भोपाल| दूध में की जा रही मिलावट की शिकायतें लगातार लोगों के द्वारा की जाती रही है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर विभाग कुछ खास कदम नहीं उठाता है, केवल खानापूर्ति करने के लिए कुछ एक जगह से सैंपल लिए जाते हैं और बाद में सभी को हरी झंडी दे दी जाती है. लेकिन मिलावट का खेल अभी भी बदस्तूर जारी है, दूध में की जा रही मिलावट की शिकायत लगातार प्रशासन के पास पहुंच रही थी जिसे देखते हुए संभागायुक्त ने भोपाल सहकारी दुग्ध संघ के सीईओ व अन्य अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की है. इस समीक्षा बैठक के दौरान उन्होंने सख्त निर्देश दिए हैं कि सांची दूध में होने वाली चोरी और मिलावट को रोकने के लिए दो-दो अधिकारियों की टीम औचक निरीक्षण करेंगी. इसके लिए जिले में औचक टीम (फ्लाइंग स्क्वाड) बनाई जाएगी.
संभागायुक्त कवींद्र कियावत ने कहा है कि किसी भी स्तर पर लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. पूर्व से काम कर रही और औचक लक्षण टीम को भी नए सिरे से सुदृढ़ किया जाएगा. इसके अलावा संघ के विभिन्न विभागों में काम करने वाले दो- दो अधिकारी की 3 टीम बनाई जाएगी. प्रत्येक टीम को सप्ताह में दो बार दूध टैंकर और दुग्ध संघ के सीट केंद्रों का औचक निरीक्षण करना होगा, ताकि किसी भी स्तर पर चोरी एवं दूध में मिलावट को रोका जा सके.
संभागायुक्त ने निर्देश के बाद दुग्ध संघ के सीईओ केके सक्सेना ने जानकारी दी है कि दूध चोरी व मिलावट की रोकथाम के लिए भोपाल सहकारी दुग्ध संघ द्वारा पूर्व से ही सख्त और ठोस कदम उठाए जा रहे हैं, जिसके अनुकूल परिणाम प्राप्त हुए हैं. जिससे दूध चोरी एवं मिलावट की घटनाओं में काफी हद तक कमी आई है. दुग्ध शीत केंद्रों, बीएमसी समितियों से आ रहे दूध के प्रत्येक टैंकरों के साथ दुग्ध संघ के प्रतिनिधि आ रहे हैं तथा उनके सामने ही संयंत्र की लैब में परीक्षण जारी है. समस्त बल्क मिल्क कूलर मार्गो पर चल रहे.
टैंकरों के साथ गुण नियंत्रण शाखा से प्रशिक्षित टेस्टर चल रहे हैं, जो कि मार्ग की प्रत्येक बीएमसी समिति पर दूध की जांच कर टैंकरों में दूध भरकर संयंत्र तक ला रहे हैं, बीएमसी पर टैंकर की गुणवत्ता जांच समिति, सचिव, टेस्टर, टैंकर चालक व पर्यवेक्षक की उपस्थिति में लगाया जाना प्रारंभ किया गया है जो अपमिश्रण के प्रकरणों को रोकने में सहायक होगा. दुग्ध सीट केंद्रों व बीएमसी समितियों से परिवहन कर मुख्य संयंत्र तक परिवहन हेतु प्रत्येक टैंकर की 24 घंटे जीपीएस मॉनिटरिंग केवल नियमित कर्मचारियों के द्वारा की जा रही है एवं प्रबंधक स्तर के अधिकारी को संपूर्ण कार्य की मॉनिटरिंग की जवाबदारी सौंपी गई है.
इसके अलावा दुग्ध समितियों का भुगतान प्रत्येक माह की 7, 17 व 27 तारीख को पूर्ण किया जाना सुनिश्चित किया गया है, जिससे किसानों का संघ के प्रति भी विश्वास बढ़ रहा है, नए टैंकर संचालन से पूर्व जीपीएस बॉक्स सर्विस इंजीनियर से इंस्टॉल कराए जा रहे हैं व सिस्टम पर चालू होने के बाद ही टैंकर चालक हेतु गेटपास दिया जा रहा है.
सभी टैंकर जीपीएस प्रमाणित होने पर ही संचालित किए जाते हैं. टैंकर रास्ता जाम होने व अधिक बारिश होने से, रास्ते में पुल ब्लॉक होने पर या टायर पंचर या फिर अन्य तकनीकी खराबी के कारण रुकते हैं तो जीपीएस मॉनिटरिंग से तुरंत ही फोन पर टैंकर चालक से टैंकर को रोकने का कारण पूछा जा रहा है व संबंधित केंद्र स्टाफ से चर्चा भी की जा रही है और टैंकर के रूप में तकनीकी कमी या टायर पंचर का सत्यापन जैसे फोटो वीडियो आदि भी लगातार मंगाए जा रहे हैं.
माह दिसंबर 2019 के बाद से सील की गुणवत्ता में सुधार किया गया है. टैंकर का दिन के समय ही संचालन किया जा रहा है. टैंकर में संघ का स्टाफ साथ में चल रहा है और 24 घंटे जीपीएस मॉनिटरिंग होने से टैंकरों के संचालन में सुधार भी आ रहा है. दूध की मात्रा, गुणवत्ता, टैंकर सील की स्थिति, संचालन समय की स्थिति तुरंत कंप्यूटर मॉनिटर पर देखी जा रही है.
समीक्षा बैठक के दौरान संभागायुक्त ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि औचक निरीक्षण के दौरान की गई कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट हर माह में प्रस्तुत करनी होगी और औचक निरीक्षण टीम के द्वारा की गई कार्रवाई की लगातार समीक्षा बैठक भी आयोजित की जाएगी. बता दें कि पूर्व संभागायुक्त ने दूध का परिवहन करने वाले टैंकरों के साथ संघ के नियमित कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने के निर्देश दिए थे, साथ ही जीपीएस मॉनिटरिंग से लेकर लैब में नियमित कर्मचारी रखे गए थे, हालांकि यह व्यवस्था अभी भी लागू है, लेकिन इसके बाद भी मिलावट का खेल किया जा रहा है.