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स्कूल फीस नहीं भरने पर की थी सुसाइड की कोशिश, जब बिटिया ने किया टॉप तो हुआ पूरे देश को गर्व

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Published : Oct 13, 2021, 2:37 PM IST

Updated : Oct 14, 2021, 4:03 PM IST

कर्नाटक के कोराटागेरे शहर की रहने वाली 16 साल की लड़की ने हताश होकर खुद को खत्म करने की कोशिश की. फीस नहीं भर पाने से ग्रीष्मा नाम की ये बच्ची हताश और निराश थी. लेकिन उसे कहां मालूम था कि वो कर्नाटक की हाईस्कूल की परीक्षा में स्टेट टॉपर बनेगी. लोगों को उस पर गर्व होगा.

Grishma, who attempted suicide for not paying school fees, topped
School fees नहीं भर पाने पर आत्महत्या का प्रयास करने वाली ग्रीष्मा ने किया टॉप

तुमकुरु। पैसे की कमी के कारण पढ़ाई न कर पाने की वजह से आत्महत्या का प्रयास करने वाली एक किसान की बेटी ने 10वीं क्लास के सप्लीमेंट्री एग्जाम में टॉप किया है. स्कूल ने परीक्षा के लिए हॉल टिकट देने से इनकार किया तो कर्नाटक के तुमकुरु जिले के कोराटागेरे शहर की रहने वाली एक 16 वर्षीय लड़की ने हताश होकर खुद को खत्म करने का सोच लिया था, उसने आत्महत्या की कोशिश भी की थी. लेकिन इस घटना से उबरने के बाद 16 वर्षीय छात्रा ने SSLC (10वीं कक्षा) की पूरक परीक्षा में टॉप किया है. ग्रीष्मा नायक अब किसी अच्छे कॉलेज में एडमिशन लेने की कोशिश में है. ग्रीष्मा ने कहा कि साल की शुरुआत से ही बोर्ड की तैयारी शुरू कर दी थी. ग्रीष्मा ने बताया, ‘कोविड -19 संकट के कारण हम स्कूल की फीस का भुगतान करने की स्थिति में नहीं थे, इसलिए मैं स्कूल की क्लास में न बैठ सकी, लेकिन मेरी बड़ी बहन ने मुख्य विषयों को पढ़ने में मेरी मदद की, लेकिन यह जानकर मैं टूट गई कि स्कूल ने मेरा नाम परीक्षा के लिए रजिस्टर नहीं किया है.’

ग्रीष्मा की डॉक्टर बनने की है ख्वाहिश

ग्रीष्मा इंग्लिश मीडियम हाई स्कूल की छात्रा थी, परिवार द्वारा फीस का भुगतान ना कर पाने के बाद ग्रीष्मा को कथित तौर पर कक्षाओं में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई. बाद में उसका नाम दसवीं कक्षा के बोर्ड के लिए भी रजिस्टर नहीं किया गया और स्कूल ने उसे हॉल टिकट देने से इनकार कर दिया. अब ग्रीष्मा के माता-पिता उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी बेटी डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करेगी. उसके माता-पिता ने आरोप लगाया कि स्कूल प्रबंधन ने रजिस्ट्रेशन के लिए दो वर्षों (कक्षा IX और X) के लिए फीस का भुगतान करने के लिए अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया था और ये तब था जब ग्रीष्मा ने 9वीं में 96 प्रतिशत स्कोर किया था.

शिक्षा मंत्री के दखल के बाद मिली एग्जाम देने की इजाजत

ग्रीष्मा के माता-पिता ने पब्लिक इंस्ट्रक्शन के क्षेत्राधिकार डिप्टी डायरेक्टर से अपील की जिसके बाद मामला तत्कालीन प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री एस सुरेश कुमार के पास पहुंचा. राज्य भर से इसी तरह की सूचना मिलने के बाद शिक्षा मंत्री ने घोषणा की थी कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि फीस का भुगतान न करने के कारण किसी भी छात्र को बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के लिए हॉल टिकट से वंचित न किया जाए. बाद में मंत्री ने ग्रीष्मा के आवास का दौरा किया और उनसे वादा किया कि विभाग उन्हें एक नए उम्मीदवार के रूप में सप्लीमेंट्री परीक्षा देने की अनुमति देगा. ग्रीष्मा की उपलब्धि के बारे में जानकारी मिलने पर शिक्षा मंत्री एस सुरेश कुमार ने भी ग्रीष्मा को बधाई दी और कहा कि कड़ी तैयारी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता फलदायी थी. कुमार ने कहा, वो अब दूसरों के लिए एक मॉडल बन गई हैं.

हालांकि, कर्नाटक माध्यमिक शिक्षा परीक्षा बोर्ड (केएसईईबी) ने सोमवार को जारी परिणामों में ग्रीष्मा की पहचान अल्वा के इंग्लिश मीडियम हाई स्कूल की छात्रा के रूप में की है. ग्रीष्मा ने कहा, ‘स्कूल ने मेरा नाम पूर्व मंत्री के हस्तक्षेप के बाद बोर्ड को भेज दिया था, डीडीपीआई मामले की देखरेख कर रहा था. इससे मुझे एक नए उम्मीदवार के रूप में पूरक परीक्षा में बैठने में मदद मिली.’

तुमकुरु। पैसे की कमी के कारण पढ़ाई न कर पाने की वजह से आत्महत्या का प्रयास करने वाली एक किसान की बेटी ने 10वीं क्लास के सप्लीमेंट्री एग्जाम में टॉप किया है. स्कूल ने परीक्षा के लिए हॉल टिकट देने से इनकार किया तो कर्नाटक के तुमकुरु जिले के कोराटागेरे शहर की रहने वाली एक 16 वर्षीय लड़की ने हताश होकर खुद को खत्म करने का सोच लिया था, उसने आत्महत्या की कोशिश भी की थी. लेकिन इस घटना से उबरने के बाद 16 वर्षीय छात्रा ने SSLC (10वीं कक्षा) की पूरक परीक्षा में टॉप किया है. ग्रीष्मा नायक अब किसी अच्छे कॉलेज में एडमिशन लेने की कोशिश में है. ग्रीष्मा ने कहा कि साल की शुरुआत से ही बोर्ड की तैयारी शुरू कर दी थी. ग्रीष्मा ने बताया, ‘कोविड -19 संकट के कारण हम स्कूल की फीस का भुगतान करने की स्थिति में नहीं थे, इसलिए मैं स्कूल की क्लास में न बैठ सकी, लेकिन मेरी बड़ी बहन ने मुख्य विषयों को पढ़ने में मेरी मदद की, लेकिन यह जानकर मैं टूट गई कि स्कूल ने मेरा नाम परीक्षा के लिए रजिस्टर नहीं किया है.’

ग्रीष्मा की डॉक्टर बनने की है ख्वाहिश

ग्रीष्मा इंग्लिश मीडियम हाई स्कूल की छात्रा थी, परिवार द्वारा फीस का भुगतान ना कर पाने के बाद ग्रीष्मा को कथित तौर पर कक्षाओं में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई. बाद में उसका नाम दसवीं कक्षा के बोर्ड के लिए भी रजिस्टर नहीं किया गया और स्कूल ने उसे हॉल टिकट देने से इनकार कर दिया. अब ग्रीष्मा के माता-पिता उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी बेटी डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करेगी. उसके माता-पिता ने आरोप लगाया कि स्कूल प्रबंधन ने रजिस्ट्रेशन के लिए दो वर्षों (कक्षा IX और X) के लिए फीस का भुगतान करने के लिए अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया था और ये तब था जब ग्रीष्मा ने 9वीं में 96 प्रतिशत स्कोर किया था.

शिक्षा मंत्री के दखल के बाद मिली एग्जाम देने की इजाजत

ग्रीष्मा के माता-पिता ने पब्लिक इंस्ट्रक्शन के क्षेत्राधिकार डिप्टी डायरेक्टर से अपील की जिसके बाद मामला तत्कालीन प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री एस सुरेश कुमार के पास पहुंचा. राज्य भर से इसी तरह की सूचना मिलने के बाद शिक्षा मंत्री ने घोषणा की थी कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि फीस का भुगतान न करने के कारण किसी भी छात्र को बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के लिए हॉल टिकट से वंचित न किया जाए. बाद में मंत्री ने ग्रीष्मा के आवास का दौरा किया और उनसे वादा किया कि विभाग उन्हें एक नए उम्मीदवार के रूप में सप्लीमेंट्री परीक्षा देने की अनुमति देगा. ग्रीष्मा की उपलब्धि के बारे में जानकारी मिलने पर शिक्षा मंत्री एस सुरेश कुमार ने भी ग्रीष्मा को बधाई दी और कहा कि कड़ी तैयारी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता फलदायी थी. कुमार ने कहा, वो अब दूसरों के लिए एक मॉडल बन गई हैं.

हालांकि, कर्नाटक माध्यमिक शिक्षा परीक्षा बोर्ड (केएसईईबी) ने सोमवार को जारी परिणामों में ग्रीष्मा की पहचान अल्वा के इंग्लिश मीडियम हाई स्कूल की छात्रा के रूप में की है. ग्रीष्मा ने कहा, ‘स्कूल ने मेरा नाम पूर्व मंत्री के हस्तक्षेप के बाद बोर्ड को भेज दिया था, डीडीपीआई मामले की देखरेख कर रहा था. इससे मुझे एक नए उम्मीदवार के रूप में पूरक परीक्षा में बैठने में मदद मिली.’

Last Updated : Oct 14, 2021, 4:03 PM IST
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