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भारतीय राजनीति के गौरव, 'भारत रत्न' अटल बिहारी वाजपेयी

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जंयती पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है. वो भारतीय राजनीति के गौरव थे. अटलजी की मौत के बाद ये उनकी पहली जयंती है. मध्य प्रदेश में उनकी जयंती सुशासन दिवस के रुप में मनाई जाती है.

Atal Bihari Vajpayee
Atal Bihari Vajpayee
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Published : Dec 25, 2019, 6:13 AM IST

Updated : Dec 25, 2019, 4:26 PM IST

भोपाल। साल 1925 में जब पूरी दुनिया प्रभु यीशु के जन्मदिन का जश्न मना रही थी, उसी दिन मध्यप्रदेश की धरा पर एक ऐसी शख्सियत ने जन्म लिया था. जिसे आज भी संस्कारित राजनीति का प्रतीक माना जाता है. बात कर रहे हैं 'भारत रत्न' पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की. जिन्हें आज पूरा देश याद कर रहा है. अटलजी की मौत के बाद ये उनकी पहली जयंती है, लेकिन मरकर भी अटलजी इस दुनिया सदियों तक अटल ही रहेंगे.

जयंती विशेष

प्रदेश ही नहीं देश के जर्रे-जर्रे में आज भी अटल बिहारी वाजपेयी की यादें मौजूद हैं. ग्वालियर वो शहर है, जहां अटलजी का जन्म हुआ और यहीं उनका बचपन बीता. बेहद साधारण परिवार में जन्मे अटलजी ग्वालियर तक ही सीमित नहीं रहे. उगते हुए सूर्य की तरह अटलजी जब आगे बढ़े तो पूरी दुनिया में छा गए.

अटलजी केवल भारत के प्रधानमंत्री मात्र ही नहीं थे. बल्कि एक ऐसे रत्न थे, जिन्होंने राजनीतिक पटल पर अपनी अमिट कहानी लिखी. वे जब बोलते थे तो पूरा देश उन्हें सुनता था. राजनीतिक विरोधी भी उनकी वाक शैली के कायल थे, यही वजह है कि उन्हें कभी किसी ने दल विशेष का नेता माना ही नहीं क्योंकि अटलजी सबके दिलों में बसने वाले नेता थे, जो चार दशक से भी ज्यादा वक्त तक राजनीतिक पटल पर तारे की तरह चमकते रहे.

'क्या हार में क्या जीत में, किचिंत नहीं भयभीत मैं, कर्तव्य पथ पर जो मिला ये भी सही वो भी सही' अपनी इसी कविता की तरह उन्होंने राजनीति में शून्य से शिखर तक का सफर तय किया. तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी दस बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए. ग्वालियर और विदिशा सीट से उन्होंने देश की सबसे बड़ी पंचायत में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व किया.

अटलजी का हर काम अनोखा होता था. विदेश मंत्री रहते हुए संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देकर पूरी दुनिया में हिंदी को पहचान दिलाई तो पोखरण में परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को भारत का दम दिखाया. शिक्षा से स्वास्थ्य, रक्षा से संचार, उद्योग से रोजगार तक हर दिशा में अटलजी ने ऐसा ही काम किया, जिसके चलते इन सभी क्षेत्रों में आज भी अटलजी की नीतियों का देश को फायदा मिल रहा है.

अटल बिहारी वाजपेयी हर मायने में देश के सच्चे सपूत थे, राष्ट्र पुरुष, मार्गदर्शक, देशभक्त न जाने कितनी उपाधियों से देश उन्हें पुकारता है. वे हर मायने में भारत के सच्चे रत्न थे. जिन्होंने जमीन से जुड़कर राजनीति की और जनता के प्रधानमंत्री के रुप में अपनी खास पहचान बनाई. जिन्हें आज पूरा देश याद कर रहा है.

भोपाल। साल 1925 में जब पूरी दुनिया प्रभु यीशु के जन्मदिन का जश्न मना रही थी, उसी दिन मध्यप्रदेश की धरा पर एक ऐसी शख्सियत ने जन्म लिया था. जिसे आज भी संस्कारित राजनीति का प्रतीक माना जाता है. बात कर रहे हैं 'भारत रत्न' पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की. जिन्हें आज पूरा देश याद कर रहा है. अटलजी की मौत के बाद ये उनकी पहली जयंती है, लेकिन मरकर भी अटलजी इस दुनिया सदियों तक अटल ही रहेंगे.

जयंती विशेष

प्रदेश ही नहीं देश के जर्रे-जर्रे में आज भी अटल बिहारी वाजपेयी की यादें मौजूद हैं. ग्वालियर वो शहर है, जहां अटलजी का जन्म हुआ और यहीं उनका बचपन बीता. बेहद साधारण परिवार में जन्मे अटलजी ग्वालियर तक ही सीमित नहीं रहे. उगते हुए सूर्य की तरह अटलजी जब आगे बढ़े तो पूरी दुनिया में छा गए.

अटलजी केवल भारत के प्रधानमंत्री मात्र ही नहीं थे. बल्कि एक ऐसे रत्न थे, जिन्होंने राजनीतिक पटल पर अपनी अमिट कहानी लिखी. वे जब बोलते थे तो पूरा देश उन्हें सुनता था. राजनीतिक विरोधी भी उनकी वाक शैली के कायल थे, यही वजह है कि उन्हें कभी किसी ने दल विशेष का नेता माना ही नहीं क्योंकि अटलजी सबके दिलों में बसने वाले नेता थे, जो चार दशक से भी ज्यादा वक्त तक राजनीतिक पटल पर तारे की तरह चमकते रहे.

'क्या हार में क्या जीत में, किचिंत नहीं भयभीत मैं, कर्तव्य पथ पर जो मिला ये भी सही वो भी सही' अपनी इसी कविता की तरह उन्होंने राजनीति में शून्य से शिखर तक का सफर तय किया. तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी दस बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए. ग्वालियर और विदिशा सीट से उन्होंने देश की सबसे बड़ी पंचायत में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व किया.

अटलजी का हर काम अनोखा होता था. विदेश मंत्री रहते हुए संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देकर पूरी दुनिया में हिंदी को पहचान दिलाई तो पोखरण में परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को भारत का दम दिखाया. शिक्षा से स्वास्थ्य, रक्षा से संचार, उद्योग से रोजगार तक हर दिशा में अटलजी ने ऐसा ही काम किया, जिसके चलते इन सभी क्षेत्रों में आज भी अटलजी की नीतियों का देश को फायदा मिल रहा है.

अटल बिहारी वाजपेयी हर मायने में देश के सच्चे सपूत थे, राष्ट्र पुरुष, मार्गदर्शक, देशभक्त न जाने कितनी उपाधियों से देश उन्हें पुकारता है. वे हर मायने में भारत के सच्चे रत्न थे. जिन्होंने जमीन से जुड़कर राजनीति की और जनता के प्रधानमंत्री के रुप में अपनी खास पहचान बनाई. जिन्हें आज पूरा देश याद कर रहा है.

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Last Updated : Dec 25, 2019, 4:26 PM IST
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