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SC की बड़ी टिप्पणी, हर प्रकार के धर्मांतरण को गैर कानूनी नहीं कहा जा सकता

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश को चुनौती देने वाली एमपी सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए समय दे दिया है. ये सुनवाई 7 फरवरी को होगी. बता दें कि, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को उन अंतरधार्मिक जोड़ों पर मुकदमा न चलाने को कहा था जिन्होंने जिला कलेक्टर को सूचित किए बिना शादी की थी.

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Published : Jan 4, 2023, 10:20 AM IST

नयी दिल्ली/भोपाल। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक मामले में सुनवाई की सहमति जताने के साथ ही कहा कि हर प्रकार के धर्मांतरण को गैर कानूनी नहीं कहा जा सकता. न्यायालय ने मध्य प्रदेश सरकार की एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई जिसमें जिलाधिकारी को सूचित किए बिना शादी करने वाले अंतरधार्मिक जोड़ों पर मुकदमा चलाने से रोकने वाले उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी. (SC said all conversion cannot be called illegal)

SC ने कहा कि हर तरह के धर्मांतरण अवैध नहीं : न्यायालय ने कहा कि हर तरह के धर्मांतरण को अवैध नहीं कहा जा सकता.
न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार की पीठ ने मामले में नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई सात फरवरी के लिए स्थगित कर दी. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग की लेकिन शीर्ष अदालत ने कोई निर्देश पारित करने से इनकार कर दिया. तुषार मेहता ने कहा कि "शादी का इस्तेमाल अवैध धर्मांतरण के लिए किया जाता है और हम इस पर आंख नहीं मूंद सकते".

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने दिया था ये अंतरिम आदेश : उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में राज्य सरकार को मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (एमपीएफआरए) (MPFRA) की धारा 10 के तहत उन वयस्कों पर मुकदमा नहीं चलाने का निर्देश दिया था जो अपनी मर्जी से शादी करते हैं. उच्च न्यायालय ने 14 नवंबर को कहा कि "धारा 10, जो धर्मांतरण के इच्छुक नागरिक के लिए जिला मजिस्ट्रेट को इस संबंध में (पूर्व) घोषणा पत्र देना अनिवार्य बनाती है, हमारी राय में इस अदालत के पूर्वोक्त निर्णयों की पूर्व दृष्टि से असंवैधानिक है."

MP धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 की अधिसूचना जारी, कानून के जानकारों से समझें क्या है इसमें

याचिकाकर्ताओं ने MPFRA के तहत किसी के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाने के लिए अंतरिम राहत मांगी थी: एमपीएफआरए गलतबयानी, प्रलोभन, बल प्रयोग की धमकी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, विवाह या किसी अन्य धोखाधड़ी के माध्यम से धर्मांतरण को निषेध करता है. एमपीएफआरए 2021 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली सात याचिकाओं पर उच्च न्यायालय का अंतरिम निर्देश आया था. याचिकाकर्ताओं ने अधिनियम के तहत किसी के खिलाफ मुकदमा चलाने से राज्य को रोकने के लिए अंतरिम राहत मांगी थी. अदालत ने राज्य सरकार को याचिकाओं पर अपना क्रमवार जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया था और कहा था कि याचिकाकर्ता उसके बाद 21 दिनों के भीतर जवाब दाखिल कर सकते हैं.

(PTI)

नयी दिल्ली/भोपाल। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक मामले में सुनवाई की सहमति जताने के साथ ही कहा कि हर प्रकार के धर्मांतरण को गैर कानूनी नहीं कहा जा सकता. न्यायालय ने मध्य प्रदेश सरकार की एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई जिसमें जिलाधिकारी को सूचित किए बिना शादी करने वाले अंतरधार्मिक जोड़ों पर मुकदमा चलाने से रोकने वाले उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी. (SC said all conversion cannot be called illegal)

SC ने कहा कि हर तरह के धर्मांतरण अवैध नहीं : न्यायालय ने कहा कि हर तरह के धर्मांतरण को अवैध नहीं कहा जा सकता.
न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार की पीठ ने मामले में नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई सात फरवरी के लिए स्थगित कर दी. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग की लेकिन शीर्ष अदालत ने कोई निर्देश पारित करने से इनकार कर दिया. तुषार मेहता ने कहा कि "शादी का इस्तेमाल अवैध धर्मांतरण के लिए किया जाता है और हम इस पर आंख नहीं मूंद सकते".

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने दिया था ये अंतरिम आदेश : उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में राज्य सरकार को मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (एमपीएफआरए) (MPFRA) की धारा 10 के तहत उन वयस्कों पर मुकदमा नहीं चलाने का निर्देश दिया था जो अपनी मर्जी से शादी करते हैं. उच्च न्यायालय ने 14 नवंबर को कहा कि "धारा 10, जो धर्मांतरण के इच्छुक नागरिक के लिए जिला मजिस्ट्रेट को इस संबंध में (पूर्व) घोषणा पत्र देना अनिवार्य बनाती है, हमारी राय में इस अदालत के पूर्वोक्त निर्णयों की पूर्व दृष्टि से असंवैधानिक है."

MP धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 की अधिसूचना जारी, कानून के जानकारों से समझें क्या है इसमें

याचिकाकर्ताओं ने MPFRA के तहत किसी के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाने के लिए अंतरिम राहत मांगी थी: एमपीएफआरए गलतबयानी, प्रलोभन, बल प्रयोग की धमकी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, विवाह या किसी अन्य धोखाधड़ी के माध्यम से धर्मांतरण को निषेध करता है. एमपीएफआरए 2021 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली सात याचिकाओं पर उच्च न्यायालय का अंतरिम निर्देश आया था. याचिकाकर्ताओं ने अधिनियम के तहत किसी के खिलाफ मुकदमा चलाने से राज्य को रोकने के लिए अंतरिम राहत मांगी थी. अदालत ने राज्य सरकार को याचिकाओं पर अपना क्रमवार जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया था और कहा था कि याचिकाकर्ता उसके बाद 21 दिनों के भीतर जवाब दाखिल कर सकते हैं.

(PTI)

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