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व्यापम घोटाले की जांच पकड़ेगी रफ्तार, एसटीएफ को सौंपा गया जिम्मा - Madhya Pradesh News

कमलनाथ सरकार ने ऐसे सभी मामलों की जांच करने के निर्देश एसटीएफ को दिए हैं. जिनकी जांच सीबीआई नहीं कर रही है. ऐसे करीब 500 से ज्यादा मामले हैं. अब एसटीएफ व्यापम मामले की जांच करेगी.

एसटीएफ करेगी व्यापम घोटाले की दोबारा जांच
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Published : Sep 22, 2019, 2:52 PM IST

भोपाल। प्रदेश में15 साल के बाद सत्ता वापसी करने वाले कांग्रेस सरकार ने व्यापम घोटाले की दोबारा जांच करने का वादा किया था और कहीं ना कहीं यह वादा जल्द ही पूरा हो सकता है. कमलनाथ सरकार ने ऐसे सभी मामलों की जांच करने के निर्देश एसटीएफ को दिए हैं. जिनकी जांच सीबीआई नहीं कर रही है. ऐसे करीब 500 से ज्यादा मामले है.

एसटीएफ अब इन मामलों में तत्कालीन सरकार की सीटी बजाने वाले व्हिसल ब्लोअर्स की मदद लेकर इन शिकायतों की जांच में जुट गई है.

कमलनाथ सरकार के निर्देशों के बाद अब जांच एजेंसी एसटीएफ ने व्यापम घोटाले से जुड़े सैकड़ों शिकायतों पर बारीकी से पड़ताल शुरू कर दी है. यहीं कारण है कि इन शिकायतों में आरटीआई कार्यकर्ताओं की मदद ली जा रही है.

आरटीआई कार्यकर्ता, एसटीएफ को साक्ष्य जुटाने में भी मदद कर रहे हैं. माना जा रहा है कि ऐसी 500 से ज्यादा शिकायतों पर एसटीएफ का फोकस है. जिनकी जांच सीबीआई ने नहीं कर रही है.

आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया जो मामले लंबित थे उनकी नये सिरे से जांच कराई जाएगी. सीबीआई बढ़े बढ़े मामलों की जांच करेगी तो वही राज्य सरकार की जांच एजेंसी 2 हजार से ज्यादा मामलों की जांच करेगी.

बता दें कि एसटीएफ उन सभी मामलों की जांच कर रही है. जिनमें व्यापम ने पुलिस भर्ती, वनरक्षक भर्ती समेत कई परीक्षा आयोजित कराई थी.

भोपाल। प्रदेश में15 साल के बाद सत्ता वापसी करने वाले कांग्रेस सरकार ने व्यापम घोटाले की दोबारा जांच करने का वादा किया था और कहीं ना कहीं यह वादा जल्द ही पूरा हो सकता है. कमलनाथ सरकार ने ऐसे सभी मामलों की जांच करने के निर्देश एसटीएफ को दिए हैं. जिनकी जांच सीबीआई नहीं कर रही है. ऐसे करीब 500 से ज्यादा मामले है.

एसटीएफ अब इन मामलों में तत्कालीन सरकार की सीटी बजाने वाले व्हिसल ब्लोअर्स की मदद लेकर इन शिकायतों की जांच में जुट गई है.

कमलनाथ सरकार के निर्देशों के बाद अब जांच एजेंसी एसटीएफ ने व्यापम घोटाले से जुड़े सैकड़ों शिकायतों पर बारीकी से पड़ताल शुरू कर दी है. यहीं कारण है कि इन शिकायतों में आरटीआई कार्यकर्ताओं की मदद ली जा रही है.

आरटीआई कार्यकर्ता, एसटीएफ को साक्ष्य जुटाने में भी मदद कर रहे हैं. माना जा रहा है कि ऐसी 500 से ज्यादा शिकायतों पर एसटीएफ का फोकस है. जिनकी जांच सीबीआई ने नहीं कर रही है.

आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया जो मामले लंबित थे उनकी नये सिरे से जांच कराई जाएगी. सीबीआई बढ़े बढ़े मामलों की जांच करेगी तो वही राज्य सरकार की जांच एजेंसी 2 हजार से ज्यादा मामलों की जांच करेगी.

बता दें कि एसटीएफ उन सभी मामलों की जांच कर रही है. जिनमें व्यापम ने पुलिस भर्ती, वनरक्षक भर्ती समेत कई परीक्षा आयोजित कराई थी.

Intro:भोपाल- मध्य प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही प्रदेश के मुखिया कमलनाथ ने व्यापम महा घोटाले की जांच दोबारा करने का वादा किया था कहीं ना कहीं यह वादा जल्द ही पूरा हो सकता है। कमलनाथ सरकार ने ऐसे सभी मामलों की जांच करने के निर्देश एसटीएफ को दिए हैं। जिनकी जांच सीबीआई नहीं कर रही है। ऐसे करीब 500 से ज्यादा मामले हैं। अब एसटीएफ इन मामलों में तत्कालीन सरकार की सीटी बजाने वाले व्हिसल ब्लोअर्स की मदद लेकर इन शिकायतों की जांच में जुट गई है।


Body:शिवराज सरकार में मध्यप्रदेश के माथे का कलंक बना व्यापम महा घोटाला अब तत्कालीन सरकार के नेताओं मंत्रियों और रसूखदारों पर बहुत भारी पड़ सकता है। दरअसल कमलनाथ सरकार के निर्देशों के बाद अब जांच एजेंसी एसटीएफ ने व्यापम घोटाले से जुड़े सैकड़ों शिकायतों पर बारीकी से पड़ताल शुरू कर दी है और यही कारण है कि, इन शिकायतों में आरटीआई कार्यकर्ताओं की मदद ली जा रही है साथ ही उनके बयान भी दर्ज किए जा रहे हैं यह आरटीआई कार्यकर्ता एसटीएफ को साक्ष्य जुटाने में भी मदद कर रहे हैं। माना जा रहा है कि ऐसी 500 से ज्यादा शिकायतों पर एसटीएफ का फोकस है जिनकी जांच सीबीआई ने नहीं की थी। यह सभी मामले पुलिस भर्ती और वनरक्षक भर्ती समेत कई उन परीक्षाओं से जुड़े हैं जो व्यापम ने आयोजित कराई थी।


Conclusion:एसटीएफ ने व्यापम घोटाले को लेकर अपनी कार्रवाई तेज की है। जिसके बाद माना जा रहा है कि, इन सभी मामलों को लेकर शुरुआत में करीब 100 एफ आई आर दर्ज की जा सकती है। एफ आई आर में तत्कालीन सरकार के नेताओं मंत्रियों और रसूखदारों को आरोपी बनाया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो तो कई बड़ी मछलियां एसटीएफ के शिकंजे में होगी। जो पिछली बार एसटीएफ और सीबीआई के हाथ नहीं लगी थी।

बाइट- आशीष चतुर्वेदी, आरटीआई कार्यकर्ता।
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