भोपाल। कहते हैं कि जहां चाह-वहां राह... इस लाइन को चरितार्थ किया है राजधानी की एक झुग्गी बस्ती में रहने वाले अनमोल अहिरवार ने. अनमोल ने दिन रात मेहनत कर आईआईटी कानपुर में सिलेक्शन पाया है. अनमोल एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जहां खाने-पीने तक के लाले पड़े रहते हैं. जैसे-तैसे घर चलता है, लेकिन 8वीं पास मां-बाप ने अपने बच्चों को पढ़ाने कोई कसर नहीं छोड़ी. अनमोल बताते हैं कि जब वे कक्षा दसवीं में थे, तब उन्हें पता भी नहीं था कि आईआईटी होता क्या है क्योंकि उनके खानदान में आज तक किसी ने 12वीं भी पास नहीं की है. अनमोल ने बताया कि स्कूल के प्रिंसिपल सुधाकर पाराशर ने उनकी मेहनत को देखते हुए उन्हें आईआईटी करने की सलाह दी और उन्हीं के कहने पर अनमोल ने आईआईटी को चुना. हालांकि शुरुआत में कठिन लगा लेकिन पढ़ते-पढ़ते आईआईटी जैसे उनके लिए सपना बन गया और आज उन्होंने अपने सपने को पूरा कर लिया है.
अनमोल के संघर्ष की कहानी
अनमोल ने बताया कि वह अपना ज्यादा से ज्यादा समय पढ़ाई में व्यतीत करते हैं. एक छोटे से कमरे में इतने बड़े परिवार के बीच पढ़ाई करना उनके लिए मुश्किल होता है, लेकिन सपने को पूरा करने के लिए अनमोल ने हर परिस्थिति से गुजर कर आज आईआईटी कानपुर में सिलेक्शन लिया है. अनमोल ने बताया उन्होंने मैथ्स की कोचिंग सुहाग कराइया सर से ली और इस सफर में कोचिंग के सर ने भी उनका साथ दिया. कम से कम फीस में उन्हें पढ़ाया. वहीं पढाई के लिए किताबें, स्कूल के प्राचार्य सुधाकर पाराशर ने उपलब्ध कराई.
'खानदान में अनमोल जितना कोई नहीं पढ़ा'
अनमोल की मां ने बताया की इस सफर में अनमोल के स्कूल ने उसका बहुत साथ दिया, क्योंकि परिवार में किसी को इस बारे में जानकारी नहीं है. आज अनमोल का आईआईटी में सिलेक्शन भी हो गया लेकिन हम लोगो को नही पता कि ये होता क्या है हम बस अनमोल की मदद करते है वो पड़ता है तो उसे डिस्टर्ब नही करते जो मदद बनती है वो करते है उन्होंने कहा सरकार से यही चाहते है कि अनमोल आगे जो भी पढ़ाई करें उसमे उसकी सहायता करें
चाय की दुकान लगाते है अनमोल के पिता
अनमोल के पिता चाय की दुकान लगाते है उनका कहना है कि वो बहुत खुश है कि आज उनके बेटे ने उनका नाम रोशन किया है. अनमोल के पिता का कहना है कि अनमोल बहुत मेहनत करता है. पूरे टाइम पढ़ता करता रहता है. बाकी बच्चो की तरह न टीवी में समय व्यतीत करता है और न मोबाइल में समय को खराब करता है. उन्होंने कहा हमारी पान की गुमटी है. बहुत लड़के आके बैठते है, वो अनमोल से बात भी करते है लेकिन अनमोल केवल अपनी पढ़ाई पर ध्यान देता है. हमे अपने बेटे पर गर्व है. अनमोल के लिए हम हर संभव प्रयास करते हैच
स्कूल के प्राचार्य सुधाकर पाराशर ने बताया कि अनमोल पढ़ने में बहुत तेज रहा है. उसकी मेहनत को देखते हुए हमने उसकी मदद की किताबें उपलब्ध कराई, लेकिन इस सफलता का पूरा श्रेय अनमोल को जाता है, क्योंकि अनमोल ने दिन रात मेहनत करके ये सफलता हासिल की है.