिस्ट्रेशन के बाद किसान को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना सुनिश्चित हो जाता था, सरकार मंडियों में बिक्री मूल्य और लाभकारी मूल्य के बीच के अंतर का भुगतान किसानों के खाते में सीधा करती थी.

  • क्या है भावांतर योजना और कब हुई थी लागू ?

मंडी में फसलों के भावों के उतार-चढ़ाव से किसानों के लिए सुरक्षा प्रदान करने के हिसाब से मध्यप्रदेश की तत्कालीन शिवराज सरकार ने खरीफ फसल के समय पर प्रायोगिक तौर पर 2017 में मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना शुरू की थी, इस योजना के तहत किसानों को मंडी में उपज का दाम कब मिलने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य यह औसत आदर्श दर से अंतर की राशि का भुगतान सरकार सीधे किसानों के खाते में करती थी, इस योजना की शुरुआत में 2017 की खरीफ फसल के समय पर प्रयोग के तौर पर सोयाबीन, मूंगफली, तिल, राम तिल, मक्का, मूंग, उड़द और तुअर शामिल किया गया था.

योजना के महत्वपूर्ण बिंदु

  1. मुख्यमंत्री भावांतर योजना का उद्देश्य किसानों को दालों और तिलहन के साथ-साथ बागवानी से जुड़ी फसलों को लगाने के लिए प्रेरित करना था.
  2. इस योजना में प्रावधान किया गया था कि अगर किसान की भुगतान 3 महीने के भीतर नहीं होता था, तो किसान को कर्मचारी के वेतन से पैसा काट कर बतौर इनाम के तौर पर दिया जाता था.
  3. किसानों के फसल के भाव अंतर का भुगतान सीधे उनके खातों में किया जाता था और उन्हें एसएमएस के जरिए भुगतान की सूचना दी जाती थी.
  • किसानों को समय पर पैसा न देने के कारण जमकर हुई थी आलोचना

इस योजना के अंतर्गत तत्कालीन शिवराज सरकार ने 3 महीने के अंदर किसान के भावांतर के भुगतान की व्यवस्था की थी, लेकिन पहले ही प्रयोग में किसानों का पैसा समय पर नहीं मिल पाया था और जमकर सियासत हुई थी, ऐसी स्थिति में मध्य प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 6 महीने में इसे वापस ले लिया था, योजना की खामियों को देखते हुए नीति आयोग और केंद्र सरकार ने एक कमेटी बनाकर इसे बेहतर बनाने की सिफारिश की थी.

भोपाल। किसान आंदोलन के बीच मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 2017 में लागू की गई भावांतर योजना की चर्चा जमकर हो रही है। कहा जा रहा है कि केंद्र की सरकार आंदोलनरत किसानों के सामने भावांतर योजना का मसौदा पेश कर सकती है, मध्य प्रदेश के किसानों के इस योजना को लेकर अनुभव अच्छे नहीं रहे हैं, इस योजना के अंतर्गत किसान अपनी फसल खुले तौर पर व्यापारी को बेंच सकते थे, सरकार फसलों का समर्थन मूल्य तय करती थी व्यापारी को भेजी गई फसल के मूल्य और समर्थन मूल्य के अंतर का भुगतान राज्य सरकार किसानों को करती थी, राज्य सरकार द्वारा भुगतान में देरी के कारण यह योजना मध्य प्रदेश के किसानों को पसंद नहीं आई, फिलहाल मध्यप्रदेश में भावांतर के अंतर्गत खरीदी नहीं हो रही है.

  • योजना के अंतर्गत किसानों को कराना होता था पंजीयन

इस योजना के अंतर्गत अपनी उपज बेचने से पहले किसानों को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए एमपी उपार्जन पोर्टल में रजिस्ट्रेशन कराना होता था, रजिस्ट्रेशन के बाद किसान को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना सुनिश्चित हो जाता था, सरकार मंडियों में बिक्री मूल्य और लाभकारी मूल्य के बीच के अंतर का भुगतान किसानों के खाते में सीधा करती थी.

  • क्या है भावांतर योजना और कब हुई थी लागू ?

मंडी में फसलों के भावों के उतार-चढ़ाव से किसानों के लिए सुरक्षा प्रदान करने के हिसाब से मध्यप्रदेश की तत्कालीन शिवराज सरकार ने खरीफ फसल के समय पर प्रायोगिक तौर पर 2017 में मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना शुरू की थी, इस योजना के तहत किसानों को मंडी में उपज का दाम कब मिलने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य यह औसत आदर्श दर से अंतर की राशि का भुगतान सरकार सीधे किसानों के खाते में करती थी, इस योजना की शुरुआत में 2017 की खरीफ फसल के समय पर प्रयोग के तौर पर सोयाबीन, मूंगफली, तिल, राम तिल, मक्का, मूंग, उड़द और तुअर शामिल किया गया था.

योजना के महत्वपूर्ण बिंदु

  1. मुख्यमंत्री भावांतर योजना का उद्देश्य किसानों को दालों और तिलहन के साथ-साथ बागवानी से जुड़ी फसलों को लगाने के लिए प्रेरित करना था.
  2. इस योजना में प्रावधान किया गया था कि अगर किसान की भुगतान 3 महीने के भीतर नहीं होता था, तो किसान को कर्मचारी के वेतन से पैसा काट कर बतौर इनाम के तौर पर दिया जाता था.
  3. किसानों के फसल के भाव अंतर का भुगतान सीधे उनके खातों में किया जाता था और उन्हें एसएमएस के जरिए भुगतान की सूचना दी जाती थी.
  • किसानों को समय पर पैसा न देने के कारण जमकर हुई थी आलोचना

इस योजना के अंतर्गत तत्कालीन शिवराज सरकार ने 3 महीने के अंदर किसान के भावांतर के भुगतान की व्यवस्था की थी, लेकिन पहले ही प्रयोग में किसानों का पैसा समय पर नहीं मिल पाया था और जमकर सियासत हुई थी, ऐसी स्थिति में मध्य प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 6 महीने में इसे वापस ले लिया था, योजना की खामियों को देखते हुए नीति आयोग और केंद्र सरकार ने एक कमेटी बनाकर इसे बेहतर बनाने की सिफारिश की थी.

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