भोपाल। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी मध्यप्रदेश से राज्यसभा जाने की सुगबुगाहट जब से तेज हुई है तब से मध्यप्रदेश कांग्रेस में अंदरूनी घमासान शुरू हो चुका है. प्रियंका गांधी को राज्यसभा भेजने की अटकलों के बीच सिंधिया विरोधी दो गुट की बांछें खिल गई और लगे हाथ कमलनाथ सरकार में शामिल करीब आधा दर्जन मंत्रियों ने इसका दिल खोलकर स्वागत कर दिया. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में करारी हार झेलने वाले एमपी कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की राज्यसभा राह को रोकने के लिए प्रियंका कार्ड खेला जा रहा है.
सूत्रों की मानें तो प्रियंका को मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेजे जाने का दांव कमलनाथ गुट की ओर से चला गया है. हालांकि इस संबंध में कमलनाथ तो अब तक खुलकर नहीं बोले, लेकिन दिग्विजय सिंह और कमलनाथ खेमे के करीब आधा दर्जन मंत्री खुले तौर पर राज्यसभा के लिए प्रियंका गांधी के नाम की पैरवी कर चुके हैं.
इन मंत्रियों ने की प्रियंका के नाम की पैरवी
इनमें सबसे बड़ा नाम दिग्विजय खेमे से आने वाले जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा का है. वह कह चुके हैं कि प्रियंका में इंदिरा गांधी की छवि दिखाई देती है, यदि वे प्रदेश से राज्यसभा जाएंगी तो हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी. इसके अलावा कमलनाथ खेमे के मंत्री बाला बच्चन भी कह चुके हैं कि प्रियंका गांधी का प्रदेश से राज्यसभा जाना राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि होगी. बाला बच्चन के अलावा कमलनाथ खेमे के मंत्री सज्ज्न सिंह वर्मा ने भी प्रियंका गांधी के नाम पर सहमति दी है. उन्होंने लिखा कि इंदिरा गांधी जी, अनुसूचित जाति जनजाति एवं महिला वर्ग के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध थीं. उन्हीं के पदचिन्हों पर प्रियंका जी चल रही हैं. जिस तरह इंदिरा जी कमलनाथ जी को मध्यप्रदेश में लाई थीं, उसी तरह अब प्रियंका गांधी जी को प्रदेश से राज्यसभा में लाने का वक्त आ गया है.' सज्जन सिंह वर्मा के अलावा दिग्विजय सिंह के बेटे और मंत्री जयवर्धन सिंह भी कह चुके हैं कि प्रियंका गांधी का नेतृत्व पूरे देश के लिए जरूरी है. वे प्रदेश से राज्यसभा के लिए जाती हैं तो बहुत खुशी होगी.
किसका कटेगा पत्ता?
बात अगर राज्यसभा सीटों की करें तो मध्य प्रदेश से राज्यसभा की तीन सीट खाली होने वाली हैं. इनमें से दो कांग्रेस और एक भाजपा के पास जाना तय है. कांग्रेस की 2 सीटों पर पहले ही दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह दावेदार हैं, लेकिन अब हाईकमान की तरफ से प्रियंका गांधी का नाम भी चर्चा में आ रहा है. ऐसी स्थिति में तीनों दिग्गज नेताओं में से किसी एक का पत्ता कटना तय है.
तीन खेमों में बंटी एमपी कांग्रेस
एमपी कांग्रेस में प्रमुख रूप से कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे हैं, इन्हीं के इर्द-गिर्द सियासत चलती है. ऐसे में सिंधिया की मध्यप्रदेश की सक्रिय राजनीति का वनवास खत्म होना मुश्किल नजर आ रहा है, क्योंकि सिंधिया के सड़कों पर उतरने वाले बयान के बाद सीएम कमलनाथ और सिंधिया के बीच तकरार बढ़ गई है. विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए ताबड़तोड़ प्रचार करने वाले सिंधिया का नाम पीसीसी चीफ की रेस में भी शामिल था, उस पर भी अब तक फैसला अटका हुआ है.
सिंधिया का सब्र देने लगा है जवाब
एमपी में सरकार बने एक साल से ज्यादा का वक्त भी बीत चुका है, ऐसे में सिंधिया का सब्र अब जवाब देने लगा है और वो खुले मंच से सरकार को लगातार आगाह कर रहे हैं. हालांकि एमपी से राज्यसभा के लिए कौन जाएगा इसका फैसला तो आलाकमान को करना है. लेकिन इससे पहले एमपी कांग्रेस में शीतयुद्ध का पारा तेजी से बढ़ रहा है. अब देखना होगा कि राज्यसभा के लिए किसके नाम पर मुहर लगती है.