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खासगी का खेल! एक ऐसा चेहरा जिसने बड़ी खामोशी से लड़ी विरासत बचाने की लड़ाई

खासगी ट्रस्ट मामले में मध्यप्रदेश के बाद अब उतराखंड में भी भ्रष्टाचार करने का मामला उजागर हुआ है. उतराखंड के हरिद्वार के कुशावर्त घाट और होलकर बाड़े में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ अखिल भारतीय होल्कर महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय पाल सिंह ने लंबी लड़ाई लड़ी है.

Kushavart Ghat
कुशावर्त घाट
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Published : Oct 12, 2020, 12:08 AM IST

लखनऊ/भोपाल। खासगी ट्रस्ट मामले में हर रोज भ्रष्टाचार नए नए मामले सामने आ रहे है. इंदौर में देवी अहिल्याबाई होलकर की संपत्ति से जुड़े विवाद के बाद अब नया मामला उतराखंड के हरिद्वार के कुशावर्त घाट और होल्कर बाड़े का उजागर हुआ है. हरिद्वार में खासगी ट्रस्ट की ऐतिहासिक जमीनों को बचाने के मामले में अखिल भारतीय होल्कर महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय पाल सिंह ने लंबी लड़ाई लड़ी है जिसके बारे में उन्होनें ईटीवी भारत से खात बातचीत की है.

विजय पाल ने की ईटीवी भारत से बातचीत

विजय पाल सिंह का कहना है कि उन्होंने साल 1976 में एयरफोर्स ज्वाइन किया था, और 1991 में रिटायर हो गए. इसके बाद साल 1993 में कस्टम एंड सेंटल एक्साइज में सुपरिटेंडेंट के पद पर नियुक्ति पाई. यहां से साल 2017 में रिटायर हुए हैं. इसी बीच विजय पाल सिंह देवी अहिल्याबाई होल्कर के प्रति विशेष श्रद्धा रखने की वजह से उनके द्वारा बनाई गई सभी धरोहर को देखते जाते रहते थे. विजय पाल का कहना है कि हरिद्वार में बने तीर्थ स्थल में वह प्रतिवर्ष जाकर नमन करते हैं. यही वजह है कि इस लंबी लड़ाई को लड़ने के लिए उन्हें उर्जा मिलती है. उनका कहना है कि कुशावर्त घाट का निर्माण मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था. इस ऐतिहासिक भूमि पर आकर लोग अपने प्रियजनों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कराने आते हैं. ऐसा मानना है कि यहां महान संत दत्तात्रेय ने एक पैर पर खड़े रहकर एक हजार साल तक तपस्या की थी.

पढ़ें : खरगोनः हाईकोर्ट के फैसले के बाद एक्शन में जिला प्रशासन, खासगी ट्रस्ट की 102 संपत्तियों को कब्जे में लिया

विजय पाल सिंह इटीवी भारत से चर्चा करते हुए कहा है कि 2011 में जब कुशावर्त घाट के मंदिर में ताला डाल दिया गया और भगवान शिव के दर्शन के लिए तमाम भक्तों को जाने से रोका गया. तभी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लड़ाई लड़ने की मन में ठानी. उनका आरोप है कि इस बीच कई बार उन्हें धमकियां भी मिली,लेकिन इसके बावजूद भी घबराएं नहीं और हिम्मत के सहारे आगे बढ़ते चले गए कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

ईटीवी भारत के एक सवाल के जवाब में उन्होनें कहा कि आजादी के बाद इंदौर को भारत में शामिल कर लिया गया, और होल्कर की संपत्तियां भी सरकार के अधीन आ गई. इन संपत्तियों की देखभाल के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने ट्रस्ट बनाए थे. उन्होंने कहा कि हरिद्वार में कुछ ट्रस्टी सतीश चंद्र मल्होत्रा ने कुशावर्त घाट और होल्कर बाड़े की जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी उद्योगपति राघवेंद्र सिखौला को दे दी और सिखौला ने अपनी पत्नी निकिता और भाई अनिरूद्ध के नाम पर बेच दी. जिसके बाद विजय पाल ने कोर्ट में याचिका दायर की. उनका कहना है कि सालों तक चली लंबी लड़ाई के बाद पांच अक्टूबर को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने अवैध खरीद फरोख्त करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और पूर्व की स्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं,जिसके बाद एक आस जागी है.

लखनऊ/भोपाल। खासगी ट्रस्ट मामले में हर रोज भ्रष्टाचार नए नए मामले सामने आ रहे है. इंदौर में देवी अहिल्याबाई होलकर की संपत्ति से जुड़े विवाद के बाद अब नया मामला उतराखंड के हरिद्वार के कुशावर्त घाट और होल्कर बाड़े का उजागर हुआ है. हरिद्वार में खासगी ट्रस्ट की ऐतिहासिक जमीनों को बचाने के मामले में अखिल भारतीय होल्कर महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय पाल सिंह ने लंबी लड़ाई लड़ी है जिसके बारे में उन्होनें ईटीवी भारत से खात बातचीत की है.

विजय पाल ने की ईटीवी भारत से बातचीत

विजय पाल सिंह का कहना है कि उन्होंने साल 1976 में एयरफोर्स ज्वाइन किया था, और 1991 में रिटायर हो गए. इसके बाद साल 1993 में कस्टम एंड सेंटल एक्साइज में सुपरिटेंडेंट के पद पर नियुक्ति पाई. यहां से साल 2017 में रिटायर हुए हैं. इसी बीच विजय पाल सिंह देवी अहिल्याबाई होल्कर के प्रति विशेष श्रद्धा रखने की वजह से उनके द्वारा बनाई गई सभी धरोहर को देखते जाते रहते थे. विजय पाल का कहना है कि हरिद्वार में बने तीर्थ स्थल में वह प्रतिवर्ष जाकर नमन करते हैं. यही वजह है कि इस लंबी लड़ाई को लड़ने के लिए उन्हें उर्जा मिलती है. उनका कहना है कि कुशावर्त घाट का निर्माण मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था. इस ऐतिहासिक भूमि पर आकर लोग अपने प्रियजनों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कराने आते हैं. ऐसा मानना है कि यहां महान संत दत्तात्रेय ने एक पैर पर खड़े रहकर एक हजार साल तक तपस्या की थी.

पढ़ें : खरगोनः हाईकोर्ट के फैसले के बाद एक्शन में जिला प्रशासन, खासगी ट्रस्ट की 102 संपत्तियों को कब्जे में लिया

विजय पाल सिंह इटीवी भारत से चर्चा करते हुए कहा है कि 2011 में जब कुशावर्त घाट के मंदिर में ताला डाल दिया गया और भगवान शिव के दर्शन के लिए तमाम भक्तों को जाने से रोका गया. तभी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लड़ाई लड़ने की मन में ठानी. उनका आरोप है कि इस बीच कई बार उन्हें धमकियां भी मिली,लेकिन इसके बावजूद भी घबराएं नहीं और हिम्मत के सहारे आगे बढ़ते चले गए कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

ईटीवी भारत के एक सवाल के जवाब में उन्होनें कहा कि आजादी के बाद इंदौर को भारत में शामिल कर लिया गया, और होल्कर की संपत्तियां भी सरकार के अधीन आ गई. इन संपत्तियों की देखभाल के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने ट्रस्ट बनाए थे. उन्होंने कहा कि हरिद्वार में कुछ ट्रस्टी सतीश चंद्र मल्होत्रा ने कुशावर्त घाट और होल्कर बाड़े की जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी उद्योगपति राघवेंद्र सिखौला को दे दी और सिखौला ने अपनी पत्नी निकिता और भाई अनिरूद्ध के नाम पर बेच दी. जिसके बाद विजय पाल ने कोर्ट में याचिका दायर की. उनका कहना है कि सालों तक चली लंबी लड़ाई के बाद पांच अक्टूबर को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने अवैध खरीद फरोख्त करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और पूर्व की स्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं,जिसके बाद एक आस जागी है.

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