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कोरोना ने ढाया छोटे व्यापारियों पर कहर, चाय, नाश्ता, पानीपुरी सब कुछ हो गया ठप - कोरोना

कोरोना के कहर के बाद लगे लॉकडाउन से हर वर्ग परेशान हुआ है. उद्योगधंधे चौपट हो गए हैं. खासकर छोटे व्यापारियों की तो कमर ही टूट गई है, झाबुआ में भी चाय दुकानदारों, होटल संचालक और पानीपुरी बेचने वाले बेहद परेशान हैं. पढ़िए पूरी खबर...

jhabua
कोरोना ने ढाया छोटे व्यापारियों पर कहर
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Published : Jul 14, 2020, 9:38 PM IST

झाबुआ। कोरोना वायरस ऐसी आंधी बनकर आया जिसने सबकुछ बर्बाद कर दिया. कोरोना के कहर के बाद लगे लॉकडाउन से हर वर्ग परेशान हुआ. उद्योगधंधे चौपट हो गए. खासकर छोटे व्यापारियों की तो कमर ही टूट गई है, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान जो जमा पूंजी सालों से जोड़कर रखी थी वो भी खर्च हो चुकी है. ऐसे में उनको अपना धंधा शुरू करने में खासी परेशानी हो रही है, जिन्होंने जैसे-तैसे कर काम शुरू भी किया तो लोगों की आवाजाही कम होने से लागत निकालना मुश्किल हो रहा है.

कोरोना ने ढाया छोटे व्यापारियों पर कहर

बात अगर झाबुआ जिले की करें तो यहां चाय वाले से लेकर चाट फुल्की और पानीपुरी वालों को घर चलाने की चिंता है, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से उनका धंधा ठप है. इन दिनों चाय बेचने वालों की हालत खराब है. लॉकडाउन के चलते तीन महीनों तक पहले दुकान बंद रही और अब ग्राहकों की कमी से सड़क किनारे चाय की दुकान लगाने वाले दुकानदारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ये हाल झाबुआ शहर का नहीं बल्कि पूरे जिले की चाय दुकानदारों का है. बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन के आसपास दुकान लगाने वाले लोगों के साथ-साथ प्रमुख मार्गों पर चाट, भेल ,पावभाजी, आइसक्रीम और नाश्ते की दुकान लगाने वालों का व्यापार कोरोना के चलते आधे से आधा रह गया है.

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गिने चुने ग्राहक दिख रहे दुकानों पर

फव्वारा चौक पर नाश्ते का ठेला लगाने वाले पीयूष बताते हैं कि उनकी दुकान शाम 6 बजे के बाद लगती है और प्रशासन के आदेश के चलते रात 8 बजे उन्हें दुकान बंद करना पड़ती है, ऐसे में महज 10-20 ग्राहक ही उनकी दुकान पर आ पाते हैं. चाट का ठेला लगाने वाले मुकेश का कहना है कि कोरोना महामारी के डर के चलते बाहर के खाने के शौकीन लोगों ने बाहर(ठेलों) का खाना कम कर दिया है जिससे उनका व्यापार ठप सा हो गया है. कई ठेला संचालक किराए के मकान में रहते हैं और पिछले तीन महीनों से धंधा बंद रहने के कारण मकान किराया, लाइट बिल भरने में भी उन्हें आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

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चाय,नाश्ता, पानीपुरी सब कुछ हो गया ठप

लागत निकालना हो रहा मुश्किल

मेघनगर के साईं चौराहे पर होटल चलाने वाले अनोखी बडोला बताते हैं कि जिले का एकमात्र रेलवे स्टेशन और औद्योगिक क्षेत्र होने के बावजूद यहां लोगों की आवाजाही नहीं हो रही. यात्री परिवहन के साधन रेल ,बस जीप, आदि का परिवहन ना होने से लोग बाजारों तक नहीं पहुंच रहे. महामारी का डर भी लोगों को बाज़ारों में आने से रोक रहा है. बड़ोला कहते हैं कि जो लोग बाजार में आते हैं वे बाजार का नाश्ता करने से कतराते हैं. लॉकडाउन से पहले उनकी होटल से 1 दिन में 25 से 30 किलो मिठाई रोज बिकती थी, लेकिन अब महज 3 से 4 किलो मिठाई की बिक्री होती है.

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नास्ता दुकानदारों के धंधा चौपट

खतरे में नजर आ रहा व्यवसाए

कोरोना वायरस ने लोगों को ऐसा झटका दिया कि उससे उभरने में कई साल लग जाएंगे. लॉकडाउन के बाद अनलॉक हुए बाजारों में प्रशासन की अपील और महामारी के संक्रमण से बचने के लिए लोग कई तरह की सावधानियां बरत रहे हैं. इन सावधानियों के चलते ठेलागाड़ियों पर खाने पानी का स्टॉल लगाने वाले ओर होटल संचालकों को अपना व्यापार व्यवसाय खतरे में नजर आ रहा है.

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पानीपुरी बेचने वालों की हालत खराब

झाबुआ। कोरोना वायरस ऐसी आंधी बनकर आया जिसने सबकुछ बर्बाद कर दिया. कोरोना के कहर के बाद लगे लॉकडाउन से हर वर्ग परेशान हुआ. उद्योगधंधे चौपट हो गए. खासकर छोटे व्यापारियों की तो कमर ही टूट गई है, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान जो जमा पूंजी सालों से जोड़कर रखी थी वो भी खर्च हो चुकी है. ऐसे में उनको अपना धंधा शुरू करने में खासी परेशानी हो रही है, जिन्होंने जैसे-तैसे कर काम शुरू भी किया तो लोगों की आवाजाही कम होने से लागत निकालना मुश्किल हो रहा है.

कोरोना ने ढाया छोटे व्यापारियों पर कहर

बात अगर झाबुआ जिले की करें तो यहां चाय वाले से लेकर चाट फुल्की और पानीपुरी वालों को घर चलाने की चिंता है, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से उनका धंधा ठप है. इन दिनों चाय बेचने वालों की हालत खराब है. लॉकडाउन के चलते तीन महीनों तक पहले दुकान बंद रही और अब ग्राहकों की कमी से सड़क किनारे चाय की दुकान लगाने वाले दुकानदारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ये हाल झाबुआ शहर का नहीं बल्कि पूरे जिले की चाय दुकानदारों का है. बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन के आसपास दुकान लगाने वाले लोगों के साथ-साथ प्रमुख मार्गों पर चाट, भेल ,पावभाजी, आइसक्रीम और नाश्ते की दुकान लगाने वालों का व्यापार कोरोना के चलते आधे से आधा रह गया है.

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गिने चुने ग्राहक दिख रहे दुकानों पर

फव्वारा चौक पर नाश्ते का ठेला लगाने वाले पीयूष बताते हैं कि उनकी दुकान शाम 6 बजे के बाद लगती है और प्रशासन के आदेश के चलते रात 8 बजे उन्हें दुकान बंद करना पड़ती है, ऐसे में महज 10-20 ग्राहक ही उनकी दुकान पर आ पाते हैं. चाट का ठेला लगाने वाले मुकेश का कहना है कि कोरोना महामारी के डर के चलते बाहर के खाने के शौकीन लोगों ने बाहर(ठेलों) का खाना कम कर दिया है जिससे उनका व्यापार ठप सा हो गया है. कई ठेला संचालक किराए के मकान में रहते हैं और पिछले तीन महीनों से धंधा बंद रहने के कारण मकान किराया, लाइट बिल भरने में भी उन्हें आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

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चाय,नाश्ता, पानीपुरी सब कुछ हो गया ठप

लागत निकालना हो रहा मुश्किल

मेघनगर के साईं चौराहे पर होटल चलाने वाले अनोखी बडोला बताते हैं कि जिले का एकमात्र रेलवे स्टेशन और औद्योगिक क्षेत्र होने के बावजूद यहां लोगों की आवाजाही नहीं हो रही. यात्री परिवहन के साधन रेल ,बस जीप, आदि का परिवहन ना होने से लोग बाजारों तक नहीं पहुंच रहे. महामारी का डर भी लोगों को बाज़ारों में आने से रोक रहा है. बड़ोला कहते हैं कि जो लोग बाजार में आते हैं वे बाजार का नाश्ता करने से कतराते हैं. लॉकडाउन से पहले उनकी होटल से 1 दिन में 25 से 30 किलो मिठाई रोज बिकती थी, लेकिन अब महज 3 से 4 किलो मिठाई की बिक्री होती है.

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नास्ता दुकानदारों के धंधा चौपट

खतरे में नजर आ रहा व्यवसाए

कोरोना वायरस ने लोगों को ऐसा झटका दिया कि उससे उभरने में कई साल लग जाएंगे. लॉकडाउन के बाद अनलॉक हुए बाजारों में प्रशासन की अपील और महामारी के संक्रमण से बचने के लिए लोग कई तरह की सावधानियां बरत रहे हैं. इन सावधानियों के चलते ठेलागाड़ियों पर खाने पानी का स्टॉल लगाने वाले ओर होटल संचालकों को अपना व्यापार व्यवसाय खतरे में नजर आ रहा है.

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पानीपुरी बेचने वालों की हालत खराब
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