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एमसीयू के नवनिर्मित परिसर में बनेगी 'गुरुकुल पाठशाला', पेड़ के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करेंगे छात्र - एमसीयू में शांति निकेतन

भोपाल के बिशनखेड़ी में तैयार हो रहे एमसीयू के नए परिसर में उच्च स्तरीय शैक्षणिक सुविधाएं और वातावरण उपलब्ध कराने के साथ ही विद्यार्थियों के लिए ओपन क्लास रूम की व्यवस्था भी की जा रही है. बताया जा रहा है कि शांति निकेतन के तर्ज पर छात्र अब खुले में शिक्षा प्राप्त करेंगे.

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एमसीयू
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Published : Oct 19, 2020, 3:37 AM IST

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में नवाचार भी शुरू हो गए हैं.अब विश्वविद्यालय में आधुनिकता के साथ परंपरागत शिक्षा पद्धति को जोड़ने का प्रयास शुरू होने जा रहा है. रवीन्द्रनाथ टैगोर ने जैसे शिक्षा को वैदिक ऋषि परंपरा से जोड़कर शांति निकेतन का स्वप्न देखा था और उसे अपने जीवन में साकार किया, वैसा ही कुछ प्रयास आने वाले दिनों में प्रदेश में जन संचार की इस एकमात्र पत्रकारिता की यूनिवर्सिटी में देखने को मिलेगा. राजधानी के बिशनखेड़ी में बन रहे नए परिसर में इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. परिसर में जगह-जगह चबूतरों का निर्माण भी किया जा रहा है ताकि यहां आने वाले विद्यार्थी पेड़ के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण कर सकें.

माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केजी सुरेश ने जानकारी दी है कि शहर के बिशनखेड़ी में तैयार हो रहे एमसीयू के नए परिसर में उच्च स्तरीय शैक्षणिक सुविधाएं एवं वातावरण उपलब्ध कराने के साथ ही विद्यार्थियों के लिए ओपन क्लास रूम की व्यवस्था भी की जा रही है, जहां विद्यार्थी क्लास रूम की दुनिया से निकलकर मीडिया का अध्ययन करेंगे. यह शिक्षा पद्धति ठीक वैसी ही होगी जैसी हम अपने इतिहास में वैदिक ऋषि परंपरा के बारे में जानते हैं .

उन्होंने बताया कि इस तरह का नवाचार करने का आईडिया उन्हें शांति निकेतन से मिला है. क्योंकि यहां पर आज भी भारत की पुरानी आश्रम शिक्षा पद्धति लागू है. जिसके अनुसार विद्यार्थी पेड़ के नीचे जमीन पर बैठकर अपनी शिक्षा प्राप्त करते हैं. इस तरह से शिक्षा प्राप्त करना वर्षों से चला रहा है.

एमसीयू में पढ़ाई करने आए विद्यार्थियों के लिए क्या नया किया जाए इसे लेकर भी लगातार विचार किया जा रहा है, पत्रकारिता विश्वविद्यालय का बिशनखेड़ी में नया परिसर बनकर तैयार हो रहा है. यह काफी बड़े क्षेत्र में विकसित किया गया है. निश्चित रूप से यहां पढ़ाई करने आने वाले छात्र-छात्राओं को एक बेहद शांतिपूर्ण और सुखद माहौल भी मिलेगा. इसलिए यहां खुले में अध्यापन की व्यवस्था रखी है. कदम, नीम, पीपल जैसे पेड़ लगाने के साथ पूरे कैंपस में औषधीय पौधे लगवाए जा रहे हैं. विद्यार्थियों के लिए शिक्षा के साथ स्‍वास्‍थ्‍य भी जरूरी है. इसका भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है. फैकल्टी और मीडिया प्रोफेशनल्स के लिए प्रशिक्षण केंद्र, आधुनिक सुविधाओं से सम्पन्न कक्षाओं के साथ उच्च स्तरीय स्टूडियो भी नए परिसर में बनाए जा रहे हैं . इसके अलावा नए परिसर में और भी कई तरह के नवाचार किए जाएंगे.

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में नवाचार भी शुरू हो गए हैं.अब विश्वविद्यालय में आधुनिकता के साथ परंपरागत शिक्षा पद्धति को जोड़ने का प्रयास शुरू होने जा रहा है. रवीन्द्रनाथ टैगोर ने जैसे शिक्षा को वैदिक ऋषि परंपरा से जोड़कर शांति निकेतन का स्वप्न देखा था और उसे अपने जीवन में साकार किया, वैसा ही कुछ प्रयास आने वाले दिनों में प्रदेश में जन संचार की इस एकमात्र पत्रकारिता की यूनिवर्सिटी में देखने को मिलेगा. राजधानी के बिशनखेड़ी में बन रहे नए परिसर में इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. परिसर में जगह-जगह चबूतरों का निर्माण भी किया जा रहा है ताकि यहां आने वाले विद्यार्थी पेड़ के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण कर सकें.

माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केजी सुरेश ने जानकारी दी है कि शहर के बिशनखेड़ी में तैयार हो रहे एमसीयू के नए परिसर में उच्च स्तरीय शैक्षणिक सुविधाएं एवं वातावरण उपलब्ध कराने के साथ ही विद्यार्थियों के लिए ओपन क्लास रूम की व्यवस्था भी की जा रही है, जहां विद्यार्थी क्लास रूम की दुनिया से निकलकर मीडिया का अध्ययन करेंगे. यह शिक्षा पद्धति ठीक वैसी ही होगी जैसी हम अपने इतिहास में वैदिक ऋषि परंपरा के बारे में जानते हैं .

उन्होंने बताया कि इस तरह का नवाचार करने का आईडिया उन्हें शांति निकेतन से मिला है. क्योंकि यहां पर आज भी भारत की पुरानी आश्रम शिक्षा पद्धति लागू है. जिसके अनुसार विद्यार्थी पेड़ के नीचे जमीन पर बैठकर अपनी शिक्षा प्राप्त करते हैं. इस तरह से शिक्षा प्राप्त करना वर्षों से चला रहा है.

एमसीयू में पढ़ाई करने आए विद्यार्थियों के लिए क्या नया किया जाए इसे लेकर भी लगातार विचार किया जा रहा है, पत्रकारिता विश्वविद्यालय का बिशनखेड़ी में नया परिसर बनकर तैयार हो रहा है. यह काफी बड़े क्षेत्र में विकसित किया गया है. निश्चित रूप से यहां पढ़ाई करने आने वाले छात्र-छात्राओं को एक बेहद शांतिपूर्ण और सुखद माहौल भी मिलेगा. इसलिए यहां खुले में अध्यापन की व्यवस्था रखी है. कदम, नीम, पीपल जैसे पेड़ लगाने के साथ पूरे कैंपस में औषधीय पौधे लगवाए जा रहे हैं. विद्यार्थियों के लिए शिक्षा के साथ स्‍वास्‍थ्‍य भी जरूरी है. इसका भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है. फैकल्टी और मीडिया प्रोफेशनल्स के लिए प्रशिक्षण केंद्र, आधुनिक सुविधाओं से सम्पन्न कक्षाओं के साथ उच्च स्तरीय स्टूडियो भी नए परिसर में बनाए जा रहे हैं . इसके अलावा नए परिसर में और भी कई तरह के नवाचार किए जाएंगे.

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