भोपाल। नौ दिनों तक चलने वाले दुर्गा उत्सव की शुरुआत हो चुकी है. देशभर में दुर्गा उत्सव को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. सुबह से ही श्रद्धालु मूर्तियों को लेने के लिए मूर्तिकार के पास पहुंच रहे हैं. राजधानी में सभी बड़ी झांकियों पर देर शाम विधिवत पूजन के बाद दुर्गा प्रतिमा की स्थापना की जाएगी. लगातार हो रही बारिश की वजह से झांकियों का काम भी रुका हुआ है. वहीं बारिश ने झांकियों का खर्चा भी बढ़ा दिया है. अब लोगों को झांकियों में वाटरप्रूफ इंतजाम भी करना पड़ रहे हैं.
राजधानी भोपाल की सबसे बड़ी झांकी पिछले कई सालों से विट्टन मार्केट में बिठाई जा रही है. विट्टन मार्केट के हाट बाजार व्यापारी संघ द्वारा हर साल की तरह इस साल भी एक भव्य झांकी का निर्माण किया गया है. समिति का ये 13वां साल है. इन 13 सालों में समिति के द्वारा देश के अलग-अलग प्राचीन मंदिरों की प्रतिकृति को हुबहू झांकी के स्वरूप में बनाने का प्रयास किया जाता है. जिसे न केवल राजधानी के लोग बल्कि प्रदेशभर के लोगों की सराहना मिलती है. समिति के द्वारा इस साल भी मदुरई के मीनाक्षी मंदिर की प्रतिकृति बनाई गई है. जिसमें दो पंडाल निर्मित किए गए हैं. इन पंडालों में 30 बड़ी मूर्तियों को स्थापित किया गया है.
समिति के संयोजक हरिओम खटीक ने बताया कि मदुरई के मीनाक्षी मंदिर की इस प्रतिकृति को झांकी स्वरूप बनाने में लगभग 50 लाख रुपए का खर्च आ रहा था. लेकिन निरंतर हो रही बारिश की वजह से ये खर्चा बढ़कर अब लगभग 60 लाख रुपए के आसपास पहुंच गया है. उन्होंने ये भी बताया कि राजधानी के खटला पुरा में हुई घटना के बाद समिति ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए बड़ी मूर्तियों को विसर्जित ना करने का संकल्प लिया है, ताकि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति ना हो सके.
समिति के संरक्षक सुनील पांडे ने बताया कि पूरी झांकी में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. इन सीसीटीवी कैमरे की मॉनिटरिंग करने के लिए 24 घंटे एक टीम तैनात रहेगी. इसके लिए अलग से कंट्रोल रूम भी बनाया गया है. उन्होंने बताया कि इस साल समिति के द्वारा दिव्यांग जनों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है, जिसमें न केवल दिव्यांग जनों के लिए कुर्सी बल्कि एक वॉलिंटियर को भी तैनात किया गया है. यदि बारिश लगातार जारी रहती है तो वालंटियर के द्वारा छाता ले जाकर दिव्यांग जनों को झांकी के दर्शन कराए जाएंगे.
वहीं लगातार हो रही बारिश को देखते हुए झांकी पर वाटरप्रूफ पंडाल बनाया गया है, ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को बारिश का सामना ना करना पड़े. साथ ही यहां उनके बैठने की व्यवस्था भी की गई है.