ETV Bharat / state

4 बड़े जिलों में ITI निर्माण घोटाला: NPCC को दी 11 करोड़ रुपये की जाली बैंक गारंटी

एनपीसीसी(NPCC) को 11 करोड़ रुपये की श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन ने जाली बैंक गारंटी दी. फिलहाल, मामले की जांच शाहपुरा पुलिस द्वारा की जा रही है और जल्द ही मामले में एफआईआर दर्ज कराने की बात कही है.

Shree Tirupati Construction company
ITI निर्माण घोटाला मामला
author img

By

Published : Jun 15, 2021, 1:26 PM IST

भोपाल। राजधानी में बड़ा घोटाला सामने आया है. दरअसल, एनपीसीसी को श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन द्वारा लगभग 11 करोड की फर्जी बैंक गारंटी दी गई है. यह बैंक गारंटी इसलिए दी गई है, क्योंकि एनपीसीसी ने श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन को जबलपुर, रीवा, सागर और शहडोल में बन रहे आईटीआई के सिविल निर्माण कार्य के लिए 113.04 करोड़ का निर्माण का ठेका दिया था, जिसे मध्य प्रदेश हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड ने आवंटित किया था.

4 जिलों में आईटीआई बनाने का दिया था ठेका
बता दें कि ये ठेका 4 जिलों में आईटीआई बनाने के लिए मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड ने कंस्ट्रक्शन के लिए एनपीसीसी को 117.91 करोड़ में दिया था, फिर बाद में एनपीसीसी ने देशभर में निविदा निकाली और देशभर की कंपनियों को आमंत्रित किया. जिसमें भोपाल की श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन भी शामिल हुई. तिरुपति कंस्ट्रक्शन ने सबसे कम रेट 113.04 करोड़ में काम करने को कहा, जिसके बाद ठेका इन्हें दे दिया गया था. उसके एवज में श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन ने बैंक गारंटी एनपीसीसी को दी थी. यह बैंक गारंटी ठेके की कीमत की 10 प्रतिशत जमा करानी होती है.

दोषियों पर कार्रवाई की मांग
दरअसल, मामले में खुलासा होते ही एनपीसीसी ने शाहपुरा पुलिस को एक आवेदन सौंपा है. जिसमें उन्होंने बैंक गारंटी को लेकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है. एनपीसीसी द्वारा सौंपे गए आवेदन में एनपीसीपी के पूर्व प्रदेश के जोनल मैनेजर सुनील कुमार, जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ के रायपुर में पदस्थ है. श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन के मालिक नितिन सुभाष शर्मा और पार्टनर सौरभ मौर्य के खिलाफ फर्जी बैंक गारंटी देने को लेकर शाहपुरा थाने में एनपीसीसी ने आवेदन सौंपा है. यह फर्जी बैंक गारंटी यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया धरमपेठ ब्रांच नागपुर, यूको बैंक गोंडागांव नागपुर की है, क्योंकि श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन का मालिक नितिन सुभाष शर्मा नागपुर में रह रहा है.

इस तरह हुआ मामले में खुलासा
दरअसल, पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन ने भोपाल की निर्माण कंपनी से पूरे विषय पर बातचीत की. साथ ही कहा कि इसे काम को लेने से तुम्हें फायदा होगा और फिर जब उस कंपनी के मालिक ने यह काम ले लिया और काम शुरू कर दिया. उसके बाद जबलपुर और सागर की साइटों का काम शुरू हुआ. लगभग जब सात करोड़ का काम पूरा हो गया, तब पेमेंट की बारी आई, तो श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन ने पेमेंट देने से इनकार किया और फिर कहा कि तुम्हारा एनपीसीसी से कोई भी टाइअप नहीं है.

दोनों कंपनियों के बीच हुआ था टाइअप
बता दें कि एलओआई के माध्यम से श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन और निर्माण कंस्ट्रक्शन दोनों कंपनियों के बीच टाइअप हुआ था. जब निर्माण कंस्ट्रक्शन के मालिक ने टाइअप की एलओआई की बात कही तो वह भी फर्जी निकली. उसके बाद निर्माण कंपनी के नुकसान की भरपाई और फर्जी एलओआई बनाने को लेकर भोपाल क्राइम ब्रांच में आवेदन दिया और भोपाल क्राइम ब्रांच मामले में 8 महीने से जांच कर रही है.

सभी बैंक गारंटी निकली फर्जी
वहीं, इस मामले में निर्माण कंपनी जो कंस्ट्रक्शन का काम करती है उसका करोड़ों का नुकसान हुआ. उसके बाद जब इन दोनों का विवाद शुरू हुआ तो, आईटीआई की साइटों पर, जो काम चल रहा था वह बंद कर दिया गया. फिर काम शुरू करने के लिए जब एनपीसीसी ने दी गई बैंक गारंटी को कैश कराना चाहा और बैंक गारंटी लेकर नागपुर में बताई गई ब्रांच में पहुंचे तो खुलासा हुआ कि सभी बैंक गारंटी फर्जी हैं.

बैंक गारंटी में 5.7 करोड़ का उल्लेख
ब्रांच में बताया गया कि इस तरह की कोई भी बैंक गारंटी नहीं मिली. उसके बाद एनपीसीसी ने शाहपुरा पुलिस को जांच के लिए आवेदन दिया. बता दें कि आरोपियों ने 21 अगस्त 2019 को बैंक गारंटी दी थी, जिसमे 5.7 करोड़ का उल्लेख था. उस दौरान एनपीसीसी के जोनल मैनेजर सुनील कुमार थे. वहीं बाद में बैंक गारंटी दी गई, तो उसमें 4.6 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी एनपीसीसी को दी गई. जिसकी तारिख 4 मई 2021 को श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन के संचालकों ने दी.

एफआईआर की मांग
बता दें कि इस दौरान एनपीसीसी में जोनल मैनेजर बदल गए थे और एम.ए. मंसूरी नए जोनल मैनेजर मध्य प्रदेश ब्रांच के बनाए गए. जब मार्च में नए जोनल मैनेजर एम.ए. मंसूरी आए तो उन्होंने बैंक गारंटी कैश कर काम शुरू कराना चाहा. ऑनलाइन सर्च किया बैंक गारंटी के बारे में तो वह बैंक में नहीं दिखाई दी, तो वह बैंक गारंटी लेकर बैंक पहुंचे, वहीं बैंक ने बैंक गारंटी नकली बताई. तब उन्हे पता चला कि बैंक गारंटी फर्जी है. जिसके बाद उन्होंने श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन से पूछताछ की. उन्होंने मामले को दबाने की कोशिश की. श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन का ऑफिस बावड़िया कला में होने के कारण शाहपुरा पुलिस को एनपीसीसी ने पूरी घटना के साथ घोटाले की जानकारी देते हुए आवेदन सौंपा है. साथ ही एफआईआर की मांग की है.

क्या है एनपीसीसी
राष्ट्रीय परियोजना निर्माण निगम लिमिटेड (एनपीसीसी) एक "मिनी-रत्न-श्रेणी-I" है, जिसकी स्थापना 9 जनवरी 1957 को एक प्रमुख निर्माण कंपनी के रूप में की गई थी, ताकि देश के आर्थिक विकास के लिए सिंचाई और जल संसाधनों के मुख्य क्षेत्रों में आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार किया जा सके. बिजली और भारी उद्योग के क्षेत्र में केंद्र के उपक्रमों में काम करती है. यह देश की 9 रत्न कंपनी में से एक कंपनी है.

हाउसिंग बोर्ड ने सौंपा था एनपीसीसी को काम
मध्य प्रदेश में 4 आईटीआई कॉलेज बनाने को लेकर मध्य प्रदेश हाउसिंग एंड इन्फ्राट्रक्चर डेवलपमेंट ने एनपीसीसी को 113.4 करोड़ का कार्य सौंपा था. जिसके बाद एनपीसीसी ने इस कार्य के लिए देश भर की कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर निकाला था जिसमें श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन ने भी फॉर्म भरा था और सबसे कम दामों में काम करने की बात रख टेंडर हथिया लिया था. बता दें कि चार आईटीआई कॉलेज जबलपुर, रीवा, शहडोल और सागर में बनना थे. जिनका काम रुक गया है और विवाद की भेंट चढ़ गया. वहीं पढ़ने वाले आईटीआई के विद्यार्थी भी अब परेशान हो रहे हैं. बता दें कि श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन और निर्माण कंस्ट्रक्शन के बीच बिल पास करने को लेकर चल रहे विवाद में यह काम रोक दिए गए हैं. लगभग 30% ही आईटीआई के निर्माण का कार्य हो पाया है. वहीं, एनपीसीसी को श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन द्वारा लगभग 11 करोड़ रुपए का चूना लगा दिया गया है.

पुलिस ने कहा आवेदन पर जांच जारी
वहीं, क्राइम ब्रांच के एडिशनल एसपी का कहना है कि फर्जी एलओआई के विषय पर जांच लगातार जारी है. लगभग क्राइम ब्रांच इस मामले में 8 महीने से जांच कर रही है. परंतु अभी तक लेटर की सत्यता के विषय में क्राइम ब्रांच को पता नहीं चल पाया है. तो वहीं एसपी राजेश सिंह भदौरिया का कहना है कि एनपीसीसी ने 2 जून 2021 को आवेदन दिया है. जिसकी जांच शाहपुरा पुलिस द्वारा की जा रही है और जल्द ही मामले में एफआईआर दर्ज की जाएगी और जो दोषी पर कार्रवाई की जाएगी.

ये उठ रहे प्रश्न
-जो फर्जी बैंक गारंटी एनपीसीसी को दी गई तो वह छपी कहां पर?
-इस तरह की कितनी सरकारी उपक्रमों के साथ श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन के मालिकों ने किया धोखा ?
-एनपीसीसी को आवेदन दिए 14 दिन से हुए ऊपर क्यों नही की पुलिस ने एफआईआर?
-सौरभ मौर्य के नंबर पर सीएम ऑफिस लिखा आना संदिग्ध गतिविधियों की ओर क्या करता है इशारा ?
-इस नंबर के आधार पर वह अभी तक किन किनको कर चुका होगा सौरभ मौर्य फोन ?

भोपाल। राजधानी में बड़ा घोटाला सामने आया है. दरअसल, एनपीसीसी को श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन द्वारा लगभग 11 करोड की फर्जी बैंक गारंटी दी गई है. यह बैंक गारंटी इसलिए दी गई है, क्योंकि एनपीसीसी ने श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन को जबलपुर, रीवा, सागर और शहडोल में बन रहे आईटीआई के सिविल निर्माण कार्य के लिए 113.04 करोड़ का निर्माण का ठेका दिया था, जिसे मध्य प्रदेश हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड ने आवंटित किया था.

4 जिलों में आईटीआई बनाने का दिया था ठेका
बता दें कि ये ठेका 4 जिलों में आईटीआई बनाने के लिए मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड ने कंस्ट्रक्शन के लिए एनपीसीसी को 117.91 करोड़ में दिया था, फिर बाद में एनपीसीसी ने देशभर में निविदा निकाली और देशभर की कंपनियों को आमंत्रित किया. जिसमें भोपाल की श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन भी शामिल हुई. तिरुपति कंस्ट्रक्शन ने सबसे कम रेट 113.04 करोड़ में काम करने को कहा, जिसके बाद ठेका इन्हें दे दिया गया था. उसके एवज में श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन ने बैंक गारंटी एनपीसीसी को दी थी. यह बैंक गारंटी ठेके की कीमत की 10 प्रतिशत जमा करानी होती है.

दोषियों पर कार्रवाई की मांग
दरअसल, मामले में खुलासा होते ही एनपीसीसी ने शाहपुरा पुलिस को एक आवेदन सौंपा है. जिसमें उन्होंने बैंक गारंटी को लेकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है. एनपीसीसी द्वारा सौंपे गए आवेदन में एनपीसीपी के पूर्व प्रदेश के जोनल मैनेजर सुनील कुमार, जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ के रायपुर में पदस्थ है. श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन के मालिक नितिन सुभाष शर्मा और पार्टनर सौरभ मौर्य के खिलाफ फर्जी बैंक गारंटी देने को लेकर शाहपुरा थाने में एनपीसीसी ने आवेदन सौंपा है. यह फर्जी बैंक गारंटी यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया धरमपेठ ब्रांच नागपुर, यूको बैंक गोंडागांव नागपुर की है, क्योंकि श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन का मालिक नितिन सुभाष शर्मा नागपुर में रह रहा है.

इस तरह हुआ मामले में खुलासा
दरअसल, पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन ने भोपाल की निर्माण कंपनी से पूरे विषय पर बातचीत की. साथ ही कहा कि इसे काम को लेने से तुम्हें फायदा होगा और फिर जब उस कंपनी के मालिक ने यह काम ले लिया और काम शुरू कर दिया. उसके बाद जबलपुर और सागर की साइटों का काम शुरू हुआ. लगभग जब सात करोड़ का काम पूरा हो गया, तब पेमेंट की बारी आई, तो श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन ने पेमेंट देने से इनकार किया और फिर कहा कि तुम्हारा एनपीसीसी से कोई भी टाइअप नहीं है.

दोनों कंपनियों के बीच हुआ था टाइअप
बता दें कि एलओआई के माध्यम से श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन और निर्माण कंस्ट्रक्शन दोनों कंपनियों के बीच टाइअप हुआ था. जब निर्माण कंस्ट्रक्शन के मालिक ने टाइअप की एलओआई की बात कही तो वह भी फर्जी निकली. उसके बाद निर्माण कंपनी के नुकसान की भरपाई और फर्जी एलओआई बनाने को लेकर भोपाल क्राइम ब्रांच में आवेदन दिया और भोपाल क्राइम ब्रांच मामले में 8 महीने से जांच कर रही है.

सभी बैंक गारंटी निकली फर्जी
वहीं, इस मामले में निर्माण कंपनी जो कंस्ट्रक्शन का काम करती है उसका करोड़ों का नुकसान हुआ. उसके बाद जब इन दोनों का विवाद शुरू हुआ तो, आईटीआई की साइटों पर, जो काम चल रहा था वह बंद कर दिया गया. फिर काम शुरू करने के लिए जब एनपीसीसी ने दी गई बैंक गारंटी को कैश कराना चाहा और बैंक गारंटी लेकर नागपुर में बताई गई ब्रांच में पहुंचे तो खुलासा हुआ कि सभी बैंक गारंटी फर्जी हैं.

बैंक गारंटी में 5.7 करोड़ का उल्लेख
ब्रांच में बताया गया कि इस तरह की कोई भी बैंक गारंटी नहीं मिली. उसके बाद एनपीसीसी ने शाहपुरा पुलिस को जांच के लिए आवेदन दिया. बता दें कि आरोपियों ने 21 अगस्त 2019 को बैंक गारंटी दी थी, जिसमे 5.7 करोड़ का उल्लेख था. उस दौरान एनपीसीसी के जोनल मैनेजर सुनील कुमार थे. वहीं बाद में बैंक गारंटी दी गई, तो उसमें 4.6 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी एनपीसीसी को दी गई. जिसकी तारिख 4 मई 2021 को श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन के संचालकों ने दी.

एफआईआर की मांग
बता दें कि इस दौरान एनपीसीसी में जोनल मैनेजर बदल गए थे और एम.ए. मंसूरी नए जोनल मैनेजर मध्य प्रदेश ब्रांच के बनाए गए. जब मार्च में नए जोनल मैनेजर एम.ए. मंसूरी आए तो उन्होंने बैंक गारंटी कैश कर काम शुरू कराना चाहा. ऑनलाइन सर्च किया बैंक गारंटी के बारे में तो वह बैंक में नहीं दिखाई दी, तो वह बैंक गारंटी लेकर बैंक पहुंचे, वहीं बैंक ने बैंक गारंटी नकली बताई. तब उन्हे पता चला कि बैंक गारंटी फर्जी है. जिसके बाद उन्होंने श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन से पूछताछ की. उन्होंने मामले को दबाने की कोशिश की. श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन का ऑफिस बावड़िया कला में होने के कारण शाहपुरा पुलिस को एनपीसीसी ने पूरी घटना के साथ घोटाले की जानकारी देते हुए आवेदन सौंपा है. साथ ही एफआईआर की मांग की है.

क्या है एनपीसीसी
राष्ट्रीय परियोजना निर्माण निगम लिमिटेड (एनपीसीसी) एक "मिनी-रत्न-श्रेणी-I" है, जिसकी स्थापना 9 जनवरी 1957 को एक प्रमुख निर्माण कंपनी के रूप में की गई थी, ताकि देश के आर्थिक विकास के लिए सिंचाई और जल संसाधनों के मुख्य क्षेत्रों में आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार किया जा सके. बिजली और भारी उद्योग के क्षेत्र में केंद्र के उपक्रमों में काम करती है. यह देश की 9 रत्न कंपनी में से एक कंपनी है.

हाउसिंग बोर्ड ने सौंपा था एनपीसीसी को काम
मध्य प्रदेश में 4 आईटीआई कॉलेज बनाने को लेकर मध्य प्रदेश हाउसिंग एंड इन्फ्राट्रक्चर डेवलपमेंट ने एनपीसीसी को 113.4 करोड़ का कार्य सौंपा था. जिसके बाद एनपीसीसी ने इस कार्य के लिए देश भर की कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर निकाला था जिसमें श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन ने भी फॉर्म भरा था और सबसे कम दामों में काम करने की बात रख टेंडर हथिया लिया था. बता दें कि चार आईटीआई कॉलेज जबलपुर, रीवा, शहडोल और सागर में बनना थे. जिनका काम रुक गया है और विवाद की भेंट चढ़ गया. वहीं पढ़ने वाले आईटीआई के विद्यार्थी भी अब परेशान हो रहे हैं. बता दें कि श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन और निर्माण कंस्ट्रक्शन के बीच बिल पास करने को लेकर चल रहे विवाद में यह काम रोक दिए गए हैं. लगभग 30% ही आईटीआई के निर्माण का कार्य हो पाया है. वहीं, एनपीसीसी को श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन द्वारा लगभग 11 करोड़ रुपए का चूना लगा दिया गया है.

पुलिस ने कहा आवेदन पर जांच जारी
वहीं, क्राइम ब्रांच के एडिशनल एसपी का कहना है कि फर्जी एलओआई के विषय पर जांच लगातार जारी है. लगभग क्राइम ब्रांच इस मामले में 8 महीने से जांच कर रही है. परंतु अभी तक लेटर की सत्यता के विषय में क्राइम ब्रांच को पता नहीं चल पाया है. तो वहीं एसपी राजेश सिंह भदौरिया का कहना है कि एनपीसीसी ने 2 जून 2021 को आवेदन दिया है. जिसकी जांच शाहपुरा पुलिस द्वारा की जा रही है और जल्द ही मामले में एफआईआर दर्ज की जाएगी और जो दोषी पर कार्रवाई की जाएगी.

ये उठ रहे प्रश्न
-जो फर्जी बैंक गारंटी एनपीसीसी को दी गई तो वह छपी कहां पर?
-इस तरह की कितनी सरकारी उपक्रमों के साथ श्री तिरुपति कंस्ट्रक्शन के मालिकों ने किया धोखा ?
-एनपीसीसी को आवेदन दिए 14 दिन से हुए ऊपर क्यों नही की पुलिस ने एफआईआर?
-सौरभ मौर्य के नंबर पर सीएम ऑफिस लिखा आना संदिग्ध गतिविधियों की ओर क्या करता है इशारा ?
-इस नंबर के आधार पर वह अभी तक किन किनको कर चुका होगा सौरभ मौर्य फोन ?

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.