भोपाल। कमलनाथ सरकार को प्रदेश की सत्ता से बाहर करने में अहम भूमिका निभाने वाले 22 विधायकों को अयोग्य घोषित करने का मामला अभी भी न्यायालय में अटका हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस से बगावत करके बीजेपी में शामिल हुए 22 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिका पर विचार न किए जाने के मामले में मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है. इसके लिए 21 सितंबर तक का समय दिया गया है.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना व जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम की न्यायपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई. मामला जबलपुर से कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना की याचिका से संबंधित है.
कांग्रेस की तरफ से ये दलील
उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, विवेक तंखा व वैभव जोशी ने पक्ष रखा है. इस दौरान उन्होंने दलील दी है कि मार्च 2020 में कांग्रेस के 22 विधायकों को भाजपा की मिलीभगत से बेंगलुरु ले जाकर रखा गया था, 10 मार्च को इन सभी विधायकों के त्यागपत्र भी विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश कर दिए गए थे.
21 सिंतबर को होगी अगली सुनवाई
3 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष कांग्रेस की ओर से इन विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए याचिका दायर की गई थी. बाद में विधायकों के त्यागपत्र तो मंजूर कर लिए गए लेकिन उन्हें अयोग्य घोषित करने के लिए दायर याचिका पर विचार नहीं किया गया. जबकि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने 3 माह की समय सीमा तय की है. अब 21 सितंबर को अगली सुनवाई होगी.
27 सीटों पर होना हैं उपचुनाव
इन सभी 22 विधायकों के विधानसभा से पहले ही इस्तीफा मंजूर हो चुके हैं. प्रदेश में अब कुल 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना हैं, क्योंकि पिछले 2 माह के दौरान कांग्रेस के तीन अन्य विधायकों ने भी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया है. जिसे विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा मंजूर भी कर लिया गया है. ऐसी स्थिति में तीन अन्य सीटें भी खाली हो गई है. इसके अलावा 2 सीटें पहले से ही विधायकों के निधन के बाद रिक्त हो चुकी थी. हालांकि अभी भी उप चुनाव की तारीखों को लेकर असमंजस बरकरार है, क्योंकि कोरोना संकट के चलते फिलहाल सरकार भी उपचुनाव कराने के मूड में नजर नहीं आ रही है.