भोपाल। कोरोना संक्रमण से लड़ने में जहां डॉक्टर, पुलिस और तमाम प्रशासनिक अधिकारी अहम भूमिका निभा रहे हैं. वहीं स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक भी कोरोना वॉरियर्स के रूप मैदान में डटे हुए हैं. सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की ड्यूटी रेलवे स्टेशन से जिला चिकित्सालय में लगाई जा रही है. वहीं जो शिक्षक घर पर हैं वे लगातार फोन पर कोरोना संक्रमित मरीजों और उनके परिजनों की काउंसलिंग कर रहे हैं.
अंशिका बतातीं हैं कि कोरोना से लड़ने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो. इसके लिए उन्हें तनाव मुक्त रहना होगा. लोग हर बीमारी को कोरोना से जोड़ने लगे हैं और इस डर के साए में जीने लगते हैं कि कहीं उन्हें संक्रमण तो नहीं हो गया है. इसके लिए जरूरी है कि कोरोना संक्रमण के लक्षणों के बारे में सही जानकारी हो. वे लोगों को ये तमाम जानकारी फोन पर उपलब्ध करातीं हैं.
अगर कोई व्यक्ति संक्रमण की चपेट में आ भी जाता है तो उसे घबराने की जरूरत नहीं है. सही समय पर कदम उठाए जाएं तो इस बीमारी से आसानी से निजात पाई जा सकती है. इसके अलावा अगर लोगों को सतर्कता बरतना भी जरूरी है. डेली लाइफ स्टाइल में थोड़ा सा बदलाव करके फिट रहा जा सकता है. साथ ही अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाई जा सकती है. इसके लिए दिन में कुछ समय निकालकर एक्सरसाइज और योगा करने की जरूरत है. इससे हम रिलेक्स फील करते हैं.
इस बीमारी से बचने का सबसे अच्छा उपाय सोशल डिस्टेंसिंग ही है. इसके अलावा कुछ छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर संक्रमण से बचा जा सकता है. जैसे हाथ धोना, बुजुर्गों को घर से बाहर नहीं जाने देना. बाजार और दुकानों पर एहतियात बरते एक-दूसरे से दूरी बनाएं रखना. इन कदमों से संक्रमण से बचा जा सकता है
शिक्षिका अंशिका वर्मा बतातीं हैं कि पहले स्कूलों में बच्चों की काउंसलिंग करतीं थीं. अब कोरोना के मरीजों की काउंसलिंग कर रहीं हैं. उनका मानना है कि उन्हें इस काम को करने में खुशी मिलती है. वे इस काम के जरिए संकट की इस घड़ी में मदद कर पर रहीं हैं उनके लिए ये सबसे बड़ी बात है.