भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आतंकी संगठन जमात-ए-मुजाहिददीन बांग्लादेश के चार आतंकी पकड़े जाने के बाद सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं. एटीएस ने चारों आतंकियों को आज जिला अदालत में कोर्ट में पेश कर 28 मार्च तक रिमांड पर लिया है. शुरुआती पूछताछ में पता चला है कि चारों आतंकी करीब 50 से ज्यादा लोगों के संपर्क में थे. संदिग्ध आतंकी मध्यप्रदेश में अपना नेटवर्क फैलाने में लगे थे. पुलिस आतंकियों की लोकल फंडिंग की भी जांच कर रही है. पुलिस को आशंका है कि आतंकियों को स्थानीय स्तर पर आर्थिक मदद मिल रही थी. (terrorist arrested in bhopal)
स्लीपर सेल का गढ़ क्यों बन रहा मध्यप्रदेश ?
मध्यप्रदेश आतंकी संगठन सिमी यानी स्टूडेंट्स यानी इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया का गढ़ रहा है. हालांकि सफदर नागौरी जैसे कई आतंकी पकड़े जाने के बाद मध्यप्रदेश पुलिस संगठन को काफी कमजोर कर चुकी है. वैसे प्रदेश में अभी तक बड़ी आतंक वारदात तो नहीं हुई, लेकिन देश के दूसरे स्थानों पर हुई आतंकी वारदातों के तार मध्यप्रदेश से जुड़ते रहे हैं. रिटायर्ड डीजी आरएलएस यादव के मुताबिक मध्यप्रदेश शांति प्रिय राज्य रहा है. कोई भी बड़ी आतंकी गतिविधियां यहां नहीं हुईं, लेकिन आतंकी और नक्सली इसे सुरक्षित ठिकाना मानते आए हैं. (sleeper cell in mp)
कौन होते हैं स्लीपर सेल ?
प्रदेश में पुलिस सिमी के नेटवर्क को ध्वस्त कर चुकी है, लेकिन ताजा मामले के बाद सुरक्षा एजेंसियों को और ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है. रिटायर्ड पुलिस अधिकारी के मुताबिक बड़ी आतंकी वारदात में स्थानीय स्लीपर सेल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इनके निशाने पर यूथ होते हैं, जिन्हें यह बरगलाते हैं और इन्हें आतंकी वारदातों के लिए तैयार करते हैं. (who is sleeper cell)
कैसे काम करता है स्लीपर सेल ?
स्लीपर सेल का उपयोग लोकल सपोर्ट और इंफाॅर्मेशन के लिए किया जाता है, ताकि आतंकी वारदात के वक्त इनकी स्थानीय स्तर पर मदद ली जा सके. ऐसे स्लीपर सेल के रूप में कई पढ़े लिखे वर्ग विशेष के युवा को भी तैयार किया जाता है. पुलिस अब ऐसे तमाम स्लीपर सेल की तलाश करने में जुट गई है. पता लगाया जा रहा है कि प्रदेश में ऐसे कितने स्लीपर सेल काम कर रहे हैं. (work of sleeper cell in mp)
बेहद खतरनाक है जमात-ए-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश
भोपाल में मिले चारों आतंकी जमात-ए-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (जेएमबी) के हैं. जेएमबी एक खतरनाक आतंकी संगठन है. यह संगठन बांग्लादेश में कई सीरियल ब्लास्ट का जिम्मेदार रहा है. साल 2005 में इस संगठन ने बांग्लादेश के 50 शहरों और कस्बों के 300 स्थानों पर करीब 500 छोटे बम विस्फोट किए थे. संगठन द्वारा बांग्लादेश में बड़े स्तर पर नरसंहार किया गया था. (Jamaat-e-Mujahideen Bangladesh organization)
2019 में जेएमबी पर लगा था प्रतिबंध
साल 2014 में भारत के पश्चिम बंगाल के वर्धमान में बम ब्लास्ट किया था, जिसमें 2 लोग मारे गए थे. साल 2018 में बोधगया में भी बम ब्लास्ट किया गया था. ऐसे घटनाओं में संगठन का नाम आने के बाद भार सरकार द्वारा साल 2019 में इसे 5 साल के लिए प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया गया था. एटीएस के मुताबिक प्रतिबंध के बाद आतंकी संगठन द्वारा देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्लीपर सेल तैयार करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे भविष्य में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया जा सके. (ban on Jamaat-e-Mujahideen Bangladesh)
आरोपियों ने अदालत में स्वीकारा गुनाह
अदालत में चार आरोपियों ने स्वीकार किया कि उनके पास कुछ आपत्तिजनक की जिहादी साहित्य था, जिसे उन्होंने निशातपुरा क्षेत्र में बांटा है. वहां भी यह लोगों के संपर्क में थे. इसके अलावा पकड़े गए आरोपियों में से तीन बांग्लादेशी हैं और एक व्यक्ति बिहार का रहने वाला है.
पुलिस ने खाना बनाने वाली से की पूछताछ
उधर, पुलिस ने संदिग्ध आतंकियों को मकान किराए पर देने वाली महिला से भी घंटों पूछताछ की. हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया. इसके साथ ही आतंकियों के लिए पूर्व में खाना बनाने वाली महिला से भी पूछताछ की गई, लेकिन उसे भी बाद में भी छोड़ दिया गया. प्रदेश में आतंकियों को लेकर पुलिस अब सख्त हो गई है.
आखिर क्यों नहीं लगी पुलिस को भनक?
पुलिस सूत्रों के मुताबिक पकड़ में आए संदिग्ध आतंकी भले ही ऐशबाग इलाके में पिछले कुछ महीनों से रह रहे हों, लेकिन आशंका है कि यह पहले भी शहर के कई और इलाकों में रह चुके हैं. संदिग्ध राजधानी में करीब 50 से ज्यादा लोगों के ब्रेन वॉश करने में जुटे हुए थे. इनके टारगेट पर सिर्फ युवा होते थे. पुलिस अब इनके संपर्क में आए युवाओं की तलाश करने में जुटी है. (police action against terrorism in mp)
कौन है सलमान ?
पुलिस संदिग्ध को मकान दिलाने में मददगार बने सलमान की भी तलाश करने में जुटी है. पुलिस को आशंका है कि कम्प्यूटर रिपेयरिंग का काम करने वाला यह युवक संदिग्ध आतंकियों के लिए लोकल हेल्पर के रूप में काम कर रहा था. हालांकि पुलिस को अभी तक पकड़े गए संदिग्ध के पूर्व आपराधिक रिकाॅर्ड नहीं मिला है. मामले को लेकर एटीएस के आला अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. उधर, संदिग्ध आतंकी के पकड़े जाने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं. सवाल उठ रहा है कि आखिर लोकल पुलिस को संदिग्धों के क्षेत्र में रूके होने की सूचना क्यों नहीं मिली. एटीएस की कार्रवाई के बाद अब पुलिस ने खासतौर से पुराने शहर में किराए से रहने वाले एक-एक व्यक्ति का सघन वैरीफिकेशन अभियान शुरू कर दिया है. (who is salman)