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उद्योग नीति को पटरी पर लाने की कोशिश, सरकार को सुझाव देंगे उद्योगपति - Impact on factories in Corona

कोरोना काल के बाद उद्योगों पर बड़ा असर पड़ा है. अब ऑक्सीजन की कमी के कारण कारखाने बंद होने लगे हैं. जिसे देखते हुए कुछ उद्योगपतियों ने सरकार को उद्योग नीति के संबंध में सुझाव देने की बात कही है. ताकि आर्थिक व्यवस्था को एक बार फिर से पटरी पर लाया जा सके .

bhopal
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Published : Oct 10, 2020, 8:37 AM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण की वजह से सभी तरह के उद्योग धंधे प्रभावित हुए हैं. प्रदेश में छोटा बिजनेस करने वाले से लेकर बड़ा उद्योग चलाने वाले भी प्रभावित हुए हैं. वहीं दूसरी ओर बसें ट्रेन और हवाई यात्रा की लगातार प्रभावित हुई है, जिसका असर अभी भी बरकरार है ऐसी स्थिति में व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है, लेकिन अभी भी सही ढंग से काम नहीं हो पा रहा है. वहीं दूसरी ओर प्रदेश में स्थापित उद्योग पर भी एक बड़ा संकट दिखाई देने लगा है, इसे देखते हुए अब कुछ उद्योगपतियों के द्वारा सरकार को उद्योग नीति के संबंध में सुझाव दिए जाएंग, ताकि आर्थिक व्यवस्था को एक बार फिर से पटरी पर लाया जा सके .

बता दें, कि पहले ये आर्थिक संकट का पहाड़ मजदूरों पर टूटा था और अब ऑक्सीजन की कमी के कारण कारखाने बंद होने लगे हैं, क्योंकि ऑक्सीजन की कमी का सीधा असर उत्पादन पर आ रहा है. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में बुक किए गए ऑर्डर भी उद्योग जगत को कैंसिल करना पड़ रहे हैं. इसके अलावा बिजली से लेकर लीज से जुड़ी अन्य समस्याएं भी लगातार उद्योग जगत के सामने आ रही हैं. इसे लेकर हाल ही में फेडरेशन ऑफ मध्य प्रदेश चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज( एफएमपीसीसीआई ) के द्वारा वेबीनार का आयोजन किया गया था, इस दौरान इन सभी समस्याओं को लेकर प्रमुख रूप से बातचीत की गई. इसके बाद अब फेडरेशन ने उद्योग नीति के लिए सरकार को सुझाव देने का निर्णय लिया है, जल्द ही उद्योगपति संगठन के माध्यम से सीएम समेत विभाग के मंत्री के समक्ष सुझाव रखेंगे ताकि उद्योग रफ्तार पकड़ सके.

बता दें कि लॉकडाउन अवधि में उद्योग करीब 70 दिन तक लगातार बंद रहे हैं , जून-जुलाई तक मजदूरों की कमी भी इस दौरान देखने को मिली है, अगस्त में हालात धीरे-धीरे सामान्य होना शुरू हुए हैं, लेकिन सितंबर में ऑक्सीजन की कमी से उद्योगों की लगभग कमर टूट गई है. गोविंदपुरा एवं मंडीदीप के फार्मा एवं फेब्रिकेशन से जुड़े 600 से अधिक उद्योग फिलहाल पूरी तरह से बंद हो चुके हैं, जबकि 200 से अधिक में काम प्रभावित हुआ है , पीथमपुर , जबलपुर ,सतना समेत अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में भी ऑक्सीजन की कमी का विपरीत असर उद्योगों पर ही पड़ रहा है.

भोपाल। कोरोना संक्रमण की वजह से सभी तरह के उद्योग धंधे प्रभावित हुए हैं. प्रदेश में छोटा बिजनेस करने वाले से लेकर बड़ा उद्योग चलाने वाले भी प्रभावित हुए हैं. वहीं दूसरी ओर बसें ट्रेन और हवाई यात्रा की लगातार प्रभावित हुई है, जिसका असर अभी भी बरकरार है ऐसी स्थिति में व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है, लेकिन अभी भी सही ढंग से काम नहीं हो पा रहा है. वहीं दूसरी ओर प्रदेश में स्थापित उद्योग पर भी एक बड़ा संकट दिखाई देने लगा है, इसे देखते हुए अब कुछ उद्योगपतियों के द्वारा सरकार को उद्योग नीति के संबंध में सुझाव दिए जाएंग, ताकि आर्थिक व्यवस्था को एक बार फिर से पटरी पर लाया जा सके .

बता दें, कि पहले ये आर्थिक संकट का पहाड़ मजदूरों पर टूटा था और अब ऑक्सीजन की कमी के कारण कारखाने बंद होने लगे हैं, क्योंकि ऑक्सीजन की कमी का सीधा असर उत्पादन पर आ रहा है. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में बुक किए गए ऑर्डर भी उद्योग जगत को कैंसिल करना पड़ रहे हैं. इसके अलावा बिजली से लेकर लीज से जुड़ी अन्य समस्याएं भी लगातार उद्योग जगत के सामने आ रही हैं. इसे लेकर हाल ही में फेडरेशन ऑफ मध्य प्रदेश चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज( एफएमपीसीसीआई ) के द्वारा वेबीनार का आयोजन किया गया था, इस दौरान इन सभी समस्याओं को लेकर प्रमुख रूप से बातचीत की गई. इसके बाद अब फेडरेशन ने उद्योग नीति के लिए सरकार को सुझाव देने का निर्णय लिया है, जल्द ही उद्योगपति संगठन के माध्यम से सीएम समेत विभाग के मंत्री के समक्ष सुझाव रखेंगे ताकि उद्योग रफ्तार पकड़ सके.

बता दें कि लॉकडाउन अवधि में उद्योग करीब 70 दिन तक लगातार बंद रहे हैं , जून-जुलाई तक मजदूरों की कमी भी इस दौरान देखने को मिली है, अगस्त में हालात धीरे-धीरे सामान्य होना शुरू हुए हैं, लेकिन सितंबर में ऑक्सीजन की कमी से उद्योगों की लगभग कमर टूट गई है. गोविंदपुरा एवं मंडीदीप के फार्मा एवं फेब्रिकेशन से जुड़े 600 से अधिक उद्योग फिलहाल पूरी तरह से बंद हो चुके हैं, जबकि 200 से अधिक में काम प्रभावित हुआ है , पीथमपुर , जबलपुर ,सतना समेत अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में भी ऑक्सीजन की कमी का विपरीत असर उद्योगों पर ही पड़ रहा है.

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