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मध्यप्रदेश में शुरू होगा टेक्सटाइल पर्यटन, सीएम ने गठित की कमेटी

प्रदेश सरकार के हस्तशिल्प की आर्थिक बेहतरी और एक्स्पोजर के लिए प्रदेश में टेक्सटाइल पर्यटन शुरू किया जाएगा. हथकरघा व हस्तशिल्प संचालनालय ने इसके लिए योजना तैयार की है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके लिए मंत्रियों की एक कमेटी भी गठित की है जो प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के विकास को लेकर रणनीति तय करेंगे.

Bhopal News
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Published : Aug 22, 2020, 3:48 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश का हस्तशिल्प देश में अपनी पहचान रखता है. चंदेरी, महेश्वर की साड़ियों सहित प्रदेश के अलग-अलग इलाकों के हस्तशिल्प को खूब पसंद किया जाता है. अब ऐसे हस्तशिल्प की आर्थिक बेहतरी और एक्स्पोजर के लिए प्रदेश में टेक्सटाइल पर्यटन शुरू किया जाएगा. हाथकरघा व हस्तशिल्प संचालनालय ने इसके लिए योजना तैयार की है.

आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के तहत प्रदेश सरकार स्थानीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में आगे बढ़ रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके लिए मंत्रियों की एक कमेटी भी गठित की है जो प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के विकास को लेकर रणनीति तय करेंगे. आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के तहत प्रदेश के हर जिले को उसकी खासियत के हिसाब से विकसित करने की रणनीति भी तैयार की जा रही है.

इस दिशा में हाथकरघा और हस्तशिल्प संचालनालय ने टेक्सटाइल पर्यटन की योजना तैयार की है. टेक्सटाइल पर्यटन मध्य प्रदेश के पर्यटक स्थलों पर ऐतिहासिक महल और किले मौजूद हैं. इन स्थानों पर देश और विदेश के पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.

हथकरघा और हस्तशिल्प संचालनालय इन स्थानों से जुड़ने जा रहा है. मसलन चंदेरी में बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. फिल्म की शूटिंग भी इन स्थानों पर आए दिन होती रहती है. विभाग के आयुक्त राजीव शर्मा के मुताबिक चंदेरी के हैंडलूम पार्क में वस्त्र संग्रहालय बनाया गया है.

इनमें वस्त्रों के इतिहास के साथ बुनकरों को लोग प्रत्यक्ष वस्त्र तैयार करते देख सकेंगे. यह भी व्यवस्था की जा रही है कि लोग सीधे बुनकरों से साड़ियां खरीद सके. चंदेरी के अलावा महेश्वर, सारंगपुर, धार के वाघ में भी इस तरह की व्य्वस्था की गई है. धार के वाघ में अजंता एलोरा की तरह बौद्ध कालीन गुफाएं हैं, जिनमें कैब पेंटिंग है. प्रदेश में हथकरघा की 11 क्लस्टर मध्यप्रदेश में हथकरघा और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए 11 क्लस्टर स्थापित हैं.

यह क्लस्टर सीहोर जिले के आष्टा, राजगढ़ के सारंगपुर-पढ़ाना, खरगोन जिले के महेश्वर, मंदसौर के खिलचीपुरा, नीमच के अठाना, अशोकनगर के चंदेरी, बालाघाट के वारासिवनी, अलीराजपुर के जोबट, छिंदवाड़ा के सौसर- लोधी खेड़ा, मंडला के मवई और सीधी के पथरौली में स्थापित हैं.

इन सभी स्थानों की अपनी अलग खासियत है. चंदेरी और महेश्वर की साड़ियों की ख्याति विश्व प्रसिद्ध है. इसी तरह गुना, विदिशा में जूट, छतरपुर में टेराकोटा, मेटल पर नक्काशी, डिंडोरी में गोंड पेंटिंग, सीधी में कालीन दरी, मुरैना में चर्म शिल्प, उज्जैन में हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग, खंडवा में लाख शिल्प, झाबुआ में ट्राइवल ज्वेलरी का काम होता है.

प्रदेश में करीब 60 हजार शिल्पी सक्रिय मध्यप्रदेश में हथकरघा से करीब 61000 लोग जुड़े हुए हैं. मध्य प्रदेश हथकरघा और हस्तशिल्प संचालनालय के मुताबिक मध्यप्रदेश में अलग-अलग कलस्टर में 30106 हथकरघे स्थापित हैं. इनमें से 16 हजार करघे संचालित हैं. इनमें चंदेरी में 10700, महेश्वर में 5000, सारंगपुर में 1575, ग्वालियर में 4000 बुनकर कार्यरत है.

भोपाल। मध्य प्रदेश का हस्तशिल्प देश में अपनी पहचान रखता है. चंदेरी, महेश्वर की साड़ियों सहित प्रदेश के अलग-अलग इलाकों के हस्तशिल्प को खूब पसंद किया जाता है. अब ऐसे हस्तशिल्प की आर्थिक बेहतरी और एक्स्पोजर के लिए प्रदेश में टेक्सटाइल पर्यटन शुरू किया जाएगा. हाथकरघा व हस्तशिल्प संचालनालय ने इसके लिए योजना तैयार की है.

आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के तहत प्रदेश सरकार स्थानीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में आगे बढ़ रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके लिए मंत्रियों की एक कमेटी भी गठित की है जो प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के विकास को लेकर रणनीति तय करेंगे. आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के तहत प्रदेश के हर जिले को उसकी खासियत के हिसाब से विकसित करने की रणनीति भी तैयार की जा रही है.

इस दिशा में हाथकरघा और हस्तशिल्प संचालनालय ने टेक्सटाइल पर्यटन की योजना तैयार की है. टेक्सटाइल पर्यटन मध्य प्रदेश के पर्यटक स्थलों पर ऐतिहासिक महल और किले मौजूद हैं. इन स्थानों पर देश और विदेश के पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.

हथकरघा और हस्तशिल्प संचालनालय इन स्थानों से जुड़ने जा रहा है. मसलन चंदेरी में बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. फिल्म की शूटिंग भी इन स्थानों पर आए दिन होती रहती है. विभाग के आयुक्त राजीव शर्मा के मुताबिक चंदेरी के हैंडलूम पार्क में वस्त्र संग्रहालय बनाया गया है.

इनमें वस्त्रों के इतिहास के साथ बुनकरों को लोग प्रत्यक्ष वस्त्र तैयार करते देख सकेंगे. यह भी व्यवस्था की जा रही है कि लोग सीधे बुनकरों से साड़ियां खरीद सके. चंदेरी के अलावा महेश्वर, सारंगपुर, धार के वाघ में भी इस तरह की व्य्वस्था की गई है. धार के वाघ में अजंता एलोरा की तरह बौद्ध कालीन गुफाएं हैं, जिनमें कैब पेंटिंग है. प्रदेश में हथकरघा की 11 क्लस्टर मध्यप्रदेश में हथकरघा और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए 11 क्लस्टर स्थापित हैं.

यह क्लस्टर सीहोर जिले के आष्टा, राजगढ़ के सारंगपुर-पढ़ाना, खरगोन जिले के महेश्वर, मंदसौर के खिलचीपुरा, नीमच के अठाना, अशोकनगर के चंदेरी, बालाघाट के वारासिवनी, अलीराजपुर के जोबट, छिंदवाड़ा के सौसर- लोधी खेड़ा, मंडला के मवई और सीधी के पथरौली में स्थापित हैं.

इन सभी स्थानों की अपनी अलग खासियत है. चंदेरी और महेश्वर की साड़ियों की ख्याति विश्व प्रसिद्ध है. इसी तरह गुना, विदिशा में जूट, छतरपुर में टेराकोटा, मेटल पर नक्काशी, डिंडोरी में गोंड पेंटिंग, सीधी में कालीन दरी, मुरैना में चर्म शिल्प, उज्जैन में हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग, खंडवा में लाख शिल्प, झाबुआ में ट्राइवल ज्वेलरी का काम होता है.

प्रदेश में करीब 60 हजार शिल्पी सक्रिय मध्यप्रदेश में हथकरघा से करीब 61000 लोग जुड़े हुए हैं. मध्य प्रदेश हथकरघा और हस्तशिल्प संचालनालय के मुताबिक मध्यप्रदेश में अलग-अलग कलस्टर में 30106 हथकरघे स्थापित हैं. इनमें से 16 हजार करघे संचालित हैं. इनमें चंदेरी में 10700, महेश्वर में 5000, सारंगपुर में 1575, ग्वालियर में 4000 बुनकर कार्यरत है.

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