भोपाल। पिछले 12 दिनों से भोपाल के रक्षा से जुड़े मुख्यालय में पहुंचने वाली स्वर्णिम विजय मशाल भोपाल से अलविदा हो चली है. जिसको 4 जनवरी को भोपाल रेलवे स्टेशन से सेना के अधिकारी द्वारा प्राप्त किया गया था.
स्वर्णिम विजय मशाल भोपाल में 13 दिनों तक रही. इस दौरान कई स्मरणीय कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. विजय मशाल को पुलिस मुख्यालय सीआरपीएफ मुख्यालय बीएसएफ एनसीसी मुख्यालय ले जाया गया. साथ ही शहीद स्मारक में भी रखा गया. जहां होम मिनिस्टर नरोत्तम मिश्रा ने पुष्पांजलि अर्पित की.
1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद कराने और भारत की विजय को चिन्हित करने के उपलक्ष में विजय दिवस हर साल 16 दिसंबर को मनाया जाता है. भारतीय सेना के इतिहास में यह अब तक का सबसे तेज सबसे छोटे एवं सफल अभियानों में से एक रहा है. जिसमें भारतीय सेना ने अपने पराक्रम का अद्भुत परिचय देते हुए पाक सेना के 93000 सैनिकों ने एक साथ आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया था. पाक की इस करारी हार के साथ 1971 में बांग्लादेश के रूप में एक नए राष्ट्र का जन्म हुआ था.
16 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर मशाल को जलाया गया था. साथ ही 1971 पाक युद्ध में भारत की जीत को याद दिलाती हुई चार स्वर्णिम विजय मशाल को देश की चारों दिशाओं में भेजा गया. भारत-पाक युद्ध 1971 की विजय के 50 साल पूरे होने पर स्वर्णिम विजय हर्षोल्लास के साथ मना कर जीत की याद दिलाई गई.